- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध
- Home
- /
- हमसे जुड़ें
- /
- बीड़ी जलइले, जिगर से...
मनीष सिंह
पिया जी की बीड़ी जिससे बनती है, वो तेंदू का पत्ता होता है। मनमोहन सिंह ने कहा था, पैसे पेड़ों पर नही उगते। मगर नहरपाली का रोहित कंवर, रोज पैसे पेड़ों से तोड़ता है, और जाकर वन विभाग से भंजा लेता है। 50 पत्तों की गड्डी के 4 रुपये मिलते हैं। एक पत्ता कोई 8 पैसे..
छत्तीसगढ़ के सारे बड़े बड़े सन्तरे तेन्दुपान से ही मोटे हुए हैं। होते रहे, जब तक मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने इसे नेशनलाइज्ड न कर दिया। गॉव गॉव में सरकारी फड़ खुलती है, ठीक ठाक दाम मिलता है। सीजन में नाका साहब, याने वनरक्षक राजा हो जाते है, काहे की इस डेढ़ माह में रथ मिलता है। बोले तो जीप/कार।
मोहकमा जंगलात की 12 साल की सर्विस में 3 साल इसी खरसिया रेंज में गुजारे। पहली पोस्टिंग थी, उम्र कोई 20 साल। नाका साहब श्री लक्ष्मीनारायण जायसवाल के सौजन्य से मैंने ड्राइविंग तेन्दुपान की जीप में ही सीखी। गर्लफ्रेण्ड भी वहीं टकराई, जो अब नही रही। ( बीवी हो गयी) , जगह जगह नॉस्टैल्जिक हो रहा हूँ।
उस दौर में नगद पेमेंट होता था, खूब गचपच भी होता। बाद में तेंदूपत्ता संग्राहक को बैंक एकॉउंट से पेमेंट होने लगा। छत्तीसगढ़ स्टेट माइनर फारेस्ट प्रोड्यूस कारपोरेशन इसका प्रबन्धन करती है, जो काफी स्मूद है। संग्रहको का तब एक रुपल्ली वाला बीमा, आज के 12 रुपल्ली बीमे से बहुत पहले से लागू था।
तेंदूपत्ता, चार, साल बीज, लाख, महुआ, इस इलाके की रूरल इकॉनमी के आधार हैं। अब सब घट रहा है, मगर फिर भी महत्वपूर्ण बना हुआ है। रोहित जैसे सैंकड़ो आदिवासी इस दौरान दाना, पानी, तीर कमान के साथ जंगल में सुबह से घुस जाते हैं। शाम को प्रकृति की भेंट से लबालब लौटते हैं।
कोई सात आठ साल पहले कुछ जंगल साफ कर, एक पावर प्लांट लगा था। आज तक चिमनी अच्छे दिन का धुआं न देख पाई। कई किसानों की जमीन भी उसमे जज्ब है, हालांकि तब कीमत अच्छी मिल गयी थी। फैक्ट्री का कर्ज शायद NPA हो गया हो, शायद NPA आपने अब तक माफ भी कर दिया हो। लेकिन कौन सा आपको पता भी होगा। दरियादिली इसी को कहते हैं। जो दे दे खुशी से और न रोये किसी से..
तो वो दरियादिल, जो इकॉनमी बूस्टर खरीदने को लाइन में मरे- कटे जा रहे थे, उनसे निवेदन है कि शराब के साथ सिगरेट नही, बीड़ी का सेवन करें। रोहित, विजय माल्या से ज्यादा सुपात्र औऱ शरीफ है, मैं गारंटी लेता हूँ। वैसे भी स्वावलंबन और स्वदेशी का नारा बुलंद हो चुका।
मेरा वक्त आज बढ़िया कट रहा हैं। फिलहाल मुझे जाना है। आप प्लीज, बीड़ी जलई लो.. जिगर से, या भक्तो.. जहां सुलगे वहां से..