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वैश्या--...अच्छा तू ऊपर चल मैं रिक्शे का भाड़ा देकर आती है, मेरे को आज तुझसे कई बातें करनी है, भाग 8-
वैश्या--
...अच्छा तू ऊपर चल मैं रिक्शे का भाड़ा देकर आती है। मेरे को आज तुझसे कई बातें करनी है।
अभी तक आपने पढ़ा,अब आगे।
भाग 8- देख माही हम औरतों की जिंदगी में उदासी,दर्द,बिछड़न, आंसू आरोप जन्म के साथ मिल जाते हैं। हमें इसमें ही अपने लिये खुशी ढूढ़ना होता है। दीदी मधु को राजू के झोले में से लाये कपड़े निहारते उदास देखकर बोली।
नहीं दीदी बस यूं ही। राजू कितने मन से यह कपड़ों को खरीदा है। वह उन कपड़ों को देखते हुये बोली।
सुन कल मैं बैंक जाकर डीडी के पैसे भुना लेती है। और राजू के ऑपरेशन वास्ते जमा कर देगी। कल तेरे को अस्पताल जाने की जरूरत नही है।तू जायेगी तो रोते हुये आयेगी। वैसे भी राजू होश में है नहीं तू जाकर करेगी भी क्या।
दीदी ने मधु को समझाते हुए कहा।
मगर दीदी.... मगर वगर कुछ नहीं अब तू ऑपरेशन के बाद ही जाना। वरना तू अपना तबियत खराब कर लेगी। दीदी ने सख्त लहजे में कहा।
औऱ तेरे से मैं ये पूछ रही है...तू यहां कोठे पर ही रहना चाहेगी या तेरा बंदोबस्त कहीं और कर दूं... क्योंकि मेरे को भी राजू पर बहोत तरस आ रहा है। अपने इस हाल में पड़ा है मगर उसे तेरी फ़िकर है। वरना कोठे पर आये हुये मर्दों की मोहब्बत छ इंच उत्थान के साथ शुरू होती है और उसके पतन के साथ ही दम तोड़ देती है। राजू उन मर्दों में हीरा है हीरा। इस वास्ते मैं उसकी कदर करती है। दीदी ने पहली बार किसी मर्द की इतनी तारीफ की थी।
दीदी मैं कहीं नहीं जाऊंगी...मैं यहीं रहूंगी। क्योंकि मुझे भी इतना समझ आ गया है कि अकेली औरत मर्दों के लिये एक मिट्टी का खिलौना होती है जिससे वह खेलना और तोड़ना दोनों चाहता है। बन्द कमरे में उससे सहानुभूति जताता है। और समाज में उसी पर तोहमत लगाता है। मर्द दस जगह मुँह मारे तब भी वह शरीफ कहलाता हैऔर औरत वैश्या। मैं यही रहूंगी दीदी हां,अब धंधा नहीं करूंगी। मधु ने दीदी को अकवारी में भरकर कहा।
ठिक्क है,मैं भी तो यही कह रही है। तू धंधा नहीं करेगी। मगर सुन जो कोठे पर नई लड़किया आयेगी तू उसको धंधे के लिये समझाएगी।यहां के नियम और डर दिखाएगी।और दया नहीं दिखाना हां...हमारे धंधे में घोड़ा घास से दोस्ती नही करता। दीदी ने सख्ती से समझाते हुये कहा।
अब तू आराम कर मैं चली देखूं आज का क्या हिसाब किताब है। और तू फ़िकर न करना मैं कल टाइम पर बैंक अस्पताल दोनों जगह चली जायेगी।
क्रमशः....
विनय मौर्या।
बनारस।