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जिंदगी के झरोखे से, सी पी राय जल्दी जाओ नही तो मेरे भाई को मार देंगे, एक राजनैतिक पोल खोल अभियान!
उस दिन एक बड़े नेता से काफी देर से बात हो रही थी पार्टी के मामलो और कार्यक्रमो को लेकर । लैंड लाइन का जमाना था । अभी फ़ोन रख कर चंद कदम ही चला था कि फिर फ़ोन की घंटी बज गई । वापस लौटा और फ़ोन उठाया तो उधर उसी नेता की बहुत घबराहट वाली आवाज सुनायी पड़ी - "सी पी राय जल्दी --- जावो नही तो वो लोग मेरे भाई को मार देंगे "। मैने बीच मे टोका लेकिन उधर से सुना नही गया और उनकी वही घबराहट वाली बात जारी रही -"मैं आप से देर से बात कर रहा था उधर ---( छोटे भाई की पत्नी ) लगातार फ़ोन मिला रही थी ।ज्योही आप से बात बंद हुई उसका फ़ोन आ गया । वो तो अच्छा हुआ की उसने ऊपर से देख लिया उसी समय वर्ना पता ही नही चलता की कौन ले गया और क्या हो गया ।5/6 दारोगा आये और नीचे वो बैठा था और आज और कोई नही था । दारोगाओ ने उसे उठा कर बोरे की तरह गाडी मे फेंका और लेकर भाग गये । आप जल्दी जाओ नही तो अनर्थ हो जायेगा "।
मैने कहा कि आप इतने बड़े है घबराइये मत कुछ नही होगा । मैं जो यहा से कर सकता हूँ कर के तुरन्त निकल जाऊंगा ।
वो बोले आप जितनी तेज चल सकते हो निकलो और पहुचो और मैं बाकी सबको कह दे रहा हूँ की सब लोग आप से बात करे की क्या करना है "।
मैने अपनी पत्नी से कहा कि जल्दी से कुछ कपडे और आवश्यक चीजे एक अटैची या बैग मे रख दीजिये पता नही जेल जाना पडे या कितने दिन रुकना पडे और कारण भी बता दिया ।
इसके बाद सबसे पहले मैने उस जिले के एस पी को फ़ोन मिलाया तो मेरा नाम सुन कर उसने बात नही करना चाहा और उधर से बहाना बना दिया गया पर मैने पेशबंदी के तहत उनके पी आर ओ को को ये बता दिया की मैं खुद उस जिले के लिए तुरंत निकल रहा हूँ और अखबार वालो को तथा काफी नेताओ को भी पहुचने को कह दिया है कि एकत्र हो आप की हरकत के खिलाफ और सब जगह तार करने के लिए भी भेज दिया है ।
इस बीच उस जिले क्या आसपास के जिलो से भी ज्योही फ़ोन खाली होता फ़ोन आ जाता ।मैने उस जिले वालो को कहा की संख्या मत देखो बस हल्ला करते हुये जहा उन्हे पुलिस ने रखा है वहा पहुचे ,मैं भी आ रहा हूँ और बाकी जिलो को कहा की भीड एकत्र कर मेरे अगले फ़ोन का इन्तजार करे ।
फिर उस जिले की डी एम को फ़ोन किया तो वो फ़ोन पर आ गये और उन्होने कहा की उनको कुछ पता नही मैं एस पी से बात करू । मैने उन्हे बताया की वो फ़ोन पर बात करने को तैय्यार नही तो मैं वही पहुच रहा हूँ और आज कुछ ज्यादा हो जायेगा उसकी जवाबदेही तो आप की ही होगी ।
इसी बीच मुझे याद आया की उस क्षेत्र के आई जी तो वो हो गये है जो मुझे एक दिन मिले थे संसद मे और अपना कार्ड दे गये थे की कभी सेवा का मौका दूँ ।
हुआ ये था की चंद्रशेखर जी उस वक्त प्रधानमंत्री थी और मैं उनसे मिलने संसद गया हुआ था किसी वजह से, वर्ना तो उनके घर मे ही बेरोक टोक आवागमन था हम लोगो का ।
संसद के स्वागत कक्ष मे कुछ और साथी मिल गये जो अंदर जाना चाहते थे पर किसी सांसद से उनकी बात नही हो पा रही थी । तो मैने प्रधानमंत्री के कार्यालय मे फ़ोन कर उन सभी का पास बनवा दिया । ये आई जी साहब भी किसी से मिलने के लिए अंदर जाना चाहते थे पर उनसे सम्पर्क नही हो पा रहा था । इतने लोगो का पास बनवाते देख और ये देख की वहा सभी मुझे पहचानते है ,उन्होने अपना परिचय दिया और अपनी परेशानी बताया , उनका पास बनवा कर मैं उन्हे प्रधानमंत्री के कार्यालय मे ले गया और वहा चाय पिलवा कर ही उनको जिससे मिलने जाना था वहा जाने दिया । जाते जाते वो अपना कार्ड दे गये थे की कभी सेवा का मौका दूँ , देश के प्रधानमंत्री के कार्यालय की चाय से वो गदगद थे ।
मेरी याददाश्त काम कर गई और मैने पिछ्ली बार की ट्रांसफर लिष्ट मे पढा था कि वो इसी परिक्षेत्र के आई जी हो गये है ।
मैने तत्काल उन्हे फ़ोन मिलाया और उस तरह से उस गिरफ्तारी पर नाराजगी व्यक्त करते हुये ये भी बताया की मैं इस फ़ोन के बाद तुरंत वहा पहुच रहा हूँ तथा जो भी हो जाये इस बार आरपार की लडाई होगी । अगर ये सत्ता आग ही लगवाना और लोगो की जिन्दगी से ही खेलना चाहती है तो वही सही ।
आई जी ने मुझसे कहा की बस 5 मिनट दे दूँ फिर घर से निकलू ।
वही हुआ 5/7 मिनट मे ही आई जी का फ़ोन आ गया कि आप मत निकलिए उन लोगो ने मूर्खता किया है और मैने तुरंत सम्मान से छोड देने और उनकी कोई गाडी वहा न हो तो खुद घर पहुचाने के लिये कह दिया है और आप को फ़ोन करने के बाद डी जी पी और गृह सचिव को भी फ़ोन करूँगा अभी इस बारे मे ।
तब तक जो गिरफ्तार हुये थे उनकी पत्नी का फ़ोन आ गया की भाई साहब आप अभी तक चले नही ? मैने उनसे कहा कि मैने काम कर दिया है फिर भी अगर 15 मिनट मे छूटने की सूचना नही आये तो आप बताना । उन्होने तर्क करने की और आशंका व्यक्त करने की कोशिश की पर मैने उन्हे आश्वस्त किया । ये फ़ोन रखा ही था की उस बड़े नेता का फ़ोन आ गया की किसी ने उन्हे बताया है फ़ोन पर की ऊपर से कोई फ़ोन आया था और अब छोड रहे है ।
तभी उनका फ़ोन कट गया और फिर गिरफ्तार की पत्नी का फ़ोन आया की भाईसाहब आप का बहुत एहसास है ये जो हम कभी नही भूलेंगे,वो छूट गये ।
फिर बड़े नेता का भी दुबारा फ़ोन आ गया कि छोड दिया । पर वो जानना चाहते थे की मैने किया क्या की इस जालिम सरकार मे भी सुन लिया गया ।
मैने सिर्फ इतना कहा की आप बहुत बड़े है घबराना आप को शोभा नही देता और मैने कुछ भी नही किया बस आप के नाम से ही सब हो गया ।
वो नेता बोले की बताना नही चाहते हो ,हमे पढा रहे हो । हम जानते थे कि आप कुछ भी कर सकते हो इसिलिए बस आप को फ़ोन किया और बाकी सबसे कहा की आप के सम्पर्क मे रहे ।
मैने कहा की मैं क्या हूँ आप का अदना सा सिपाही और प्रणाम कह कर फ़ोन रख ही रहा था की फिर पूछा गया की आप ने किया क्या और मैने अनसुना कर प्रणाम कर फ़ोन रख दिया ।
जिन्दगी के झरोखे मे भी पता नही क्या क्या होता है ,जिसमे से कुछ आप को सुख देते है ,बहुत से दुख देते है और बहुत से घृणा पैदा करते है मन मे तो कुछ एहसास करवाते है की सी पी राय तुम औव्वल दर्जे के मूर्ख रहे जिंदगी भर और आज भी हो ।