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- जख्मों पर गर्म चाय ऐसे...
भारतीय जनता पार्टी कृषि विधेयक से संबंधित हंगामे से निपटने के लिए राज्यसभा उपाध्यक्ष हरिवंश का सहारा ले रही है। राजनीति साधनी है तो हरिवंश जी बिहार के एमपी हैं। दुनिया जानती है कि वे बिहार के एमपी कैसे हैं। भाजपा ने विपक्ष पर हरिवंश को अपमानित करने का आरोप लगाया है और इसे बिहार के अपमान के रूप में पेश करने की कोशिश की है। हरिवंश बेशक बिहार से राज्यसभा के सदस्य हैं लेकिन उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाले हैं। वे प्रभात खबर के संपादक थे जिसका आधार रांची यानी झारखंड में है। मुख्य रूप से उन्होंने साप्ताहिक रविवार में काम किया है। उसका मुख्यालय कलकत्ता में था। अखबार ने लिखा है, वैसे तो भाजपा और सरकार ने इसे विपक्ष और हरिवंश की लड़ाई के रूप में पेश करने की कोशिश की है पर विपक्ष सतर्क रहा और चाहत पूरी नहीं होने दी।
विपक्ष ने यह भी कहा कि वह चाय लेकर आने से प्रभावित नहीं है। माकपा के इलामरम करीम ने कहा, अगर वे अपने इरादे के प्रति गंभीर होते तो सुबह में हमारे लिए चाय लेकर आए तो उनके साथ तीन कैमरे क्यों थे? पहुंच कर उन्होंने कहा कि वे आधिकारिक क्षमता में नहीं आए हैं और इसलिए सरकारी गाड़ी का उपयोग नहीं किया। तब हमलोगों ने पूछा, अगर ऐसा है तो ये कैमरा वाले आपके साथ क्यों आए हैं? एक अन्य नेता ने कहा कि जिस फुर्ती से प्रधानमंत्री ने चाय की पेशकश और हरिवंश की चिट्ठी को प्रचारित करना शुरू किया उससे पता चलता है कि भाजपा कृषि विधेयक से ध्यान हटाने के लिए कितनी परेशान है।
अब बिहार पुत्र हरिवंश के बारे में
इसमें कोई दो राय नहीं है कि हरिवंश पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार की मेहरबानी से राज्यसभा के सदस्य बने। संपादकों के साथ नेता लोग यह उपकार करते रहे हैं। किशनगंज से कांग्रेस के लोकसभा सदस्य रहे एमजे अकबर भाजपा से राज्यसभा के सदस्य बन चुके हैं। हरिवंश इस बार फिर बिहार से जीते उसकी अलग कहानी है। कमेंट बॉक्स में लिंक देखिए। फिलहाल उस खबर का एक अंश पेश है :
हरिवंश के संपादक रहते 2011 में प्रभात ख़बर के पटना व अन्य संस्करणों के पहले पन्ने पर सीएम नीतीश कुमार को लेकर एक ख़बर छपी थी। इसके साथ टाइम मैगज़ीन के कवर की फोटो भी थी। इसपर नीतीश कुमार की एक तस्वीर थी और मोटे अक्षरों में लिखा था – हाउ नीतीश कुमार टर्न्ड बिहार इंटू ए मॉडल ऑफ इंडियन रिफ़ॉर्म। कुल मिलाकर यह कवर बता रहा था कि टाइम में नीतिश कुमार पर कवर स्टोरी छपी है। वैसे ही जैसे डिवाइडर इन चीफ छपी थी जिसके लिए लेखक की नागरिकता छीन ली गई (हालांकि बहाना कुछ और बनाया गया)। पर वह असली थी। यहां नकली का ईनाम मिला।
प्रभात ख़बर में पहले पन्ने की एंकर स्टोरी बनी इस खबर में बताया गया था कि टाइम मैगज़ीन ने अपने 7 नवंबर 2011 के अंक में नीतीश कुमार पर स्टोरी छापी है और प्रभात ख़बर उस स्टोरी का हिन्दी रूपांतरण छाप रहा है। लेकिन जांच करने पर पता चला कि 7 नवंबर 2011 की टाइम मैगज़ीन की कवर स्टोरी हिलेरी क्लिंटन पर थी। आगे पीछे के किसी अंक का कवर भी ऐसा नहीं था। जिससे यकीन हो कि मैगज़ीन ने नीतीश कुमार पर कोई कवर स्टोरी की थी। अलबत्ता टाइम मैगज़ीन और नीतीश कुमार को गूगल पर एक साथ सर्च करने पर एक स्टोरी ज़रूर मिलती है, जिसकी हेडलाइन है – ब्रेकिंग फ्री: हाउ नीतीश कुमार टर्न्ड बिहार इंटू ए मॉडल ऑफ इंडियन रिफ़ॉर्म।
ये स्टोरी टाइम मैगज़ीन की वेबसाइट पर है, जिसकी लेखिका ज्योति थोत्तम हैं। वेबसाइट पर महज 600 शब्द की ये खबर 7 नवंबर 2011 को प्रकाशित हुई है। प्रभात ख़बर ने यही स्टोरी हिन्दी में अनुवाद कर पहले पेज पर प्रकाशित की थी और लेखक का नाम ज्योति थोत्तम के तौर पर दर्ज था। ज्योति थोत्तम की खबर में नीतीश कुमार की 2010 की तस्वीर लगी थी, जिसे एएफपी ने खींची थी। टाइम जैसी दुनिया की मशहूर मैगज़ीन अगर किसी मुख्यमंत्री पर कवर स्टोरी करेगी, तो सामान्य तौर पर मैगज़ीन का अपना फोटोग्राफर भी जाएगा और सब्जेक्ट की तस्वीर लेगा। लेकिन, इस स्टोरी में एएफपी की तस्वीर इस्तेमाल की गई थी। संभव है कि नीतीश कुमार पर वो स्टोरी टाइम मैगज़ीन ने अपनी वेबसाइट के लिए की होगी। ये भी संभव है कि टाइम मैगज़ीन में भीतरी पन्ने पर नीतीश कुमार से जुड़ी उक्त खबर लगी होगी। लेकिन मैगज़ीन के कवर पर नीतीश कुमार की कोई तस्वीर नहीं छपी थी। मूल रूप से यह रिपोर्ट उमेश कुमार राय ने लिखी से जिसे कई जगह उदृधत किया गया है।