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समिट के नाम पर जनता का करोड़ो रूपया बहाना क्या उचित है?
शिव कुमार मिश्र
22 Feb 2018 1:23 PM GMT
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इनवेस्टर समिट कराने के नाम पर राज्य सरकारें देश की जनता का गाढ़ी कमाई का पैसा पानी की तरह बहा रही है सिर्फ 2019 के लोक सभा चुनाव में हो रही छवि धूमिल होने को बचाने के लिए ।अधिकांश राज्यों मे शग़ल सा बन गया है, समिट कराने का हो भी क्यो न इसके आयोजन पर देश -विदेश में घुमने का अवसर मिलने के साथ ही विज्ञापनों पर करोड़ो रूपया खच॔ किया जाता है। जिसका कमीशन भी मोटा बनता है। जनता को इसका लाभ गिना कर प्रदेशों का कायाकल्प होने का सपना दिखाया जाता है जबकि देश का बदहाल किसान, बेरोजगार नौजवान, कामगारो, मजदूरो, छात्र -छात्राओ एवं लघु व मध्यम व्यापारियों पर रोजी-रोटी पर संकट छाया हुआ है।
ऐसा ही एक आयोजन लखनऊ के इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित किया जा रहा है प्रतिष्ठान को दुल्हन की तरह सजाया गया है गोमती नगर सहित सम्पूर्ण शहर को बड़ी -बड़ी होल्डिंग से पाट दिया गया है सड़को का रंग रोगन कर चमकाया -दमकाया गया है। 21, 22 फरवरी के लिए रोड डायवर्जन जारी कर दिया गया है क्षेत्र के स्कूल -कालेजो कार्यालयो के समय में परिवर्तन किया गया है ऐसा लग रहा है कि शहर की सुरक्षा के नाम पर मिनी कर्फ्यू जैसा माहौल बना दिया गया है तरह तरह के रंग बिरंगे प्रवेश काड॔ जारी कर दिए गये है मुख्यालय के पत्रकारो को प्रवेश से वंचित कर उन्हे प्रवेश करने दिया जाएगा जो सूचना विभाग से जारी प्रवेश फाम॔ के मुताबिक होगा। काय॔क्रम स्थल पर परिंदा भी पर न मार सके प्रदेश की योगी सरकार देश के प्रधान मंत्री सहित आने वाले मेहमानों को खुश करने के लिए पुरी चाक चौबंद ब्यवथा कर रखी है। देशी-विदेशी मेहमान बाजी के लिए पुरा शासन-प्रशासन लगा दिया गया है शहर के सभी छोटे बड़े होटल सरकारी गेस्ट हाउस आरक्षित कर दिए गये है।
जबकि वास्तविकता यह है कि विदेशी मेहमानों के अधिक इनवेस्ट करने की संभावना कम प्रतीत होती है लेकिन देश के दो चार दर्ज़न उद्योग पति हर प्रदेशो में हो रही समिट के लिए अपने दल वल सहित उड़े चले जाते है इन्हे आने जाने की व्यवस्था मुफ्त में उपलब्ध कराई जाती है तथा आवभगत की व्यवस्था भी मुफ्त होती है। राज्य सरकारों में इनवेस्टर समिट की प्रतिस्पर्धा के कारण उद्योग पति भी बहुत चालाक हो गया है उसे जिस प्रदेश की सुदृढ़ कानून व्यवस्था के साथ मुफ्त में पानी, बिजली, जमीन उपलब्ध होगी वह पूंजी इनवेस्ट करने का मन बनाते है।
योगी सरकार द्वारा लगभग 900 एमओयू (समझौता ज्ञापन)तैयार किए गए है देशी विदेशी इनवेस्टर राज्य सरकार की पूरी आवभगत का आनन्द लेकर अधिकांश एमओयू पर हस्ताक्षर कर उड़ जायेंगे फिर योगी सरकार एमओयू पर हस्ताक्षर मात्र से ही प्रदेश को विकास का ढिंढोरा पीट कर जनता को विकास का सपना दिखाएगें।
पूर्ववर्ती सरकारों ने भी ऐसे आयोजन कर बाबा रामदेव को जमीन देकर टाटा, बिरला, रिलायंस आदि इत्यादि को आमंत्रित कर एमओयू पर हस्ताक्षर हुए थे उसका क्या हुआ प्रदेश की जनता भली-भांति जानती है।
इनवेस्टर समिट के नाम पर जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा पानी की तरह बहाना प्रदेश सरकारों का एक शगल सा बन गया है दिखावे के लिए करोड़ो रूपया बहाना क्या उचित है?
Tags#इन्वेस्टर समिति
शिव कुमार मिश्र
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