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- आपदा में अवसर..
लॉकडाउन और कोविड-19 के कारण पैदा हुई स्थितियों में खाना पहुंचाने वाली फर्मों ने अच्छा काम किया और लोगों को काफी राहत मिली। कारोबारियों की बिक्री भी संभव हुई। इन्हीं दिनों कोई भी सामान एक जगह से दूसरी जगह भेजने की एक और सेवा - वी फास्ट काफी लोकप्रिय हुई है। उदाहरण के लिए आपको नेबुलाइजर की जरूरत है पर आपके किसी परिचित के पास बेकार पड़ा है। पहले मंगाना मुश्किल था अब यह काम वीफास्ट आपके लिए बहुत कम पैसे में कर देता है। दूसरी ओर, कूरियर पर टैक्स पहले से लगता है और डाक सेवा फिर भी बैठ रही है। स्पीड पोस्ट के पैकेट क्यों नहीं पहुंचते हैं यह नहीं देखा जाएगा पर कूरियर से टैक्स वसूलना जरूरी है।
मेरे घर किसी ने बहुत सारा आम भेज दिया। पुरानी स्थिति में मैं खुद खाता, खराब होता या अपात्रों के बीच बांट देता। अब मैं अपने किसी मित्र को भेज सकता हूं। खर्च भी बहुत कम है। वैशाली से पश्चिम विहार या द्वारका तक डेढ़ किलो का पैकेट सिर्फ 300 रुपए में और कुछ घंटे में डिलीवरी। आम के लिए यह सेवा भले ठीक न लगे पर ब्लड प्रेशर या ब्लड शुगर चेक करने की मशीन मौके पर मिल जाए तो बहुत उपयोगी है। सामान्य स्थिति में आप नया खरीदते तो उसपर टैक्स देते अब आप किसी से मांगेंगे तो भी टैक्स लगेंगे।
आज के समय में जब ऑफिस जाने की जरूरत कम हो गई है, सड़कों पर ट्रैफिक रहता है तो ऐसी सेवाओं को प्रोत्साहन देना चाहिए ताकि बेरोजगारों को काम मिले और घर में रहने वालों को बाहर निकलने की मजबूरी न हो। पर हमारी सरकार को हर जगह पैसे कमाने का रास्ता खोजना होता है। आपदा में अवसर जरूरी है। लॉकडाउन में कौन कैसे जी रहा है इसकी चिन्ता तो नहीं की जाती है पर अगर कोई भी सेवा मिल रही है, (पैसे देकर भी) तो सरकार को उसपर टैक्स चाहिए। टैक्स (जीएसटी) का यह लफड़ा ऐसा है कि छोटे स्तर पर काम किया ही नहीं जा सकता है और बड़े पैमाने पर हर कोई नहीं कर सकता है। ऐसे में आप कोई छोटा-मोटा काम करके गुजर करना चाहें तो भी टैक्स आड़े आएगा।
खाना पहुंचाने का काम इतना बड़ा नहीं लगता है कि रेस्त्रां पर लगने वाले टैक्स से सरकार का पेट नहीं भरे तथा इस सेवा को और महंगा किया जाए। पर लोकप्रिय सरकार है। मंदिर बनवा रही है। धारा 370 खत्म किया है तो खर्च बढ़ेंगे ही। कहने की जरूरत नहीं है कि यह सब 'ईमानदार' और प्रधान सेवक की सरकार कर रही है। 'भ्रष्ट' सरकार ने कोयला खान या स्पेक्ट्रम सस्ते में बेचा कि नहीं ये तो तय नहीं हुआ (और अब मुद्दा भी नहीं रहा) पर ईमानदार सरकार ने टैक्स वसूलने की ऐसी व्यवस्था की है कि महंगाई बढ़ रही है, भ्रष्टाचार बढ़ रहा है और काम धंधे बंद हो रहे हैं। जय हो।
- संजय सिंह