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जनसत्ता के मुताबिक आकाश अम्बानी ने मुकेश से पूछा- पापा अगर कैलकुलेटर है, तो हम टेबल क्यों याद करें?
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मनीष सिंह
जनसत्ता के मुताबिक आकाश अम्बानी ने मुकेश से पूछा- पापा अगर कैलकुलेटर है, तो हम टेबल क्यों याद करें? इस सवाल के उत्तर में मुकेश अम्बानी ने आकाश को जो कहा, वह युगों युगों तक दोहराया जाना चाहिए। दरअसल एक सफल पिता अपने बच्चों को सफलता के गुर किस तरह सिखाता है, यह बात सीखे जाने के योग्य है।
आम इंसान पेरेंटिंग के दौरान अपने बच्चों को इतना कुछ नही सिखा पाता, जितना सफल लोग अपने बच्चों को सिखाते हैं। यही कारण है वे सफल होते हैं, उनके बच्चे सफल होते हैं, और आगे की पीढियां सफल होती हैं।
सफलता की यह धारा अच्छी पेरेंटिंग, और माँ बाप द्वारा अपनी पूरी जिंदगी में कमाए गए विजडम को, बच्चो में स्थानांतरित करने पर निर्भर करती है। जाहिर है, आम मां बाप, विजडम के ट्रांसफर में फिसड्डी साबित होते हैं। और इस तरह बच्चे भी फ़िसड्डी ही रहते हैं।
इस फालतू की भाषणबाज़ी के दो प्रमुख कारण हैं। पहला तो एक किलोमीटर से कम की पोस्ट मुझे सूट नही करेगी। दूसरा आपके कौतूहल को लम्बा खींचना और उस ब्रम्ह वाक्य को जानने को जानने के लिए आपकी रुचि को गहरा करना है।
मैं समझता हूँ कि आप जानना चाहते हैं कि आखिरकार मुकेश अम्बानी ने द्वारा यह पूछने पर की कैलकुलेटर के रहते हुए पहाड़े क्यों याद किये जायें इस पर मुकेश ने क्या जवाब दिया। उन्होंने यह जवाब दिया- ताकि हमारे दिमाग मे ही सब सेट हो जाये।
इस तरह उन्होंने अगली पीढ़ी के मस्तिष्क में "सेटिंग" के महत्व को हमेशा के लिए रेखांकित कर दिया।