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आओ हिन्दी दिवस मनायें, कब्रों में इसको दफनायें..

Desk Editor
14 Sep 2021 11:42 AM GMT
आओ हिन्दी दिवस मनायें,  कब्रों में इसको दफनायें..
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हिन्दी दिवस की शुभकामना लेने-देने का यह दिन नहीं है । केवल आत्ममंथन करने का दिन है! आओ विचार करें!

आओ हिन्दी दिवस मनायें।

कब्रों में इसको दफनायें।

एक रोज बस पूजा कर लें

फिर चाहे तो दूजा कर दें

लंगी बारंबार लगायें !

आओ हिन्दी दिवस मनायें !

पन्द्रह वर्षों का निर्वासन

पूर्ण कभी क्या होगा शासन ?

आप हमें अब यह बतलायें !

आओ हिन्दी दिवस मनायें!

लाज नहीं कोनों गत्तर में

ला न सकें वर्षों सत्तर में

रह-रह ज्यादा ही धकियाये !

आओ हिन्दी दिवस मनायें !

दासी को दे बैठे गद्दी

हिन्दी को समझे हैं रद्दी

इसमें कब-कब हम बतिआये ?

आओ हिन्दी दिवस मनायें !

लाल किला-भाषण हिन्दी में

वोट माँगते हैं हिन्दी में

पर, सेवा में क्यों जुतिआये ?

आओ हिन्दी दिवस मनायें !

मन तो उबल-उबल जाता है

यह सब तनिक नहीं भाता है

पर, अबतक हम क्या कर पाये !

आओ हिन्दी दिवस मनायें !

अंग्रेजी के मानस-पुत्रो !

शेक्सपियर को ही मत कुतरो

तुमको कालीदास बुलाये

आओ हिन्दी दिवस मनायें!

अब भी इस फंदे से उबरें

ना तो रह जायेंगे कुबड़े

तुलसी और कबीरा गायें!

आओ हिन्दी दिवस मनायें!

- हरि नारायण सिंह 'हरि'

१४ सितंबर, २०२१

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