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सरकार जीने लायक रखेगी तभी तो जीना सीख पाओगे, जब जिन्दा ही न रहोगे तो कैसा जीना और कैसा जीने का तरीका सीखना

Shiv Kumar Mishra
7 Sept 2020 1:33 PM IST
सरकार जीने लायक रखेगी तभी तो जीना सीख पाओगे, जब जिन्दा ही न रहोगे तो कैसा जीना और कैसा जीने का तरीका सीखना
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सरकार का एक ही मंत्र है " आत्म निर्भर बनो। " वह चाहे भूखे पेट रहकर, भीख मांग कर, बेरोजगार रहकर, आत्महत्या करके या वे काम करके जिनके करने से समाज में सम्मान हासिल होता है, बस आत्म निर्भर बनो तभी देश का विकास होगा। जय भारत। गर्व से कहो हम....... हैं।

देश की हालत क्या हो गयी भगवान।

देखो कितना बदला हिन्दुस्तान।।

ज्ञानेन्द्र रावत

मेरे देश के भाइयों और बहनो, मैं आपके समक्ष दिनेश चंद्र यादव द्वारा दी व्हाट्स अप पर दी जानकारी आपके साथ साझा करना चाहता हूँ जो उन्होंने विकास पथ पर अग्रसर देश की दशा और भावी दिशा को उद्घाटित करने का महती कार्य करने का साहस कहें या दुस्साहस किया है। जो देश दुनिया में सोने की चिड़िया के नाम से विख्यात था, दुनिया के छात्र यहां के विश्व विख्यात विश्व विद्यालयों में अध्ययन के लिए आते थे, आदि -आदि उस देश की आज क्या हालत है, यह इस बात से ही उजागर हो जाती है कि एक अमरीकी सांसद इस देश को ही खरीदने की बात कर देश का मखौल उड़ा रहा है। आखिर वह कारण कौन से रहे हैं जिसके चलते अमरीकी सांसद ने इतना दुस्साहस किया। उन कारणों के खुलासे के लिए श्री यादव की जितनी प्रशंसा की जाये वह कम है। यह गर्व का विषय है। कारण हम हिन्दू, ईसाई, मुसलिम, सिख, बौद्ध आदि न जाने क्या-क्या होने पर गर्व करते नहीं थकते लेकिन एक हिन्दुस्तानी या भारतीय कहने में शर्म महसूस करते हैं। अमरीकी सांसद ने यह कहकर न हिन्दू, मुसलिम, सिख, ईसाई, बौद्ध का अपमान नहीं किया है, असल में उसने पूरी भारतीय कौम का अपमान किया है। असलियत में श्री दिनेश यादव इस पुनीत कार्य के लिए साधुवाद के पात्र हैं। देश इसके लिए उनका सदा ऋणी रहेगा।

अब जरा दिनेश चंद्र यादव की जानकारी पर दृष्टिपात करें। इसको इकट्ठा करने में उन्होंने बहुत श्रम किया है और समय तो खर्च किया ही है। यह जानकारी उन्होंने दैनिक चर्चा आज की समाचार के माध्यम से जनता के सामने लाने का प्रयास किया है। उसमें उनका कहना है कि इस जानकारी की पुष्टि कोई भी गूगल बाबा या उस साइट से की जा सकती है जिनके माध्यम से उन्हें यह सूचनाएं प्राप्त हुई हैं।

उनके अनुसार मोदी जी ने प्रधानमन्त्री बनने के बाद पड़ोसी देशों को एक अच्छे पड़ोसी होने के नाते जो मदद दी या खैरात बांटी थी, उसका थोड़ा सा लेखा-जोखा इस प्रकार है, उसे कृपया पढ़ लीजिए...। यह आपके साधारण सामान्य ज्ञान में और बढ़ोतरी करने में अहम भूमिका निबाहेगा। वह विवरण निम्नानुसार है :--

🏵 भूटान को 10000 करोड़।

🏵 मंगोलिया को 70000 करोड़।

🏵 बांग्लादेश को 15000 करोड़।

🏵मारीशस को 5000 करोड़।

🏵 नेपाल और अफ्रीकी देशों को 39 अरब।

🏵 सरदार पटेल स्टेच्यू के लिये 3500 करोड़।

🏵 उद्योगपतियों का ऋण माफ 5 लाख 55 हजार करोड़।

🏵 मोदीजी की विदेश यात्राओं का ख़र्च 2500 करोड़ से ज्यादा।

🏵 BJP के मुख्यालय का ख़र्च 350 करोड़।

🏵 मोदीजी और BJP के विज्ञापन पर 1,5000 करोड़ से भी ज्यादा।

🏵 मोदीजी की सुरक्षा में 24 घंटे का खर्च 1 करोड़ 62 लाख रुपये है। यानी एक साल का 591 करोड़ 30 लाख रुपये।

🏵 पिछले पांच साल मे कुंभ मेलों का ख़र्च करीब 15000 करोड़।

🏵 अमरीका के प्रेसिडेंट ट्रम्प के स्वागत के लिये 300 करोड़।

मोदीजी का पूरा रिपोर्ट कार्ड अगर आपको गलत लगता है तो गूगल पर जाकर देखकर और इसकी पुष्टि कर सकते हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि आप यह देखकर चौंक जाएंगे कि पिछले 6 वर्षों में भारत कैसे बदल गया है, देश का कितना विकास हुआ है, उसकी सारी तस्वीर साफ हो जायेगी। इसमेंं अगर कुछ भी आपको गलत लगे तो बताएं अन्यथा इस सच को स्वीकार करें। आभारी रहूंगा।

1. भारत अब उच्चतम बेरोजगारी दर से पीड़ित है! (NSSO डेटा)

2. दुनिया के सभी शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहर अब भारत में हैं! (WHO डेटा)

3. भारतीय सैनिकों की शहीद होने की संख्या 30 वर्षों में सबसे अधिक है! (वाशिंगटन पोस्ट)

4. भारत में अब 80 वर्षों में सबसे अधिक आय असमानता है! (क्रेडिट सुइस रिपोर्ट)

5. भारत महिलाओं के लिए दुनिया का सबसे खराब देश बन गया है! (थॉमस रॉयटर्स सर्वे)

6. उग्रवाद में शामिल होने वाले कश्मीरी युवा इन वर्षों में सबसे ज्यादा हैं! (भारतीय सेना के आंकड़े)

7. इस बार भारतीय किसानों को पिछले 18 साल में सबसे खराब कीमत का सामना करना पड़ा है! (WPI डेटा)

8. मोदीजी के पीएम बनने के बाद अब तक की सबसे ज्यादा गाय से जुड़ी हिंसा और रिकॉर्ड मॉबलिंचिंग की घटनाएं हुई हैं। (इंडिया स्पेंड डेटा)

9. भारत अब विश्व का दूसरा सबसे असमान देश है! (ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट)

10. भारतीय रुपया अब एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन वाली मुद्रा है।(मार्केट डेटा)

11. भारत पर्यावरण संरक्षण में विश्व का तीसरा सबसे बुरा देश बन गया है । (EPI 2018)

12. भारत के इतिहास में पहली बार विदेशी धन और भ्रष्टाचार को वैध बनाया गया है। (वित्त विधेयक 2019)

13. हमारे वर्तमान प्रधान मंत्री 70 वर्षों में सबसे कम जवाबदेह प्रधानमंत्री हैं। (प्रथम पीएम 0 प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के लिए )

14. भारत के इतिहास में पहली बार, CBI बनाम CBI, RBI बनाम Govt, Supreme

Court बनाम Govt के झगड़े इसलिए हुए क्योंकि मोदीजी सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं पर अपना नियंत्रण चाहते हैं।

15. भारत के इतिहास में पहली बार, सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि "लोकतंत्र खतरे में है, हमें काम नही करने दिया जा रहा!"

16. भारत के इतिहास में पहली बार, रक्षा मंत्रालय कार्यालय से चोरी हुए शीर्ष गुप्त रक्षा दस्तावेज! (राफेल)

17. पिछले 70 सालों में इस दौर में असहिष्णुता और धार्मिक अतिवाद की सबसे ज्यादा घटनाएं हुई हैं!

18. भारतीय मीडिया अब तक के वर्षों में सबसे खराब है!

19. भारत के इतिहास में पहली बार, अगर आप मोदीजी की सरकार की आलोचना करते हैं, तो आप पर देशद्रोही का लेबल लगता है जोकि बहुत ही शर्मनाक है।

गौरतलब है कि श्री यादव का कहना है कि इस संदेश में जो कुछ भी कहा गया है, वह जुमला नहीं है। ऊपर दिये गये सभी डेटा 100 फीसदी सत्यापित तथ्य हैं। आप किसी भी बिंदु पर गूगल पर स्वयं खोज करके उन्हें

सत्यापित कर सकते हैं। हमारे विकास पथ पर अग्रसर भारत की वास्तविकता यही है। दरअसल

पिछले 70 वर्षों में यह सबसे खराब सरकार है जिसका देश को खड़ा करने में किसी भी तरह का कोई भी योगदान नही है। जबकि हमारे प्रधानमन्त्री मोदीजी की सुरक्षा में 24 घंटे का खर्च 1 करोड़ 62 लाख रुपये है। यानी एक साल का 591 करोड़ 30 लाख रुपये मात्र।

कुछ लोग कहते हैं कि 2019 का चुनाव भारत में होने वाला आखिरी चुनाव है, क्योंकि मोदीजी ने जीतने के बाद हमारे लोकतंत्र के सभी संस्थानों को अपने नियंत्रण में कर लिया है और एक तानाशाह बन गये हैं। जबकि आज "चोर" और "चौकीदार" की बहस के बीच रोज़ी-रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा, भ्रष्टाचार, कालाधन, नोटबंदी, रोजगार, महंगाई आदि सभी मुद्दे उड़न छू हो गये हैं।

लेकिन यह तय है कि जब देश को बर्बाद करने वालों की सूची तैयार होगी तब इन दो वर्गों का नाम उस सूची में सबसे ऊपर होगा । वह होंगे :- पहला बिकाऊ मीडिया और दूसरा मूर्ख अंधभक्त।

सबसे बड़ा सवाल यह कि उन्होंने पहले चाय बेची या नहीं बेची, उसका कोई सबूत आजतक नहीं मिला, पर देश जरूर बेच रहे हैं उसके प्रमाण रोज बिकती हुई राष्ट्रीय संपदा को देखकर जरूर मिल रहा है।

● लाल किला बिक गया...

● रेलवे स्टेशन बिक गये...

● एयरपोर्ट बिक गये ...

● कोयले की खदानें बिक गयी ...

● रेलगाड़ी बिक गयी ...

● बन्दरगाह बिक गया ...

अब इसके बाद इनको

बेचने की तैयारी है। अब--

● LIC बिकेगी ...

● IDBI बिकेगी ...

● एयर इंडिया बिकेगी ...

● BSNL बिकेगा ...

● ONGC बिकेगी ...

● Indian Oil बिकेगा ...

● HPCL बिकेगा ...

दुख की बात है कि साहब कहा करते थे कि देश नहीं बिकने दूंगा और अब तो बस देश का नाम ही बिकने को बचा है! भाइयो बेचना बहुत आसान काम है! इस सरकार ने एक भी सार्वजनिक उपक्रम बनाया हो, यह कोई बता सकता है ? भाइयो बेचने के लिये नहीं कुछ नया पैदा करने के लिये सरकार बनायी थी! बेचने का काम तो कोई भी आम ठग भी कर सकता है ? अब विचारणीय यह है कि क्या ऐसी सरकार जनता के हित में है ? इस बारे में जनता को गम्भीरता से सोचना होगा ?

सबसे सुखद बात तो यह रही कि इस दौरान नाली से गैस, बत्तख से ऑक्सीजन, गोबर से कोहिनूर, गौमूत्र से सोना, रोजगार में पकौड़े, कोरोना के लिए थाली-ताली बजाना यह इतनी बड़ी उपलब्धि रही हैं कि इन मनोरंजनों के बीच सरकार के 6 साल कैसे कट गये पता ही नहीं चला। इसी पर हम देशवासी गर्व कर सकते हैं। है न गर्व की बात भाइयो-बहनो।

असलियत में दुनिया की रेटिंग एजेंसी मूडीज की माने तो 2021 में भारत दुनिया का सबसे दरिद्र अर्थ व्यवस्था वाला देश होगा। और तो और रायटर के सर्वे के अनुसार आने वाले छह महीनों में तो देश में आर्थिक मंदी से निजात मिलने के कोई आसार नहीं दिखाई देते। कहा यह जा रहा है कि स्थिति के अनुसार जीना सीख लो। जीना कैसे सीखें। जब सरकार जीने लायक रखेगी तभी तो जीना सीख पायेंगे। जब जिन्दा ही नहीं रहेंगे तो कैसा जीना, कैसा जीने का तरीका सीखना। आजकल एक उपदेश दिया जा रहा है कि हालात से समझौता कर लो। भाई हकीकत यह है कि समझौते तो तब करोगे जबकि समझौते लायक रहोगे। हालात तो इसकी कतई गवाही नहीं देते। यदि समाज विज्ञानी और विचारक जगदीश्वर चतुर्वेदी की माने तो इंदिरा गांधी के कार्य काल में 864 केन्द्रीय विद्यालय और राजीव गांधी के कार्य काल में 576 नवोदय विद्यालय खुले। आज जितने चार्टर्ड एकाउन्टैंट और कंपनी सेक्रेटरी हैं, उन्हीं विद्यालयों से निकले हैं। आज जो संपन्नता और विकास दिखाई दे रहा है यह बीते 67 सालों के विकास का नतीजा है। यह सब चमत्कार छह साल में ही संभव नहीं हुआ है। अब तो देश में बेचने का कीर्तिमान बनाने की होड़ लगी हुई है। यदि सब बिक जायेगा तो फिर बचेगा ही क्या?

अब सरकार के दृष्टिकोण से देखें तो सच्चाई यह भी है कि यदि चीजें बिकेंगी नहीं तो विकास कैसे जनता के सामने आयेगा। विकास का ही नमूना है कि चिकित्सा सुविधाओं की बदहाली के चलते हजारों लोग कोरोना के कारण बेमौत मर रहे हैं जिसमें रोजाना बढ़ोतरी विकास पथ पर चलने का ही तो प्रमाण है । आने वाले दिनों में यह तादाद लाखों की संख्या पार कर जायेगी। उस विकास में जिसमें चिकित्सा सुविधाओं पर ध्यान देना जरूरी ही नहीं समझा गया। कहा जा रहा है कि आत्म निर्भर बनो। सही है लेकिन क्या भूखे पेट रहकर, बेरोजगार रहकर, नौजवान बेकारी के चलते थाली बजाकर, नौकरी चले जाने की अवस्था में भूख से बेहाल बच्चों को तड़पता देखकर विवशता में आत्महत्या कर आत्म निर्भर बनेगा। यह सोचने-विचारने का समय है। अब ऐसा लगता है कि वह समय आने वाला है जब विकास के लिए देश की जनता की नीलामी न लगा दी जाये। तभी देश संपूर्ण विकास रथ पर आरुढ़ दिखेगा। वह दिन देश का स्वर्णिम दिवस होगा जिस पर हमें गर्व होगा।

प्रस्तुतकर्ता श्री ज्ञानेन्द्र रावत वरिष्ठ पत्रकार एवं पर्यावरणविद हैं तथा श्री दिनेश चंद्र यादव आरटीआई एक्टविस्ट हैं। ये दोनों के अपनी निजीविचार है ...

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