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- महान स्वतंत्रता सेनानी...
खूबसूरत झीलों का शहर भोपाल प्राकृतिक सुंदरता और देश के समृद्ध व गौरवशाली अतीत के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है।
भोपाल की धरती ने ऐसे अनेक होनहार सपूतो को जन्म दिया है जिनका नाम रहती दुनिया तक अमर रहेगा। इन्ही में से एक महत्वपूर्ण नाम स्वतंत्रता सेनानी ,देशप्रेमी और देशभक्त डाक्टर बरकत उल्लाह भोपाली का है। जिनका जन्म भोपाल मेें हुआ था। प्राथमिक शिक्षा भी भोपाल में हुई थी।
वह भोपाल में अरबी फारसी अँग्रेज़ी आदि भाषाओं के मशहूर विद्बानो की संगत में रहे तथा उनसे शिक्षा भी प्राप्त की और अँग्रेज़ी भाषा का अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिये चार वर्ष तक मुम्बई में भी रहे।
अँग्रेज़ी की शिक्षा प्राप्त करने के बाद डॉ बरकत उल्लाह भोपाली इंग्लैड चले गये लेकिन जब उन्होंने इंग्लैड की भव्य इमारतों और खुशहाल फिरंगियो को देखा तो उनके मन में यह बात आई कि भारत से लेकर इंग्लैंड तक एक मलाईका विकटोरिया का राज है फिर भारत के हालात खराब क्यो हैं? और इंग्लैड के हालात अच्छे क्यो हैं ?
उनके मन में यह बात बैठ गई कि अपने देश की सम्पूर्ण समस्या ओ एवं कठिनाइयों का समाधान देश को गुलामी से आजादी दिलाना है।उन्होंने लंदन में रहकर भारत की आजादी के लिए कलम उठायी और भारतवासियों को आजादी के लिए प्रेरित किया ।
डा.बरकत उल्लाह भोपाली ने भारत की आजादी के लिए जापान, अफगानिस्तान , अमेरिका, जर्मनी आदि कई देशों की यात्राएँ भी की।
अमेरिका में रहते हुए उन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिये गदर पार्टी में शामिल होकर लाला हरदयाल व कृष्ण वर्मा आदि के साथ मिलकर संघर्ष किया तथा वह अपने क्रांतिकारी दल के साथ 15 अप्रैल सन 1915 ई को बर्लिन से रवाना होकर काबुल पहुंचे जहां उन्होंने बैठक करके पहली दिसंबर सन् 1915 ई को भारत की आजादी के लिये समानांतर सरकार बनाने का निर्णय लिया जिस पर राजा महेंद्र प्रताप के भी हस्ताक्षर थे।
राजा महेंद्र प्रताप आदि के द्बारा इस समानांतर सरकार का डा .बरकत उल्लाह भोपाली को प्रधानमंत्री बनाया गया।ओबैदुल्लाह सिधी गृहमंत्री बनाये गये। यह समानांतर सरकार सन् 1920 ई तक स्थपित रही और इसने अपनी क्रांतिकारी गतिविधियां जारी रखी।
उन्होंने भारत की आजादी के लिए लंदन, बर्लिन, काबुल, मास्को, सेन फ्रासिंसको और टोकियो आदि की सीमाओं तक भारत की आजादी की मशाल लेकर जद्दोजेहद की।
डा.बरकत उल्लाह भोपाली भारत की स्वतंत्रता के लिए सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार रहते थे। और डा.बरकत उल्लाह भोपाली देश को स्वतंत्र कराके अपनी ही देश की धरती पर मरना चाहते थे लेकिन 27 सितंबर 1927 को इस महान सवतत्रता सेनानी का अमेरिका की धरती पर देहांत हो गया।
डा. बरकत उललाह भोपाली के द्बारा देश की आजादी के लिए, किये गये त्याग और बलिदान को भारत की आजादी के इतिहास मैं सदैव याद रखा जायेगा। वर्तमान समय मे इनके नाम से बरकत उललाह विश्व विधालय भी कायम है।
: वरिष्ठ उर्दू साहित्यकार शारिक रब्बानी
नानपारा, बहराईच ( उत्तर प्रदेश )