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किसान आंदोलन, पाकिस्तान स्पॉन्सर्ड खालिस्तान द्वारा फैलाई वो गंदगी है, जो देश को लगातार खोखला कर रही है ..
कल मुजफ्फरनगर की महापंचायत को देख खुशी से प्रफुल्लित होकर भक्तों पर टीका टिप्पणी व् कटाक्ष करते कई महानुभव वोक जाट सोशल मीडिया पर दिख रहे हैं,
वे ज्ञानी समझ नहीं रहे कि जिस जाट बेल्ट में अभिवादन भी "राम राम" से नाम से होता है वहां मंच से यह मजहबी नारा उसकी स्वीकरोक्ति और उस महजबी नारे का इनके द्वारा खुला समर्थन इनके बौद्धिक खतने के संपन्न होने की पुष्टि कर रहा है,
वे आत्ममुग्ध ज्ञानी समझ ही नहीं पा रहे कि पाकिस्तान स्पॉन्सर्ड खालिस्तान द्वारा फैलाई यह वह गंदगी है जिसे वे वोक रिबेल राजमुकुट समझकर अपने सिर पर धारण कर जबरी उस बवाल में घुस रहे हैं, जिससे उनका कोई लेना देना ही नहीं है, एजेंडा किसी और का है जिसमे वे रिबेल विथआउट अ कॉज़ बने उछल कूद रहे हैं,
मुझे भली प्रकार याद है जब मुजफ्फरनगर में शांतिदूतों द्वारा जाटों का नरसंहार हुआ था,
शांतिदूतों से अपनी बहन की अस्मिता की रक्षा का प्रयास करने वाले दो जाट लड़कों की दिनदहाड़े शांतिदूतों की भीड़ ने ऐसी बर्बर मॉब लिंचिंग की थी कि दोनों अभागों के शव तक देखने वालों को उनपर दया आ जाए, और उसके बाद एक ऐसी ही जाटों की महापंचायत बुलाई गई थी जहां से लौटते समय जाटों के जत्थों पर घात लगाकर शांतिदूतों द्वारा सुनियोजित जानलेवा हमले किए गये थे, कई जाटों पर धारदार हथियारों और देसी तमंचों से हमला कर उन्हें नहर में फेंक दिया था उनमें से कईयों का आजतक कुछ अतापता नहीं चला है और अगले कई दिनों तक रातों में चुन चुनकर जाटों को निशाना बनाया गया था,
तब तत्कालीन समाजवादी सरकार का शांतिदूतों को खुला समर्थन प्राप्त था पूरा पुलिस प्रशासन और सरकारी अमला जाटों के विरुद्ध शांतिदूतों का साथ दे रहा था यहां तक हुआ था कि तीन दिनों तक रात रातभर कैंप लगाकर शांतिदूतों को हथियारों के लाइसेंस जारी किए गए थे और स्थिति यह थी कि पीड़ित जाट पक्ष के ऊपर ही राज्य सरकार ने मुकदमें ठोकने शुरू कर दिए थे, और तब आज जो प्रफुल्लित होकर उछलने वाले महानुभव जो भक्तों को नीचा दिखाने का प्रयास कर उनपर कटाक्ष कर रहे हैं उन जैसे कई लोग सोशल मीडिया के माध्यम से हम जैसे सोशल मीडिया पर राष्ट्रवादी पेज चलाने वाले भक्तों को संदेश भेज अपनी व्यथा देश के समक्ष रखने का आव्हान कर रहे थे,
उस समय जाटों की सहायता के लिए यदि कोई खड़ा हुआ तो वह यही भाजपाई भक्त थे, जाटों के लिए लड़ते हुए जो जेल गया और रासुका तक झेला वह भाजपा के नेता संगीत सोम सुरेश राणा और संजीव बालियान जैसे लोग थे, और सत्ता परिवर्तन के बाद जिसने जाटों के ऊपर लादे गए फर्जी मुकदमे वापस लिए वह भी भाजपाई भक्तों का एक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ था।
वैसे यह आचरण देख बहुत अच्छी तरह से समझ आता है कि क्यों यह देश टुकड़ों टुकड़ों में खंडित हुआ इतने वर्षों तक मुगलों और अंग्रेजों का गुलाम रहा, कारण यही मूर्खतापूर्ण आत्मघाती चरित्र है कि आज देश की बड़ी आबादी अपने शुभचिंतकों और शत्रु में अंतर करने में असमर्थ है और समय-समय पर अपने ही मित्रों और शुभचिंतकों के हितों के विरुद्ध जाकर अपने शत्रुओं का साथ देती रही है,
यह मूर्ख समझ नहीं रहे की आज जिन विधर्मी आक्रमणकारियों की गोद मे बैठ तुम अपने उन शुभचिंतकों को नीचा दिखाकर अपने से विमुख कर रहे हो जिन्होंने पिछले विपत्ति काल मे तुम्हारे लिए आवाज उठाई थी यह तुम्हारा ही नुकसान है, और ईश्वर ना करें किंतु यदि अगली बार तुमपर कोई वैसी विपत्ति आई तो अब मन मे तुम्हारे इन कटाक्षों की फांस लिए वह वर्ग कहीं अब पिछली बार की तरह तुम्हारा सहयोग करने से कतरा न जाये।
यही आचरण देख अब कभी-कभी इन मूर्खों के लिए अपना समय देकर लिखना जन जागरण का प्रयत्न करना राष्ट्र हित की बात करना निरर्थक लगने लगता है.........
-विपिन गुप्ता