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Archived
दो करोड़ रोजगार देने वाली सरकार ने छीना दो करोड़ से रोजगार
शिव कुमार मिश्र
21 Sep 2017 4:13 AM GMT
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इरशादउल हक
हम एक भयावह आर्थिक संकट की ओर अग्रसर हैं. पिछले तीन वर्ष में विकास दर में तीन प्रतिशत की कमी आ चुकी है. मतलब हर साल एक प्रतिशत की दर से पीछे जा रहे हैं. श्रम मंत्रालय स्वीकार करता है कि उद्योगिक उत्पादन जो तीन वर्ष पहले दस प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ रहा था, अब पौने चार प्रतिशत की दर से ससर रहा है.
भयावहता का आलम यह है कि 2013-14 में श्रम मंत्रालय ने संसद में बयान दिया था कि देश में रोजगारों की संख्या 48 करोड़ है, वह अब घट कर 46 करोड़ रह गयी है. मतलब- 2 करोड़ लोगों की दाल-रोटी छीनी जा चुकी है.
अब तो हाल यह है कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन भी हमें चेतावनी दे रहा है. कह रहा है कि अब हम कितना भी नाक रगड़ लें, 2018 में देश में 1.80 करोड़ बेरोजगारों की फौज खड़ी हो के रहेगी. यह संख्या सेना के जवानों की संख्या से कई गुणा ज्यादा है.
दूसरी तरफ खून के आंसू रुलानी वाली बात यह है कि जीएसटी लागू होने के बाद से देश में टैक्स कोलेक्शन में भी भारी गिरावट आयी है. जल्द ही इसमें सुधार न हुआ तो बस उपर वाला ही मालिक है.
देश, राजनीतिक नेतृत्व की आभा से चलता है. देश दूरदर्शी नेता से चलता है. पर सवाल यह है कि चौड़ी छाती में जिगर है, तो क्या यह जिगर खोखला है? कहा जाता है कि फुटबाल को आगे मारने के लिए पहले कुछ कदम पीछे जाना पड़ता है. यहां तो फुटबाल को किक करने वाला खिलड़ी पीछे ही भागता चला गया है, लेकिन तुर्रा यह है कि गेंद अपनी जगह पर भी नहीं ठहरी है बल्कि वह भी पीछे ससर रही है.
आने वाले दिनों के भयावह सपनों से ऊपर वाला बचाये. आइए मिल कर दुआ करें.
शिव कुमार मिश्र
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