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- कोरोना फ्री दवा पर...
कोरोना फ्री दवा पर बोले पप्पू, करियाम्मा ये मत भूलो मेरे पुरखे हैजा, प्लेग, पोलियो, टीवी का टीका फ्री में दे चुके है!
सुनील कुमार मिश्र
कल करियाम्मा ने घोषणा की कि अगर बिहार के लोगों ने उनकी पार्टी के शासन की चौथी स्वीकारी, तो सबको कोरोना वैक्सीन फ्री में मिलेगी। इस प्रलोभन पर कर केंचुआ शांत है क्योंकि ये कोई आईटम नही, बल्कि छूत की बीमारी से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने की दवाई है।। ये बात अलग है कि जनता को किसी राजनैतिक छूत की बीमारी से कोरोना बीमारी बहुत छोटी समझ में आये और वो वोट के माध्यम से संदेश ज़ारी कर दे कि "जा खुदय उड़ेल ले अपनी फ्री मा जारी वैक्सीन, हमारा वोट ओहिसे बड़ी छूत की बीमारी को दूर भगावे का जरिया बनी।
लेकिन इस चुनावी घोषणा का असर दूसरे प्रदेशों में रहने वाले वासिंदो पर भरपूर पड़ा। सब कैलेंडर पलट के देखने लगें कि "अप्पे यहां कब चुनाव है"? वर्तमान में सरकार के बहुमत की स्थिति क्या है? दो चार कीड़ा मकौड़ा इधर की बजाय अगर बैठ जाये तो क्या दुबारा चुनाव की संभावनाएं है? जिन प्रदेशों में हाल में ही चुनाव हुये है 👉वो लोग़ उन प्रदेशों के मुखिया को कातर दृष्टि से देख रहे है कि दहिजार भंग करे अपना मंडल, तो कमंडल वाली करियाम्मा मुँह मा लुंगी लपेट के चुनावी घोषणापत्र जारी करे और फ्री मा वैक्सीन मिले पूरे राज्य का।
वैसे करियाम्मा ये भूल गई कि उनका लाड़ला पप्पू भी बिहार लैंड कर चुका है और कही उसने अपने पुरखों के द्वारा देश में जानलेवा बीमारियों जैसे हैजा, चेचक, पोलिओ, हेपाटाइटिस बी की फ़्री में बांटी गई वैक्सीन के बदले मेँ वोट मांगना शुरू कर दिया तो क्या होगा? करियाम्मा की वैक्सीन तब बांटोगी ना जब बनेगी, जिसके बनने के बारे मे अभी विकसित देश भ्रम की स्थिति मे है। उस भविष्य की वैक्सीन से अगर आपको बिहार की जनता आपका चौथा पाटा स्वीकार कर ले, तो फिर जो फ्री में वैक्सीन शरीर में लेकर आज वो स्वस्थ पोलिंग स्टेशन पर वोट देने जा रहा उसका कर्ज उतारना भी उसी वोटर का पहले फर्ज बनता है। उस कर्ज को उतारने में सुशासन बाबू तो माईंड तक क्लीनशेव हो जायेगे। बकौल मुखिया👉बिहार का आदमी कन्फ्यूज नही होता बात तो दड़िहल बाबा बराबर बोले है, काहे से बिहारिया कन्फ्यूज करे वाले का ही फ्यूज कई देता हैना...
लेखक के अपने निजी विचार है