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मेघालय पहुंची भारत यात्रा

मेघालय पहुंची भारत यात्रा
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असम पार कर मेघों के घर (मेघालय) पहुंची भारत यात्रा। सुख, शांति, समृद्धि और हरियाली के इस प्रदेश में वर्षा रानी आपको कब भिगोने लगे कहा नहीं जा सकता। यहां वर्षा की बड़ी-बड़ी और मोटी बूंदें चाय की खेती करने वाले किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं। मासिनराम और चेरापूंजी भी आपको यहीं मिलेंगे, जहां सबसे ज्‍यादा वर्षा दर्ज की जाती है। किसिम-किसिम के फूलों, नदियों, पेड़ों, पर्वतों और बादलों से ढंका यह प्रदेश कब आपका मन मोह ले कहना कठिन है। ऊपर से चाय की खेती में संलग्‍न वर्षा में भिगती पहाड़ी महिलाओं का कलरव करता गीत-संगीत, "पहाड़ों को/ चंचल किरण चूमती है/ हवा हर नदी का बदन चूमती है/ ये पत्‍ते, पेड़ों से बादल घनेरे/ बहुत ठंडी-ठंडी है राहों के साये…"आपको मेघालय का बना जाता है।
नोबेल शांति पुरस्‍कार विजेता श्री कैलाश सत्‍यार्थी ने शिलॉग के युनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी के प्रांगन में हजारों लोगों को संबोधित करते हुए कहा किइतना सुंदर राज्‍य मेघालय बाल यौन शोषण और दुर्व्‍यापार का गढ़ बन जाएगा, एकबारगी विश्‍वास नहीं होता। उन्‍होंने कहा कि बाल दुर्व्‍यापार के मामले जिस तरह से यहां सामने आते रहते हैं वे शर्मिंदा करने वाले हैं। जिस देश में बच्‍चे इतने असुरक्षित हों वह देश कभी भी विकास और तरक्‍की नहीं कर सकता। उन्‍होंने कहा कि सुरक्षित बचपन से ही सुरक्षित भारत का निर्माण होगा। और हम इसके लिए अपने-अपने घरों से सड़कों, गलियों,चौक-चौराहों पर निकल पड़े हैं। भारत यात्रा का हमारा यह कारवां 22 राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेश के लोगों को बाल हिंसा के दुष्‍परिणामों से अवगत कराते हुए, इस विषय पर उन्‍हें जागरुक करने का काम कर रहा है।
इस अवसर पर नोबेल विजेता ने युवाओं से आह्वान करते हुए कहा कि वे अपने गुस्‍से, आक्रोश और क्रोध को दबाए नहीं बल्कि इसका इस्‍तेमाल बाल मजदूरी, बाल विवाह, बाल यौन शोषण और दुर्व्‍यापार जैसी महामारी पर रोक लगाने के लिए करें। वे अपने गुस्‍से और क्रोध का इजहार अपराधियों को दंडित करने और उन्‍हें जेल भिजवाने में करें। उन्‍होंने कहा कि वे यह कतई बर्दाश्‍त नहीं कर सकते कि पीड़ित तबाह हो जाएं और अपराधी खुलेआम भयमुक्‍त हो सड़कों पर घूमते मिले। उन्‍होंने युवाओं को चैम्पियन बताते हुए कहा कि वे ही बदलाव के वाहक होते हैं और उन्‍होंने जब चाहा दुनिया की बुराईयों और पापों पर हमला बोला और दुनिया बदल दी।
नोबेल विजेता ने जनसभा से चुप्‍पी तोड़ते हुए अपराध के खिलाफ जोर से बोलने की अपील की। उन्‍होंने पीड़ितों के माता-पिताओं से आग्रह किया कि वे अपराध को दर्ज कराने में भय, डर महसूस नहीं करें बल्कि भय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करें। उन्‍होंने कहा कि अपराध और अपराधी के प्रति जब तक यह भय आपके मन में रहेगा तब तक बाल हिंसा की महामारी और पसरती ही जाएगी। उन्‍होंने याद दिलाया कि वे इसी भय को खत्‍म करने के लिए भारत यात्रा निकाल रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि हिंसा के शिकार पीड़ित जब अपनी व्‍यथा को समाज, सरकार, पुलिस-प्रशासन, अदालतों और सार्वजनिक मंचों से साझा कर सकते हैं, तो फिर उनके माता-पिताओं को कैसी शर्मींदगी। नोबेल विजेता ने इस अवसर पर बाल हिंसा की पीड़ित मेघालय की एक बच्‍ची को मंच पर बुलाया जिसने अपनी व्‍यथा को लोगों से साझा करते हुए कहा कि उसके साथ जो हुआ वह हादसा किसी के साथ नहीं हो। यहां श्री सत्‍यार्थी ने"सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत" बनाने के लिए लोगों को शपथ भी दिलाई।
अपने उद्घाटन भाषण में युनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी, मेघालय के उप कुलपति श्री एम. हॉक ने कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रेन्‍स फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा निकाली गई भारत यात्रा पर हर्ष जताया और कहा कि उनकी युनिवर्सिटी भी बाल अधिकारों को प्राप्‍त करने की दिशा में फाउंडेशन के साथ मिलकर काम करना चाहती है। उन्‍होंने भारत यात्रा को एक महाअभियान बताया और इसको तब तक जारी रखने की सलाह दी जब तक की देश से बाल हिंसा जैसी बुराई पर रोक नहीं लग जाए। गौरतलब है कि युनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी मेघालय की एक प्राइवेट युनिवर्सिटी है और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में बढ़-चढकर भाग लेती रहती है। इस अवसर पर राज्‍य के युवा एवं खेल मंत्री श्री जैनिथ संगमा ने भी जनसभा को संबोधित किया और कहा कि बाल दुर्व्‍यापार और बाल यौन शोषण जैसे अपराध को रोकने की दिशा में हमारी मेघालय सरकार भी महत्‍वपूर्ण काम कर रही है। उन्‍होंने भारत यात्रा को हरसंभव मदद का आश्‍वासन दिया।
इस अवसर पर पूर्वोत्‍तर राज्‍यों के एनजीओ के प्रतिनिधियों ने पूर्वोत्‍तर में बाल अधिकारों को प्राप्‍त करने के क्षेत्र में किए गए कार्यों, विशेषकर बाल दुर्व्‍यापार को रोकने की दिशा में किए गए कार्यां पर प्रकाश डाला। यहां केन्‍द्रीय विद्यालय और एनसीसी (नेशनल कैडेट्स कोर) के छात्रों के साथ बातचीत का एक सत्र भी रखा गया। इसके बाद युनिवर्सिटी कैम्‍पस से एक रैली निकाली गई,जिसमें नोबेल शांति पुरस्‍कार विजेता श्री कैलाश सत्‍यार्थी, युनिवर्सिटी के उप कुलपति एम. हॉक और मुख्‍य यात्रियों के साथ-साथ केन्‍द्रीय विद्यालय और एनसीसी के छात्रों ने हिस्‍सा लिया, जहां सीआईआई और यंग इंडियन्‍स ने एक कार्यक्रम का आयोजन कर रखा था।
सुबह में जैसे ही भारत यात्रा के कारवां को लेकर नोबेल विजेता श्री कैलाश सत्‍यार्थी युनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी के प्रांगण में पहुंचे, स्‍थानीय लोगों ने उनका भव्‍य स्‍वागत किया। उनके सम्‍मान में युवाओं और महिलाओं ने गारो नृत्य-गीत और संगीत का एक विशेष कार्यक्रम पेश किया। इस कार्यक्रम के जरिए श्री सत्‍यार्थी द्वारा बाल अधिकारों को प्राप्‍त करने की दिशा में किए गए संघर्ष की झांकी प्रस्‍तुत की गई। यहां राष्‍ट्रीय गीत वंदे मातरम का गायन करते हुए बाल हिंसा के खिलाफ नारों को बुलंद किया गया।
कन्‍याकुमारी से 11 सितंबर, 2017 को शुरू हुई भारत यात्रा 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए 11,000 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। 16 अक्टूबर को इसका समापन दिल्ली में होगा। कन्याकुमारी से शुरू होने वाली मुख्य यात्रा के समानांतर 6 और यात्राएं भी इसके साथ होंगी जो देश के छह अलग-अलग हिस्सों से शुरू होकर मुख्य यात्रा में मिल जाएंगी। ये समानांतर यात्राएं श्रीनगर, गुवाहाटी, चैन्नई, भुवनेश्वर, कोलकाता और अहमदाबाद से शुरू होंगी। इस यात्रा के जरिए 1 करोड़ लोगों से सीधे सम्पर्क का लक्ष्‍य रखा गया है।
शिव कुमार मिश्र

शिव कुमार मिश्र

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