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राजीव गांधी फाउंडेशन और पीएम केयर्स में कोई बराबरी नहीं है, लेकिन इन छह सवालों का जबाब कब देगी बीजेपी
राजीव गांधी फाउंडेशन को चीनी चंदे के वर्षों पुराने, ऑडिट किए जा चुके और सार्वजनिक तौर पर घोषित जानकारी के बावजूद पर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा मीडिया के जरिए पूछे गए सवाल के सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री राहत कोष में चीनी कंपनियों के दान या चंदे से संबंधित कई खबरें निकल कर आ गई हैं। इसे कुछ बीजेपी समर्थक राजीव गांधी फाउंडेशन और पीएम केयर्स की तुलना कह रही है और दोनों को अलग बता रही है। इसमें कोई दो राय नहीं है दोनों अलग हैं और बहुत अलग है।
राजीव गांधी फाउंडेशन का काम पैसे जुटाना नहीं है। वह राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह का उपयोग नहीं करता। उसके कर्ता धर्ता देश के प्रधानमंत्री नहीं हैं और विदेशी चंदा पाने वाले देश के 14800 गैर सरकार संस्थानों के बंद किए जाने के बावजूद चल रहा है और चंदा पा रहा है - इसलिए गलत हो रही नहीं सकता। पीएम केयर्स से संबंधित सवाल का जवाब दिया जाता है कि वह आरटीआई के तहत नहीं है और राजीव गांधी फाउंडेशन से सवाल छह साल नहीं पूछे गए अब पूछा जा रहा है ये कुछ खास अंतर हैं। बाकी दोनों अभी क्यों महत्वपूर्ण हो गए वह आप आगे पढ़कर जानेंगे।
पीएम केयर्स की जिम्मेदारी राजीव गांधी फाउंडेशन के मुकाबले बहुत ज्यादा है। पीएम केयर्स भीख मांगने, चंदा जुटाने, नागरिकों की सेवा करने के लिए टैक्स और दूसरे सरकारी तरीकों से इतर कोशिश है। हजारों करोड़ रुपए का काम अंशकालिक तौर पर किए जाने लायक नहीं है। निश्चित रूप से प्रधानमंत्री और दूसरे मंत्रियों को पूर्णकालिक तौर पर काम करने के लिए वेतन, भत्ते और सुविधाएं मिलती हैं। इस दौरान वे दूसरा काम नहीं कर सकते हैं नहीं करना चाहिए।
प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्री किसी ट्रस्ट के लिए दान मांगें तो प्राप्त धन कमीशन या रिश्वत नहीं है यह कैसा तय होगा। इसमें लेने वाले की घोषणा पर्यप्त नहीं है। लेना वाला भले न माने देने वाला तो दबाव में ही देगा। ऐसी स्थिति राजीव गांधी फाउंडेशन के साथ नहीं होगी। पहले किसी प्रधानमंत्री ने इस तरह धन नहीं जुटाए हैं और यह नैतिक रूप से बिल्कुल गलत है जबकि राजीव गांधी फाउंडेशन ऐसा नहीं है।
इसके अलावा नरेन्द्र मोदी सरकार छह साल से सत्ता में है। उसमें कुछ गलत था तो कार्रवाई की जानी चाहिए थी अब नालायकियां पकड़े जाने पर फाउंडेशन का मामला उठाना खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे से अलग कुछ नहीं है। वैसे भी, देश को एकजुट होकर चीन से लड़ना था जो सरकार कांग्रेस से लड़ रही है और सीख दे रही है कि सब सरकार का साथ दें क्योंकि चीन से लड़ना है।
इस संदर्भ में पत्रकार Navneet Chaturvedi ने पूछा है,
1. राजीव गांधी फाउंडेशन को जो भी चंदा 90 लाख जो आपने बताया यदि वो लौटा दिया जाए तो क्या चाइना गलवान घाटी से वापस चला जायेगा ?
2. क्या चाइना इसलिए हमारी जमीन कब्जा कर रहा है क्योंकि उसने आरजीएफ में चंदा दिया है ?
3. आपने जो पीएम केयर्स फण्ड में चाइना वाली कंपनीज से सैकड़ों करोड़ का चंदा लिया है उसको कैसे जस्टिफाइ करेंगे ?
4. बजाय चाइना को लाल आंख दिखा कर उसको हमारी जमीन से खदेड़ने के आप यहां कांग्रेस से क्यों लड़ रहे है?
5. गलवान घाटी में हमारे 23 फौजी मारते मारते मरे है जबकि न तो कोई अंदर घुसा हुआ था और न कोई घुसा है, तो फिर ये फौजी किसको मारते मारते मरे है और कहां मरे है हमारी जमीन पर या चाइना की जमीन पर ?
6. देश जानना चाहता है क्या कोई सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक की जाएगी हमारे 23 फौजियों की शहादत का बदला क्या आप ये टुच्चे आरोप विपक्ष पर लगा कर लेंगे?
सरकार जवाब नहीं देती है, नहीं देगी। हम उम्मीद भी नहीं करते। पर सरकार ने कांग्रेस को भी अपने जैसा बना लिया है। अब वह भी जवाब नहीं देती। बाकी जो विकास हुआ है सो आप जानते हैं। लड़िए इस बात पर कि नोटबंदी, जीएसटी और बेरोजगारी को विकास के आस में पैदा हुई तीन लड़कियां क्यों कहा गया। भाजपा यही चाहती है। पर छह साल ऐसे समय काटेगी तो आगे मनोरंजन भरपूर होने वाला है। पॉपकॉर्न की तैयारी रखिए, सीट बेल्ट बांध लीजिए। कोक में डालने के लिए बर्फ का जुगाड़ मैं करता रहूंगा।