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- उंगलियां सलामत...
सुबह सुबह धरमधुरी के साथ चाय पीते हुए चिड़ियों को दाना चुगते देख रहे थे।आज चिड़ियों की संख्या कुछ ज्यादा हो गयी है।कबूतर,तोते, फाख्ता,गिलहरी और गौरैया सभी आयी हैं।नए आये तोतों को गिनने की कोशिश कर ही रहा था कि फोन बज उठा!
देखा तो उखरा से मुसद्दी भइया याद कर रहे हैं!हमेशा की तरह लपक कर फोन उठाया।स्क्रीन पर उंगली सरकाते हुए पालागन दाग दिया!उधर से जो आशीर्वाद मिला उसे सुनकर चौंका!आज भइया का आशीर्वाद था-उंगलियां सलामत रहें!
मैंने टोंकते हुये कहा -भइया यह कैसा आशीर्वाद!उंगलियां सलामत रहें!भइया जोर से हंसे!बाद में लंबी सांस लेते हुए बोले-लल्ला अब तो लगता है कि उंगलियां ही सब कुछ हैं!हमारे प्रदेश में तो कुछ दिन से बंदूकों के घोड़ों पर उंगलियां नाच रही हैं।जहाँ देखो धांय धांय हो रही है!उंगली आपकी तरफ उठी तो गड़बड़!अगर आपने उठायी तो गड़बड़!
फिर आजकल तुम लोग तो हर काम उंगलियों से ही करते हो।पहले कलम पकड़ने के लिए पांचों उंगलियां लगती थीं!सुना है कि अब तो लोग कंप्यूटर पर एक उंगली से भी काम चला लेते हैं।तुम लोग तो दूर से ही उंगली घुमा देते हो!कितना बिलबिलाते हैं लोग तुम्हारी उंगली से!तुम्हारी अदृश्य उंगली कइयों को जेब में रखे तमंचे पर उंगली रखने को मजबूर कर देती है।यह अलग बात है कि उनका दिमाग तुम्हारी उंगली का असर जानता है।इसलिए उनकी उंगलियां जेब में तमंचे पर सरकती ही रहती हैं।लेकिन जहां मौका मिलता है वहां दाग भी देते हैं।आजकल उत्तरप्रदेश में तो उंगलियों का ही कमाल चल रहा है।
गिनती में जो उंगली उठ गयी वह सोने में तुल गयी।जो सामने को तन गयी वह तन से ही जाती रही!
वैसे आजकल उंगलियां लगड़ों को भी नचा रही हैं।खुद उनका नाच देखना हो तो अपने फकीर का भाषण सुन लेना।खुद कम बोलते हैं उंगलियां ज्यादा नचाते हैं।कमाल तो यह है कि उनकी उंगलियों पर नाचने के लिए क्या देव और क्या दानव,क्या कुबेर और क्या इंद्र, क्या रम्भा क्या मेनका..सब बेताब हैं!वे फिलहाल डेढ़ सौ करोड़ लोगों को नचा रहे हैं।
सो उंगलियां सलामत रहे तुम्हारी!इन्हें उठना भी है और चलना भी!
मैं कुछ कहता उससे पहले ही मुसद्दी भइया ने यह कहकर बात खत्म कर दी-हुक्का भरने के लिए छदामी को तम्बाखू दे दूं! चौपाल पर उंगलियां चिलम पकड़ने को बेताब हैं।