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- साहित्य: शारिक रब्बानी...
स्त्री विमर्श उस साहित्यिक आदोंलन को कहा जाता है जिसमें स्त्री असिमता को केन्द्र में रखकर स्त्री साहित्य की रचना की गई हो । स्त्री विमर्श सम्बंधित लेख व रचनाएं सभी भाषाओं मेें पाये जाते हैं। इस विषय पर पश्चिमी तथा अफ्रीकी देशों के लेखकों व लेखिकाओं ने जहाँ महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
वहीं मुस्लिम देशों की अनेक प्रगतिशील महिला लेखिकाओं ने भी महिलाओं के मुद्दों पर अपनी कलम चलाई है। तथा भारत में भी स्त्री विमर्श से सम्बंधित बहुत कुछ लिखा गया है। भारतीय संस्कृति में तो सदैव ही सम्मान जनक स्थान प्राप्त करता रहा है तथा सनातन धर्म में नारी को देवी का दर्जा भी दिया जाता है।
उर्दू व हिन्दी साहित्य में जहां महिला लेखिकाओं और कवयित्री ओं ने बड़ी संख्या में स्त्री विमर्श सम्बन्धी रचनाएं लिखी हैं वहीं बहुत से पुरूष लेखकों ने भी अपनी कलम चलाई है। इसी क्रम में प्रेमचंद, कृष्ण चन्द ,सआदत हसन मंटो ,राजेन्द्र यादव, डॉक्टर धर्म वीर, अरविंद जैन, सुधीष पचौरी, जगदीश्वर चतुर्वेदी आदि ने स्त्री विमर्श से सम्बंधित अनेक रचनाएं लिखी हैं। जो यह दर्शाता है कि उर्दू व हिंदी साहित्य में अनेक पुरूष लेखक भी जागरूक और महिलाओं के साथ हैं। इसी में से एक नाम शायर व साहित्यकार शारिक रब्बानी का भी है जो भारत व नेपाल दोनो ही देशों मे लोकप्रिय हैं।
शारिक रब्बानी जो मानवतावादी दृष्टिकोण रखते हैं । तथा महिलाओं की स्वतंत्रता, शिक्षा तथा बराबरी के हक के हिमायती हैं। शारिक रब्बानी ने स्त्री विमर्श से सम्बंधित "नारी ईश्वर की खूबसूरत रचना" स्त्री विमर्श के क्षेत्र मेें "मुस्लिम महिला समाज में महिलाओं का शोषण" महात्मा गांधी का स्त्री विमर्श, हलाला एक शर्मनाक प्रथा, मुताह विवाह मुस्लिम महिलाओं के लिए अफीम, महिला खतना: एक क्रूर प्रथा, बुर्का महिलाओं के लिए एक कैदखानाा, सुभद्रा कुमारी चौहान की रचनाओं में स्त्री विमर्श, स्त्री विमर्श के क्षेत्र मेें मार्गरेट सेेंगर की भूमिका आदि अनेक लेख लिखे हैं। इसके अतिरिक्त नारी मां आदि पर लिखी नज़्में भी इनकी महत्वपूर्ण रचनाएं हैं।
प्रस्तुत हैं नज़्म नारी की कुछ पंक्तियां
मरदो जन का एक है रूतबा, रहमतो बरकत नारी है ।
नारी का सम्मान हो शारिक ,तोहफ-ए-कुदरत नारी है।।
शारिक रब्बानी ने विश्व की विभिन्न नारी वादी महिलाओं से सम्बंधित भी एक पुस्तक लिखी है तथा स्त्री विमर्श सम्बन्धी रचनाएं इनके साहित्य का एक अहम हिस्सा है। और यह स्त्री विमर्श सम्बन्धी साहित्य को विशेष महत्व देते हैं। शारिक जी नारी सशक्तिकरण के लिए प्रयासरत भी हैं।
उर्दू साहित्यकार शारिक रब्बानी का कथन है कि महिलाएं किसी भी धर्म, समाज व इलाके की हो उनका सम्मान होना चाहिए। तथा महिलाओं पर किसी भी प्रकार का अत्याचार नहीं किया जाना चाहिए।