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बंगाल के ताकतवर आदिवासी नेता छत्रधर महतो को बीती रात 3 बजे गिरफ्तार किया
पंकज चतुर्वेदी
अब बंगाल चुनाव में भी सत्ता पर कब्जे का सबसे बड़ा हथियार बन गयी एन आई ए अर्थात राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी ने मोर्चा संभाल लिया है। बंगाल के ताकतवर आदिवासी नेता छत्रधर महतो को बीती रात 3 बजे गिरफ्तार किया गया। मामला 2009 का है, जाहिर है कि यह एक राजनीतिक कदम है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने माओवादी से तृणमूल कांग्रेस के नेता बने छत्रधर महतो को गिरफ्तार कर लिया है. बताया जा रहा है कि एनआईए ने महतो को देर रात 3 बजे लालगढ़ में स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया है. जानकारी के मुताबिक महतो को राजधानी एक्सप्रेस केस में गिरफ्तार किया गया है.
बता दें कि इससे पहले भी महतो को एनआईए ने गिरफ्तार किया था. वे दस साल जेल में रहे। लेकिन जेल से आने के बाद महतो को टीएमसी में शामिल कर लिया गया था. छत्रधर महतो बीते साल माओवाद का रास्ता छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे.
छत्रधर महतो की पत्नी ने बताया वाकया
"आजतक" के रिपोर्टर के साथ बातचीत में छत्रधर महतो की पत्नी नियति महतो ने बताया कि उन्होंने (छत्रधार महतो) शनिवार को सुबह 9 बजे अपना वोट डाला. हमारी मां पिछली रात से ठीक नहीं थी, इसलिए हम उन्हें इलाज के लिए लालगढ़ अस्पताल ले गए. वहां से उन्हें झाड़ग्राम अस्पताल रेफर कर दिया गया. हमने पूरा दिन वहीं बिताया और रात 9 बजे उनको लेकर घर ले आए. नियति महतो ने बताया कि रात के खाने के बाद, छत्रधर तकरीबन 10:30 बजे थोड़ी देर के लिए सो गए. वहीं देर रात 12 बजे फिर से वो मां के हालचाल के लिए उठे और फिर वो सोने के लिए चले गए. उस वक़्त तकरीबन रात का ढाई बज रहा होगा.
नियति ने आगे बताया कि अचानक मेरा बेटा जो घर में बाहर की तरफ सोया हुआ था, जाग गया. बाहर की तरफ सो रहे चार लोगों से फोन छीन लिए गए. कुछ लोग हमारे घर में घुस गए और हमारी छत पर पहुंच गए. नियति कहती हैं कि हम संयुक्त परिवार में रहते हैं. घर में घुसे लोगों ने सभी को जगाया, और उनके फोन छीनकर उन्हें घर से बाहर धकेल दिया.
फिर छत्रधर को धक्का देकर छत से नीचे लाया गया. ऐसे में जब नियति ने पूछा कि क्या मामला है, तो उन्हें बाहर जाने के लिए कहा गया. घर में घुसने वालों ने कहा कि वो पुलिस स्टेशन से आये हैं. नियति के मुताबिक कम से कम 40-50 लोग घर में घुसे थे. बता दें कि छत्रधर महतो की पत्नी नियति, पश्चिम बंगाल में एक सामाजिक कार्यकर्ता और बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य हैं.
एक बात जान लें यदि राजनीतिक और चुनावी मतभेद को किनारे रख कर सभी दलों-कांग्रेस और वाम दलों ने, चुनाव या अन्य स्थिति में केंद्रीय एजेंसियों और यू ए पी ए के दुरुपयोग पर एकजुट कड़े कदम नहीं ऊठाये तो हर एक का नम्बर आएगा।