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- उर्दू साहित्यकार शारिक...
भारत और नेपाल दोनों ही देशों मे लोकप्रिय शायर व साहित्यकार शारिक रब्बानी जिनका नानपारा, बहराईच के अलावा भोपाल से करीबी ताल्लुक है तथा जिनके दो शेरी मजमूआ, फिक्रो-फन और अफकार-ए-शारिक के अतिरिक्त कई अन्य पुस्तकें उर्दू, हिन्दीी, नेपाली और मराठी आदि भाषाओं मे भी प्रकाशित हो चुकी हैं।
उन्होंने उर्दू अदब की अन्य विधाओं के साथ नातिया कलाम भी कहा है। जो आपके दोनो शेरी मजमूए मेें भी शामिल है।नात उस "विधाा" को कहते हैैैं जो पैगम्बर मोहम्मद साहेब के तााल्लुक से लिखी व कही जाती है और लोग ईद मिलादुन्नबी व अन्य कुछ अवसरो व नातिया मुशायरे आदि में नात को ही पढते हैं।
जिस तरह अनेक मुस्लिम शायरों ने कृष्ण जी पर रचनाएं लिखी व कही हैं सनातन धर्म व सिख धर्म के शायरों और कवियों ने भी नात लिखी और कही है। शायर शारिक रब्बानी की नातिया शायरी भी उच्च कोटि की है। शारिक जी की नातिया शायरी में पैैैगम्बर मोहम्मद साहेब की तारीफ और उनसे इश्क की झलक जगह-जगह पाई जाती है।
नातिया मुशायरों में भी आपकी शिरकत होती रही है। नात शरीफ लिखने वाले शायर को नात गो शायर और नात पढ़ने वालो को "नात खवाँ" कहा जाता है। नात खवानी का रिवाज भारत, बांग्लादेश, नेपाल व पाकिस्तान आदि देशों मे अधिक है तथा अरबी, फारसी, तुर्की व अन्य भाषाओं में भी नात कही गई है। तथा विश्व के लगभग सभी देशों मे जहाँ मुस्लिम समाज के लोग है नात भी वहां मौजूद है।
प्रस्तुत हैं शायर व साहित्यकार शारिक रब्बानी की नातों की कुछ पंक्तियां
1. जिक्रे नबी से दिल को बहुत ही खुशी मिली,
ईमाँ के इस अमल से मुझे चाशनी मिली ।
नाते रसूल लिखता हूँ तकदीर दे खिये,
रब के करम से ऐसे मुझे जिनदगी मिली ।।
2. महफिल सजी हुई है खैरूल अनाम की,
डाली सजा रहा हूँ दुरूदो सलाम की ।
दामन को अपने सायलो आकर पसार लो,
खैरात बट रही है मुहम्मद के नाम की ।।
3. है सिलसिला हमारा शऐ बावकार से,
रखते हैं वास्ता भी हर दीनदार से ।
सरकार ए दो जहाँ से मुहब्बत किया करो,
फजलो करम जो चाहिए परवर दिगार से ।।
4. जो है सरकार वाला खुदा की कसम,
उसकी किस्मत है आला खुदा की कसम ।
नामे अहमद से शारिक मुझे फैज है,
रोज जपता हूँ माला खुदा की कसम ।।
5. क्या अरब में वो माहे तमाम आ गया,
हक परसती का जग में निजाम आ गया ।
मेरी नजरों मे शारिक है वो मोहतरमा,
बनके जो मुसतफा का गुलाम आ गया ।।
6. अल्लाह ने हुजूर को जीशान कर दिया,
नबियों का और रसूलो का सुल्तान कर दिया ।
शारिक तभी तो मैं हुआ मशहुर ए कायनात,
जब मैने उन पे अपने को कुर्बान कर दिया ।।