- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- हमसे जुड़ें
- /
- मार्क्सवादी विमर्श...
यह सही मार्क्सवादी समझ है, यह ग़लत मार्क्सवादी समझ है। यह प्रामाणिक मार्क्सवादी विचार है, यह नक़ली मार्क्सवादी विचार है। यह मार्क्सवाद का अनुपालन है, यह मार्क्सवाद का विचलन है।
अरे भाई, कुछ निरपेक्ष रूप से भी सही-ग़लत, प्रामाणिक-नक़ली है या सब कुछ मार्क्सवादी और गैर-मार्क्सवादी ही है ?
जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगाना, लोगों की बेरोज़गारी दूरकर उनके लिए जीवन की मूलभूत ज़रूरतों का बन्दोबस्त करना, उनके जीवन-स्तर में सुधार लाना तथा पर्यावरण के बीच संतुलन स्थापित करना सही है; या जैसे अंधाधुंध चल रहा है वही सही है ?
संबंधित लोगों से यथासंभव विचार विमर्श के बाद निर्णय लेना सही है; या एक व्यक्ति की तानाशाही से निकला फ़रमान सही है ?
नियोजक को अपने श्रमिकों और कर्मचारियों की सुख-सुविधा का ध्यान रखना सही है; या अधिक से अधिक शोषण कर उनका कचूमर निकाल लेेना सही है ?
लोगों का अग्रदर्शी और वैज्ञानिक सोच वाला होना सही है; या अतीतदर्शी और अंधविश्वासी होना सही है ?
मानवता के लिए अभिशाप स्वरूप अस्पृश्यता और जातिप्रथा का अनुपालन या समर्थन करना या उसे उग्र बनाकर परस्पर संघर्ष के लिए उकसाना सही है;
या जाति-भेद समाप्त कर परस्पर सहयोग से सबके क्षमतानूकूल विकास में योग देना सही है ?
तेज़ी से बदलते समय, तकनीकी के निरंतर विकास और मीडिया, शिक्षा एवं आधुनिकता से एक्सपोज़र के साथ अंधेरे में पड़े या पीछे रह गए समूहों में जगे अस्मिता बोध को रचनात्मक दिशा देना सही है; या अस्मिताओं के संघर्ष को उकसाकर उनकी क्षमता और संभावना को नष्ट करना सही है ?
बेटियों को परदे में या घर की चारदीवारी में बंदकर उन्हें शिक्षा तथा विकास के अवसरों से वंचित रखना सही है; या उन्हें हर क्षेत्र में मुक्त विकास और उनकी प्रतिभानुरूप अवसर देना सही है ?
इन प्रश्नों के उत्तर के लिए "मैनिफेस्टो आॅफ़ द कम्यूनिस्ट पार्टी" या "द कैपिटल" पढ़ने की ज़रूरत है या उन्हें बिना पढ़े भी काम चल सकता है ?
रूढ़िवाद आख़िर है क्या चीज़ ?
सदा के लिए अपरिवर्तनीय, पूर्व-परिभाषित और शाश्वत अवधारणा ही रूढ़ि है या समय के साथ असंगत या अप्रासंगिक हो चुके किसी भी विचार या ढांचे से चिपके रहना भी "रुढ़ि" है?
मार्क्सवाद को "रुढ़ि' बनाने में कितने लोग अपना समय, क्षमता और प्रतिभा लगा रहे (जाया कर रहे?) हैं और कितने लोग मुक्त और वस्तुपरक चिंतन से आमूल बदले समय और आशातीत गति से बढ़ते तकनीकी विकास के साथ मार्क्सवाद के मानवोपकारी, प्रासंगिक और व्यवहार्य रह गए प्रमेयों को छांटने और उन्हें अमल में लाने में अपने समय, प्रतिभा और क्षमता का सदुपयोग कर रहे हैं ?
- कमलाकांत त्रिपाठी