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- हमेशा याद आती रहेंगी...
एक सीधी सादी , सरल स्वभाव की पर हिंदी भाषा की विदुषी और एक प्रखर वक्ता डा यामिनी सिन्हा की आज जन्मतिथि है , उनके इस दुनिया को छोड़कर चले जाने के बाद पहली । ऐसे में उनकी याद आना स्वाभाविक है । कल्याणी संस्थान की हर परिचर्चा में उन्होंने उत्साह से भाग लिया । कई बार मैं उन्हें उरई से बाहर भी गोष्ठियों में बोलने के लिए साथ लेकर जाती रहीं ।
उरई से चले जाने बाद वह हमेशा फ़ोन पर यही कहती थी कि जयश्री जी आपने मुझे इतना सम्मान दिया , इतने आदर दिया कि मैं कभी नहीं भुला सकती । जबकि वह डी वी कॉलेज , उरई के हिंदी विभाग में प्रोफ़ेसर और विभागाध्यक्ष के रूप में 40 वर्ष तक अध्यापन करती रही । एक प्राध्यापिका के रूप में उनकी अच्छी ख्याति भी रही ।अवकाश प्राप्ति के बाद निरंतर लेखन कार्य में लगी रही और कई किताबों की रचना की । अपने अस्वस्थ हो जाने पर कहती थी जयश्री जी मेरे चले जाने के बाद मेरे बारे में लिखिएगा ना ! ये सारी बातें याद कर मन भारी हो उठता है । आदरणीया दीदी को भावभीनी श्रद्धांजलि। 💐
जयश्री
"मेरी माँ "-( बेटी तनिमा की ओर से )
मेरी माँ डा यामिनी की अपने हर एहसास व अनुभूति को शब्दों में पिरोकर परोसने की विलक्षण क्षमता उनके साथ ही चली गयी होती अगर उन्होंने इन पुस्तकों की रचना नहीं की होती । उनका व्यक्तित्व मानवता से ओतप्रोत था और वह तो मानवता की सीमा को नहीं जानती थी । वह जो भी लिखती परिपक्व और अद्भुत लिखती । उनको हमेशा एक मानसिक सम्बल की ज़रूरत रही जी पापा ने उन्हें देने की भरसक कोशिश की । हम सब के लिए वह आज भी मार्ग दर्शक और परम साथी हैं ।
तनिमा निगम
सीनियर असिस्टेंट जनरल मैनेजर
ए आइ एंजिनीरिंग सर्विसेज़ लिमिटेड
यामिनी दीदी और उनकी पुस्तकें