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- भोपाल की बेगमात का...
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल जो एतिहासिक व नवाबी शहर रहा है और शैक्षणिक व साहित्यिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण होने के सुदंर पहाड़ियों और झीलो का भी शहर है। रियासत भोपाल के नवाबी दौर की कुछ बेगमात बहुत मशहूर हैं और जिस समय विशेषकर मुस्लिम समाज में लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता था और महिलाएं अपने घर की चहारदीवारी में ही रहती थी।
फोटो: भोपाल रियासत के संस्थापक नवाब दोस्त मोहम्मद खान और वरिष्ठ उर्दू साहित्यकार शारिक रब्बानी
इन बेगमात ने शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया और कुशल शासन भी किया । इस प्रकार भोपाल की बेगमात का महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है । प्रस्तुत है बेगमात का सूक्ष्म परिचय....
1. नवाब कुदसिया बेगम
नवाब कुदसिया बेगम नवाब नजर मोहम्मद खान की मृत्यु के बाद भोपाल की नवाब व शासक बनी। वह न्याय प्रिय व प्रजा पालक थी।उन्होंने सदैव हिन्दू और मुसलमान सभी को एक समान दृष्टि से देखा और प्रजा की भलाई के लिए अनेक काम किये।
2 . नवाब सिकन्दर जहां बेगम
सिकन्दर जहाँ बेगम ने अपने पति नवाब जहाँगीर मोहम्मद खान के बाद शासन की बागडोर संभाली ।उन्होंने भोपाल रियासत में अच्छे प्रबन्ध किये अमन व चैन का माहौल बनाया।तथा बुद्धजीवियों और आलिमों को भोपाल आमंत्रित कर भोपाल की प्रजा को उनसे लाभान्वित होने के अवसर प्रदान किये।नवाब सिकन्दर जहाँ बेगम उच्च कटि की प्रशासक राजनीतिज्ञ और सूझबूझ की शासक व प्रबंधक थी।
3 . नवाब शाहजहां बेगम
नवाब शाहजहां बेगम सिकन्दर जहाँ बेगम की पुत्री थी और इनको उनकी माता सिकन्दर जहाँ ने उन्हें उच्च शिक्षा और शासकीय प्रबंधन के प्रशिक्षण भी दिलवाये थे।नवाब शाहजहां बेगम जब भोपाल रियासत की शासक व नवाब बनी तो उन्होंने प्रजा के लिये तुरन्त न्याय पाने की व्यवस्था की।उनके समय में शासक व प्रजा के मध्य इतने करीबी संबंध होते थे, कि किसी भी व्यक्ति को अपनी परेशानी शासक को बताने के लिये भटकना नहीं पडता था। इनके समय मेें बहुत से निर्माण के काम हुए।
4 . नवाब सुल्तान जहां बेगम
नवाब सुल्तान जहाँ बेगम सन् 1901में भोपाल रियासत की शासक व नवाब बनी ।नवाब सुल्तान जहाँ बेगम ने शासन की बागडोर सँभालने के बाद सबसे पहले रियासत के राजस्व की ओर ध्यान दिया।साथ ही उन्होंने अपनी रियासत की प्रजा के लिए समय के अनुसार पढाई के उचित प्रबंध किये।
अँग्रेजी तथा नई शिक्षा के लिए अलकजेंडर हाई सकूल की स्थापना की। लड़कियों की शिक्षा पर भी विशेष धयान दिया। लड़कियों को हस्तशिल्प, कशीदाकारी तथा तकनीकी शिक्षा देने के लिए भोपाल में सुल्तानिया हाई स्कूल के नाम से स्कूल खोला। शिक्षा में रूचि रखने वाले लड़के लड़कियों के लिए रियासत की ओर से स्कालरशिप एवं बाहर जाकर उच्च शिक्षा लेने वालों के लिये विशेष स्कालरशिप की व्यवस्था की गई तथा जनता की भलाई के अनेक काम किये गये ।
इस प्रकार बेगमात-ए-भोपाल का शासन काल बहुत अच्छा रहा और इन बेगमात ने खुद करके महिलाओं को यह संदेश दिया कि महिलाओं को भी शिक्षा ग्रहण करनी चाहिए और सभी क्षेत्रों में आगे बढना चाहिए। इस प्रकार इनका महिला सशक्तिकरण में विशेष योगदान रहा है।
महिलाओं को इनसे सीख हासिल करनी चाहिए और पुरुषों को भी यह समझना चाहिये कि महिलाओं को बराबरी का हक है वह सभी क्षेत्रों में सफलता के साथ अपनी प्रतिभा दिखा सकती हैं ।
- शारिक रब्बानी, वरिष्ठ उर्दू साहित्यकार
नानपारा, बहराईच (उत्तर प्रदेश)