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- थाने के अंदर बुढ़िया...
आज करीब दोपहर 2.00 बजे मै थाने मे बैठा था तभी मैने देखा थाने के सामने से एक वृध बुढी माँ आ रही थी जिनकी उम्र लगभग 100 वर्ष से ज्यादा थी थाना मे आई l तो मै उनके पास गया तो ओ कुछ बताना चाहती थी तो मैने सबसे पहले उनको अपने पास ले जाकर बैठाया फिर उन्हे पानी पिलाया l
पानी पीने के बाद मैने पूछा हा दादी अब बताओ तो बोली लाला हमारे पास चप्पल नही है मेरा पाव जल रहा है lएक हमें चप्पल दिला दो l मैने कहा ठीक है दादी अभी दिला देता हू मैने तुरंत चप्पल मंगया l उन्हे पहनाया फिर उनसे पूछा कुछ खा लीजिये उन्होंने मना किया नही लाला कुछ नही खाना हैं मेरे कई बार कहने पे उन्होंने धीरे से मेरे कान मे बोली लाल 5 रुपये का अंगूर मगा दो बस मैने उन्हे 1 kg अंगूर मंगया उन्हे दिया और ओ खायी मुझे भी बोली लाला तुम भी खा लो मैने भी खाया उनके साथ l फिर मुझे से बोली लाला का नाम बा मैने अपना नाम बतया फिर पूछी कहा से हो मैने बतया इलाहाबाद से हू।
दादी जानती हो इलाहाबाद बोली हा मेला लगता है ना वहा पर मैने कहा हा गयी हो आप कभी बोली नही लाला नहीं गये है मैने पूछा चलोगी मेरे साथ तो हसने लगी l फिर मैने पूछा दादी आप आई कहा से हो तो उन्होंने अपने गाव का नाम बताया जो मेरे थाने से लगभग 7 किमी है मैने पूछा कैसे आई वहा से तो उन्होंने बतया गाड़ी से आई यहा तक और मैने उन्हें किराया भी नही दिया मैने पूछा क्यों तो बोली हँस के मेरे पास पैसा ही नही था तो मैने पूछा गाड़ी वाला कुछ बोला नही तो बोली कुछ नही बोला ओ गाड़ी वाले को मै शुक्रिया अदा करता हू l उसकी मानवता पर l
अभी भी बहुत अच्छे लोग है l फिर दादी को हमरे दीवान जी गार्ड को भेज कर गाड़ी पर बैठा या और ड्रैवर् को बता दिया जहा दादी बोलेंगी उन्हे उतार देना ओ बोला ठीक है साहब l आज दिल खुश हो गया भाई ऐसे लोग आये तो उनकी मदत जरूर करना चाहिए l बहुत आनंद आता हैl जय हिंद l
Neeraj Kumar Yadav साभार नीरज कुमार यादव की वाल से , काश ये मानवता हम सभी मे हो , और ये बात बिल्कुल सही है किसी की मदद करके देखो , अच्छा लगता है