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- "पहला "प्रेम" स्वप्न...
उमर मेरी 18 की थी जब
तब पहला प्रेम अपार हुआ
Bio का था Student मैं,
Commerce की लड़की,
से मुझे प्यार हुआ
उसका नाम फूलन देवी,
मैं भी तो रामदुलारे था
प्रेम हमारा अति सलिल,
लेकिन जो राम सहारे था
पढ़ाई में थी अव्वल वो,
मैं प्रेम ही प्रेम में खोया था
मास्टर जी की छढ़ी पड़ी जब,
तब बहूते ज्यादा रोया था
पढ़ाई हमारी भगवान भरोसे,
उससे प्रेम बहूते अपार था
फूलन देवी से हमको फिर
बहूते ज्यादा प्यार था
ब्याह के देखे सपने थे,
कि ब्याह अपना रचाएंगे
2 बैल जो दहेज में लेंगे हम
खेतन में अपने चलाएंगे
बहु बनेगी,फूलन घर की
और घर में खुशियां लायेगी
मैं पशु विभाग डॉक्टर बनूंगा
वो बैंक कैशियर बन जायेगी
सपने तो ये भी थे की,
लल्ला हमारे होंगे चार
बाप बनूंगा मैं उनका,
फूलन करेगी,उनको प्यार
फिर बच्चे आएंगे कहेंगे,
पापा तुम कितने प्यारे हो
जैसे भी हो नयालक
तुम सब,औलाद हमारी हो
आखों से आखें मिल जाती,
धड़कन में फूलन का नाम है,
फूलन मेरी तुम जिंदगी हो,
न तुम बिन,होती मेरी शाम है
मां आई मेरी फिर और,
नींद मेरी खुल जाती है
सपनों का था पहला प्रेम,
किस्मत मेरी फुट जाती है
सपने सारे टूट गए
मन ही मन,में मैं टूट गया
फूलन देवी का सपना था
एकदम से जो टूट गया
सुबह हुई फिर उठता मैं
स्कूल में फूलन न आती है
पता लगा मास्टर जी से तब
फूलन की शादी कहीं और हो जाती है
बिखरा 2 बैलन का सपना
और बिखर गए अरमान भी
फूलन तुम क्यों गई प्रानप्रिये
यार तुम तो मेरी जान थी
फिर प्रेम छोड़ ,मैने कलम को पकड़ा
उर्दू हिन्दी का मैंने विषय चुना
बन शायर ,लेखक ,कवि मैं
फूलन से फिर परिचय हुआ
आगे की कहानी जारी है
अभी दूसरे भाग का इंतजार करो।
पहला भाग बताओ कैसा था...
- अज्ञात