हमसे जुड़ें

ndtv और रिपब्लिक दोनों ही चैनल्स के मालिकों की एक ही आइडियोलॉजी है, क्या आप जानते है?

Shiv Kumar Mishra
24 Oct 2020 1:30 PM IST
ndtv और रिपब्लिक दोनों ही चैनल्स के मालिकों की एक ही आइडियोलॉजी है, क्या आप जानते है?
x
.जवाब है नहीं, दोनों ही चैनल्स के मालिकों की एक ही आइडियोलॉजी है, और वो ही बिज़नेस प्रॉफिट। पढ़िए कैसे।

'क्या आपको भी अजीब लगता है की ndtv और रिपब्लिक टीवी दोनों बिलकुल अलग अलग न्यूज़ दिखाते हैं ? और अलग अलग ही नहीं, वो same खबर को भी अलग अलग तरीके से दिखाते है।

कभी सोचा है क्यों ? क्या उनके मालिकों की कोई आइडियोलॉजी है जिस कारण वो इस तरह से न्यूज़ को दिखाते हैं ?

.जवाब है नहीं, दोनों ही चैनल्स के मालिकों की एक ही आइडियोलॉजी है, और वो ही बिज़नेस प्रॉफिट। पढ़िए कैसे।

.अमेरिका में 1980 तक न्यूज़ बड़ी ही न्यूट्रल रहा करती थी, थोड़ा समय आती थी और लोग खबर देखकर एंटरटेनमेंट में लग जाते थे, फिल्में देखते थे, टीवी सीरियल देखते थे। लेकिन फिर 1980 में CNN आया, और 24 घंटे न्यूज़ दिखाने लगा, और ये फॉर्मेट हिट रहा न्यूज़ का। अब हिट रहा तो बाकी भी आ गए, सब 24 घंटा न्यूज़ दिखाने लगे। लेकिन फिर 1996 में पता नहीं क्या हुआ और दो ऐसे चैनल आये जो बिलकुल अलग न्यूज़ दिखाने लगे,

पहला फॉक्स न्यूज़ आया जोकि कन्सेर्वटिव विचारधारा की खबरें दिखाने लगा और दूसरा msnbc आया जोकि लिबरल न्यूज़ दिखाने लगा। लोगो को शुरू शुरू में इनमे फर्क समझ में नहीं आया, लेकिन धीरे धीरे लोग अपनी विचारधारा के हिसाब से इन न्यूज़ चैनल्स को देखने लग गए।

और कमाल क्या हुआ की दोनों ही की viewership में जबरदस्त उछाल आया और दोनों ही सुपरहिट हो गए, जबरदस्त पैसा कमाने लगे। दोनों ही के समर्थक झगडे भी करते थे, डिफेंड भी करते थे अपने फेवरेट न्यूज़ चैनल को। इस से हुआ ये की इनकी विएवेरशिप मिला के बाकी सभी चैनल्स से ज्यादा हो गयी थी ! और इंडिवीडुअली भी ये सभी को टक्कर दे रहे थे। 2006 आते आते तो इन्होने तहलका ही मचा दिया था।

.आपने यूट्यूब चैनल देखें होंगे,

कोई साइंस के बारे में होता है, कोई स्पोर्ट्स के बारे में, कोई फिल्मों में बारे में, कोई शायरी के बारे में, हरेक की एक स्पेशलाइजेशन होती है, लेकिन न्यूज़ चैनल्स की क्या स्पेशलाइजेशन हो सकती है ?

न्यूज़ चैनल्स की स्पेशलाइजेशन होती है आइडियोलॉजी !

क्यूंकि न्यूज़ चैनल्स का 90% कंटेंट राजनीती से जुड़ा होता है इसलिए वो अगर एक व्यूअर को वापिस अपने चैनल पर लाना चाहता है तो उसे ये बताना पड़ेगा की उसे अगली बार कैसा कंटेंट देखने को मिलेगा, और ये "कैसा" होता है लिबरल या कन्सेर्वटिव, संघी या सेक्युलर !

.न्यूज़ चैनल्स असल में बिज़नेस है, और वो मार्किट सेगमेंटेशन को बड़े ध्यान से देखते हैं। आपने गौर किया होगा की बीबीसी हिंदी पर ज्यादातर दलितों के समर्थन में और अम्बेडकरवादी आर्टिकल आते हैं, OpIndia पर ज्यादातर संघी से रिलेटेड कंटेंट आते हैं !

ट्रेंड देख रहे हैं। हर चैनल हर न्यूज़ साइट हर अखबार अपनी विचारधारा को क्लियर कर देना चाहता है ताकि आइडियोलॉजी का नशेड़ी सीधा उनके पास आये कहीं और ना जाए। आपने भारत के लिबरल्स को बहुत बार देखा होगा TheHuffingtonPost के आर्टिकल शेयर करते, कभी सोचा है क्यों ? क्योंकि वो विदेश का NDTV है।

.अच्छा अब मजे की बात पता है क्या है ?

इन ज्यादातर बड़े न्यूज़ चैनल्स वगैरह के मालिक या इन्वेस्टर एक ही हैं, या फिर आपस में रिश्तेदार हैं ! और कोई इन्वेस्टर अपने शो रनर्स से नहीं पूछता की वो इस आइडियोलॉजी के साथ क्यों चिपका हुआ है, क्यूंकि उसे पता है की क्यों चिपका हुआ है इसीलिए तो उसने उसमे इन्वेस्ट किया है !

.और ये आइडियोलॉजी का थोड़ा बहुत घालमेल करते रहते हैं बदलते हुए समाज के साथ। जैसे बिहार में चुनाव है जहां की संघी वोटर्स कम हैं comparatively तो उस दौरान संघी चैनल्स भी थोड़ा सा लिबरल हो जाएंगे, ताकि लिबरल लोग वहाँ कुछ दिनों के लिए आकर्षित हों ! ऐसे ही लिबरल चैनल्स का आपको दीखता होगा की ये अचानक से चड्डी क्यों पहन गया,

उसका भी कारण यही होता है। बहती गंगा में हाथ धोते हैं ये लोग।

.सार :- आप लोगों की विचारधारा इनका प्रोडक्ट हैं। ये आपके दिमाग के साथ खेलते हैं। ये हार्डकोर बिजनेसमैन है, असल बेवकूफ ये नहीं आप और हम हैं, ये बस हमारी बेवकूफियों पर शाबाश शाबाश करने वाले लोग हैं।

Next Story