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मोदी सरकार की खुली पोल, घोटालों पर बोलती रही झूंठ, ये है असली बात!
गिरीश मालवीय
आज हमें मनमोहन सिंह का यूपीए का कार्यकाल आज के मोदीराज की तुलना बेहतर क्यो नजर आने लगा है उसका एक बड़ा कारण है , ऐसा नही है कि यूपीए के शासन काल मे घोटाले नही हुए उसके कार्यकाल मे घोटाले हुए ओर तुरंत सामने भी आए ,दोषियों पर कार्यवाही भी हुई चाहे वह दोषी कांग्रेसी ही क्यों न रहे हो लेकिन आज हो ये रहा है कि घोटाले UPA से कही ज्यादा हो रहे है ,भ्रष्टाचार इतना है कि सीबीआई का नम्बर 2 अधिकारी अपने बॉस पर रिश्वत लेने का आरोप लगा रहा है उसका बॉस अपने अधीनस्थ अधिकारी को सीबीआई के दफ्तर में गिरफ्तार कर रहा है लेकिन यह कोई कहने को तैयार नही है कि यह सब हो रहा है तब मोदी जी क्या कर रहे है क्या उनकी कोई जिम्मेदारी नही बनती है ?
कल एक खबर ओर भी आई केंद्रीय सूचना आयोग (CIC) ने प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) को 2014 से 2017 के बीच केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ मिली भ्रष्टाचार की शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई का खुलासा करने का निर्देश दिया है यानी कि मोदी जी का यह कहना बिल्कुल झूठा था कि हमारी सरकार में कोई भ्रष्टाचार ही नही हुआ, भ्रष्टाचार तो हुआ पर उसे सामने ही नही आने दिया गया
मुख्य सूचना आयुक्त ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की अर्जी पर यह फैसला सुनाया है अपने आरटीआई आवेदन में संजीव चतुर्वेदी ने भाजपा सरकार की 'मेक इन इंडिया', 'स्किल इंडिया', 'स्वच्छ भारत' और 'स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट' जैसी विभिन्न योजनाओं के बारे में भी सूचनाएं मांगी थी. पीएमओ से संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर चतुर्वेदी ने आरटीआई मामलों पर सर्वोच्च अपीलीय निकाय केंद्रीय सूचना आयोग में अपील दायर की. सुनवाई के दौरान चतुर्वेदी ने आयोग से कहा कि उन्होंने केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ प्रधानमंत्री को सौंपी गई शिकायतों की सत्यापित प्रतियों के संबंध में विशेष सूचना मांगी है, जो उन्हें उपलब्ध कराई जानी चाहिए
केंद्रीय सूचना आयोग ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को 15 दिन के अंदर विदेशों से वापस लाए गए काले धन की जानकारी देने को भी कहा है,
लेकिन इस आदेश से कुछ होने जाना वाला नही है इससे पहले क्योंकि कुछ समय पहले मुख्य सूचना आयुक्त ने पीएमओ को निर्देश दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी विदेश यात्राओं पर जाने वाले प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों के नाम प्रकट किए जाने चाहिए. CVC ने नामों को प्रकट करने में पीएमओ द्वारा ''राष्ट्रीय सुरक्षा'' के आधार पर जताई गई आपत्ति को खारिज कर दिया था, लेकिन इस आदेश को भी हवा में उड़ा दिया गया,
दरअसल मोदी सरकार की कड़ी आलोचना इस बात के लिए की जानी चाहिए कि उसने आरटीआई कानून को बिल्कुल पंगु बना दिया, देश में RTI के दो लाख से अधिक मामले लटके हुए हैं. आरटीआई लगाने पर न तो जानकारी मिल रही है न दोषी अधिकारियों पर पेनल्टी होती है.केंद्रीय सूचना आयोग में आयुक्तों के 11 में से 4 पद खाली पड़े हैं CVC आदेश भी जारी कर दे तो कोई सुनता नही है.आरटीआई कानून की उपेक्षा करना मोदी सरकार के सबसे बड़े अपराधों में से एक है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार है और आर्थिक मामलों के जानकार है)