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आज से एक साल पूर्व रात के बारह बजे से पूरे देश में पांच सौ और एक हजार के नोट के प्रयोग पर केन्द्र सरकार ने पूरी तरह से पाबंदी लगा दी थी. माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के नाम एक संदेश के द्वारा कालेधन के खिलाफ उठाये गये इस कदम की जानकारी देश की जनता को दी. प्रधानमंत्री के इस कदम से जहां आम जनता काफी खुश दिख रही थी जैसा कि भाजपा और उसके समर्थक बतलाते थे कालाधन रखने वाले नाराज .
लेकिन ठीक एक साल बाद आज नजारा बिल्कुल बदला - बदला सा दिख रहा है. आज नोटबंदी के खिलाफ पूरे देश में विपक्षी पार्टियों ने काला दिवस मनाया है और विपक्षी दलो के कार्यकर्ता सड़को पर उतरे हैं. बिहार समेत पूरे देश में जिस तरह से खबरे आ रही है निश्चित रूप से यह विपक्ष के लिये उत्साह वर्धक और भाजपा और उसकी सहयोगी दलो के लिये चिंतनीय है. हालांकि विपक्षी दलो मे जहां कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ता साथ - साथ दिखे तो वामपंथी दलो और समाजवादी पार्टी, आप जैसे क्षेत्रीय दलों के कार्यकर्ता अलग.
लेकिन बहुंत दिनो के बाद किसी एक मुद्दे को लेकर विपक्षी दलो के नेता एक दिन सड़क पर उतरे. देश के कई अन्य राज्यो से जो खबरे और उसकी तस्वीरे आ रही है वह कांग्रेस जैसे दलों के लिये संजीवनी की तरह दिख रही है. हालांकि भाजपा ने भी आज नोटबंदी के समर्थन और काला धन के खिलाफ काला दिवस मनाया है . लेकिन किसी एक मुद्दे को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच मची राजनीतिक जंग में फिलहाल विपक्षी दलों ने बाजी मार ली है और मोदी राज में पहली बार विपक्ष को मीडिया में इतना कवरेज मिला है.
सोशल मीडिया में भी आज विपक्षी समर्थकों ने ज्यादा स्पेस लिया है. हालांकि लोकसभा चुनाव में अभी करीब दो साल है लेकिन इतना तो तय है कि देश मे मृतप्राय दिख रही विपक्ष की राजनीति एक बार नोटबंदी और जी एस टी रूपी संजीवनी पीकर जिंदा होने की फिराक में है. फिलहाल देखिये आगे आगे होता है क्या?