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गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत के बड़े मायने, हिमाचल में काटें की टक्कर में होने का बीजेपी को मिलेगा बड़ा लाभ
केंद्र में बीते आठ वर्षो से लगातार सत्ता में काबिज भारतीय जनता पार्टी का विजय रथ लगातार आगे बढ़ता जा रहा है। आज देश में दो राज्यों के विधानसभा चुनाव के परिणामों की घोषणा हुई जिसमें गुजरात और हिमाचल प्रदेश प्रमुख रूप से शामिल है। दोनों राज्यों के परिणामों के घोषित होने के बाद जहां हिमाचल में वहा कि जनता ने रिवाज को कायम रखते हुए इस बार सत्ताधारी दल भाजपा को सत्ता से बेदखल करके कांग्रेस को अगले पांच साल के लिए देवभूमि की कमान सौंप दी। वहीं दूसरी ओर गुजरात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कड़ी मेहनत रंग लाई है और भाजपा ने गुजरात में रिकार्ड जीत हासिल करते हुए कुल 156 सीटों पर जीत दर्ज की है।
यहां पर सबसे पहले गुजरात चुनाव परिणामों पर बात करना ही सही होगा क्योंकि भाजपा ने यहां पर लगातार सातवी बार प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल करके सत्ता में अपनी वापसी की है। दरअसल गुजरात विधानसभा चुनाव इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण हो गए थें क्योंकि यहां पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सीधे विपक्षी दलों के सामने थें। गुजरात में भले ही निर्वतमान मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल सीएम का चेहरा रहें हो, लेकिन सच बता तो यह है कि इस बार गुजरात में भाजपा ने पूरा चुनाव नरेन्द्र मोदी के नाम पर ही लड़ा। गुजरात चुनाव में इस बार बीजेपी ने न सिर्फ चुनाव में अप्रत्याशित जीत दर्ज की है, बल्कि प्रदेश के अंदर अपने मतदाताओं में भारी इजाफा भी किया है। गौरतलब हो कि गुजरात विधानसभा के पिछले चुनाव परिणामों पर नजर डाले तो बीजेपी की सीटें लगातार वहा पर कम होती जा रही थी। साल 2017 की ही बात करें तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कुल 99 विधानसभा सीटों पर ही जीत मिल सकी थी। जिसके बाद भाजपा गुजरात में किसी तरह से सरकार बनाने में कामयाब रही थी। हालांकि कांग्रेस को भी साल 2017 के चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटें मिली थी। लेकिन इस बार कांग्रेस पार्टी को इस बार केवल 17 सीटों पर ही जीत मिल सकी है।
विपक्ष हुआ धराशाही, नहीं चला एंटी इनकम्बेंसी कार्ड
गुजरात में विपक्ष इस बार पूरी तरह से धराशाही होता दिखा है। दरअसल गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार जो राजनीतिक पंडितों व विश्लेषकों की ओर से कयास लगाए जा रहें थें उन सभी कयासों से बिल्कुल उलट ही गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम आए है। इस बार गुजरात में कांग्रेस व आप पार्टी को बीजेपी के 15 साल के एंटी इनकम्बेंसी फैक्टर से काफी उम्मीदें थी। लेकिन नरेन्द्र मोदी के विकास के मुद्दे और गुजरात सरकार के द्वारा कराए गए कार्यों ने पूरे विपक्ष के अरमानों पर पानी फेर दिया। गुजरात में जनता ने इस बार नरेन्द्र मोदी व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल के कार्यों को ही सही मानकर अपना जनादेश दिया है।
गुजरात में पहले से कम हुआ कांग्रेस का जनाधार
इस साल 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को महज 17 सीटों पर जीत मिल सकी है। हालांकि पिछले साल 2017 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को कुल 77 सीटों पर जीत मिली थी । इस लिहाज इस बार कांग्रेस पार्टी का जनाधार गुजरात में काफी कम हुआ है। दरअसल अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस पार्टी पर इस बार शायद गुजरात की ज्यादातर जनता भरोसा नहीं कर पायी। गुजरात में अभी तक बीजेपी के बाद कांग्रेस पार्टी ही सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी के रूप में स्थापित थी लेकिन इस बार आप की एंट्री के बाद भाजपा के विरोध में मत करने वाले कुछ मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी को भी वोट किया है।
भारत जोड़ो यात्रा भी नहीं जीता सकी हारती हुई कांग्रेस को
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी कांग्रेस को इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में जीत नहीं दिला सकी। दरअसल कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी मौजूदा समय में भारत जोड़ो यात्रा कर रहें हैं। इस दौरान राहुल के अलावा प्रियंका गांधी सहित कई बड़े कांग्रेसी नेता मसलन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी गुजरात विधानसभा चुनाव में कई रैलियां और सभाएं की। हालांकि इन सभी नेताओं की रैलियों और सभाओं के बाद भी कांग्रेस को जीत नहीं मिल सकी। जबकि सभी कांग्रेस नेताओं को यह पूरी उम्मीद थी कि गुजरात में इस बार कांग्रेस को पिछली बार की 77 सीटों की तुलना में ज्यादा सीटें मिलेंगी। लेकिन आठ दिसंबर को आएं परिणाम बिल्कुल इसके विपरित रहें। दरअसल कांग्रेस पार्टी को सबसे ज्यादा उम्मीदें राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से ही थी। लेकिन राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का कोई खास प्रभाव गुजरात विधानसभा चुनाव में नहीं देखने को मिला है। राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा में आम लोगों व जनमानस को उस तरीके से नहीं अपने आप से नहीं जोड़ पाएं जिस तरह से उन्हें या़त्रा के दौरान लोगों को जोड़ना चाहिए था। राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान केवल अपनी यात्रा पर फोकस किया और चुनावों के दौरान भी यात्रा ही करते रहें। लेकिन वही दूसरी ओर भाजपा की ओर से प्रचार में जुटें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आम लोगों से अपने को जोड़ने की लगातार कोशिश की। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात चुनाव के दौरान आम युवा और आम आदमी की समस्याओं और उनके समाधान पर ज्यादा फोकस करते हुए अपना चुनाव प्रचार किया जिसकी बदौलत उन्हें गुजरात विधानसभा चुनाव में बेहतर बहुमत हासिल हो सका। राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान केवल नरेन्द्र मोदी और वीर सावरकर जैसे मुद्दों पर ही अपने आपको केंद्रित रखा जिसकी वजह से उनके भाषणों और यात्रा का गुजरात चुनाव में ज्यादा असर नहीं हो पाया।
आप की उम्मीदें हुई साफ
आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल को इस बार दिल्ली व पंजाब के चुनाव परिणामों की तरह गुजरात में भी अच्छे चुनाव नतीजों की उम्मीद थी। आप के प्रमुख अरविंद केजरीवाल के इस बार पूरी उम्मीद थी कि गुजरात में उनकी पार्टी को अच्छा बहुमत मिलेगा। लेकिन भाजपा की आंधी इस बार आम आदमी पार्टी को महज पांच सीटे ही मिल सकी। दरअसल खुद अरविंद केजरीवाल ने भी नहीं सोचा होगा की इस बार गुजरात में उनको केवल पांच सीटे ही मिल सकेंगीे। दअरसल आप के मुखिया अरविंद केजरीवाल गुजरात में अपनी पार्टी को ज्यादा से ज्यादा सीटी जीताकर अपनी पार्टी की छवि को राष्ट्रीय के रूप में गढ़ना चाहते थें।
लेकिन गुजरात की जनता ने अपना भारी जनादेश बीजेपी को देकर यह बता दिया कि अभी गुजरातियों को नरेन्द्र मादी की नीतियों पर पूरा भरोसा है। अरविंद केजरीवाल की फ्री वाली रेवड़ियों का असर इस बार गुजरात के लोगों पर बिल्कुल भी नहीं चल सका। इसके अलावा अरविन्द केजरीवाल ने इस बार गुजरात में चुनाव के दौरान दर्जनों रैलियां व सभाओं को संबोधित किया। इस दौरान अरविंद केजरीवाल ने आटो में घूमकर और आटो चालक के घर खाना खाकर अपने को आम गुजरातियों से जोड़ने की भी कोशिश की। लेकिन जनता ने इन सभी बातों को दरकिनार करते हुए भाजपा को अपना भारी जनसमर्थन दिया।
नरेन्द्र मोदी की छवि हुई मजबूत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में काफी ज्यादा मेहनत की थी। हालांकि आठ दिसंबर को गुजरात विधानसभा चुनाव के परिणाम भी उसी अनुरूप देखने को मिले है। दरअसल गुजरात में भाजपा के 182 सीटों में 157 सीटें जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि व उनकी लोकप्रियता गुजरात सहित पूरे देश में पहले से ज्यादा बढ़ गई है। दरअसल गुजरात में इस बार वहा के मौजूदा मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल से ज्यादा चुनाव प्रचार खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहें थें। ऐसे में गुजरात चुनाव में भाजपा की जीत का श्रेय भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया जाना सही होगा। गुजरात चुनावों में भाजपा की प्रचंड जीत के बहुत बड़े मायने है जिसका लाभ पार्टी को दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव में मिलेगा। गुजरात के अलावा हिमाचल प्रदेश में भी भाजपा को इस बार बेहतर सीटे मिली लेकिन वहा की जनता ने रिवाज को बदलने के बजाय उसे कायम रखा।
हिमाचल की जनता ने कायम रखा रिवाज
हिमाचल प्रदेश में इस बार जनता ने सालों से चलें आ रहें रिवाज को कायम रखा है। हिमाचल प्रदेश में इस बार सत्ताधारी दल भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। जबकि पांच साल से सत्ता में वापसी की राह देख रहीं कांग्रेस को पूर्ण बहुमत मिल गया है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस को इस बार 40 सीटें मिली है जबकि भाजपा को महज 25 सीटे ही मिल सकी है। इस लिहाज से हिमाचल में इस बार कांग्रेस की सरकार बनना तय हो चुका है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश में तीन सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। हालांकि आम आदमी पार्टी भी इस बार हिमाचल प्रदेश का चुनाव लड़ी थी लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिल सकी। इसके अलावा यदि भाजपा और कांग्रेस के पिछले विधानसभा चुनाव के प्रदर्शन की बात करें तो साल 2017 में भाजपा को हिमाचल में कुल 44 सीटें मिल थी। इसके अलावा कांग्रेस को साल 2017 में कांग्रेस को महज 21 सीटें ही मिली थी। इस लिहाज से जहां इस बार हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जहां बीजेपी ने 19 सीटें कम प्राप्त की है वहीं कांग्रेस ने पिछली बार की तुलना में 19 सीटें अधिक प्राप्त की है। लेकिन जो भी हो हिमाचल में सालों से चला आ रहा रिवाज वहा की जनता ने इस बार भी कायम रखा और रिवाज के अनुसार इस बार सत्ताधारी दल भाजपा को देवभूमि में हार का सामना करना पड़ा है।