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जन्मस्थल और कर्मस्थल, "महारानी लक्ष्मीबाई और पराक्रमी बाबू वीर कुंवर सिंह"
आईपीएस विनय तिवारी
बचपन के दिनों में कोई नायक नहीं था जीवन में, कोई आदर्श था तो एक नायिका थी। अपने जन्मस्थान की नायिका, ललितपुर-झांसी क्षेत्र के भाल का गौरव महारानी लक्ष्मीबाई। भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की क्रांति का एक ऐसा चरित्र जो उन्मुक्त वीरता का पर्याय थी। बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी/खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी। वह तो महारानी लक्ष्मीबाई थी। अपनी दादी काकी नानी को हम लोग बाई ही बुलाते थे। बाई शब्द हमारे लिए बहुत बड़ा प्रतीक है। सामर्थ्य, कौशल, वीरता, बलिदान , त्याग का पूज्य प्रतीक, महारानी की विरासत का प्रतीक। रानी कहती थी मैं अपनी झांसी नहीं दूंगी और उन्होंने मरते दम तक अपने क्षेत्र को पश्चिमी आक्रमणकारियों से दूर रखा। कक्षा 5 में विद्यालय से 3 मित्रों का चयन हुआ था। ललितपुर से झांसी होते हुए समथर जाना था। कानपुर झांसी परिक्षेत्र के हर विद्यालय से आये बच्चों के बीच छोटी-सी प्रतियोगिता थी। एक शिक्षक और हम तीन बच्चे सुबह 4 बजे की ट्रैन से झांसी पहुँचे। गुरुदेव बोले प्रतियोगिता से पहले झांसी की महारानी का किला और उनकी पूरी कहानी आप सभी को बताना आवश्यक है। उस दिन पहली बार झांसी के उस अभूतपूर्व किले और महारानी के कौशल के दर्शन हुए थे।
तब से आज तक कई राज्यों और नगरों के दर्शन करते करते वर्तमान कर्मस्थल - भोजपुर आया, जहाँ की मिट्टी बाबू वीर कुंवर सिंह के पराक्रम और उनके शौर्य से सिंचित है। भाग्य है महारानी लक्ष्मीबाई के क्षेत्र में जन्म लेना और परम सौभाग्य है बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती की सेवा करना। कल वीर बाबू वीर कुंवर सिंह के पराक्रम उत्सव पर भारत के गृहमंत्री की सुरक्षा प्रबंधन के दौरान अपने जन्मस्थल और कर्मस्थल के बीच यह अनोखा और मधुर संबंध मन में आह्लाद भरता रहा।
वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के एक महान नायक और एक महान नायिका की असीम ऊर्जा के स्मरण मात्र से जीवन के समस्त भय को समाप्त किया जा सकता है। माँ शारदा की अवतार स्वरूपा झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई और भोजपुर के पराक्रमी दद्दा बाबू वीर कुंवर सिंह का आशीर्वाद हम सभी के भय का अंत करे। न भूत का भय हो, न भविष्य का भय हो। इन दो महापराक्रमी योद्धाओं से भारतवर्ष की यही त्याग, बलिदान, शौर्य और समर्पण की चेतना हम सभी में निरंतर जाग्रत होती रहे। अपनी ऐसी विराट विरासत को हम अपने अंदर जीवंत रखें। अद्भुत वीरता, युद्ध कुशलता, त्याग और बलिदान की भावना से भारतीय समाज हमेशा प्रज्जवलित होता रहे।
जय हिन्द
महारानी लक्ष्मी बाई और बाबू वीर कुंवर सिंह सदैव अमर रहें।