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...जब अरुण जेटली ने चुकाए थे रजत शर्मा की कॉलेज फीस के चार रुपए?
रूद्र प्रताप दुबे (वरिष्ठ पत्रकार)
मशहूर पत्रकार रजत शर्मा के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नही थी लेकिन पढ़ने में अच्छे होने की वजह से इंटर के बाद उनका नाम श्रीराम कॉलेज में दाखिला वाली मेरिट लिस्ट में आ गया था।
अरुण जेटली उस समय कॉलेज यूनियन के अध्यक्ष थे। कॉलेज के पहले दिन ही रजत लगातार इधर उधर दौड़ भाग कर रहे थे क्योंकि उनके पास पूरी फीस नहीं थी। देरी होने के कारण अकाउंटेंट उन्हें तीन बार फटकार चुका था। जब किसी तरह उन्होंने फीस दी भी तो उसमें 4 रुपए कम थे तो अकाउंटेंट एक बार फिर जोर से चिल्लाया। उसी समय अरुण जेटली वहां आए और अकाउंटेंट को जोर से डांटा, कहा- फ्रेशर से ऐसे कैसे बात कर सकते हो। अरुण ने फीस पूरी करने के लिए जेब से 4 रुपए निकालकर रजत शर्मा को दिए। फिर कंधे पर हाथ रखकर बोले- तुम्हारे पास तो चाय के लिए भी पैसे नहीं होंगे, चलो तुम्हे चाय पिलाता हूँ।
ये दोस्ती आज तक बदस्तूर जारी है...
कहानी न. 2
वर्ष 1974 में छात्र संघ के पहले सीधे चुनाव संपन्न हुए। अब तक, जेटली अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के सबसे प्रबल दावेदार बन चुके थे लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि वह किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे। सभी मानते थे कि जेटली का जीतना लगभग तय था चाहे वह किसी भी पार्टी से चुनाव लड़ें।
मशहूर पत्रकार प्रभू चावला उस वक़्त विद्यार्थी परिषद् के दिल्ली प्रमुख थे, उन्होंने जेटली को टिकट देने के लिए संघ को मनाने में तीन दिन लगाया।
विद्यार्थी परिषद ने जेटली को टिकट थमा दिया। हालांकि जेटली का समर्थन करने वाली एनएसयूआई इस घोषणा को सुनकर अचंभित रह गई थी। कुछ नेता कहते हैं कि जेटली भले ही आज इस बात को नकार दें, लेकिन 1974 में वे कांग्रेस के प्रत्याशी भी हो सकते थे।