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रडुअन के घर जच्चगी....

अरुण दीक्षित
4 July 2021 10:38 AM IST
रडुअन के घर जच्चगी....
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सबेरे की चाय पीकर गिलास रखा ही था कि फोन घनघनाने लगा। देखा तो पता चला कि चौपाल से मुसद्दी भइया याद कर रहे हैं।

झपट कर फोन उठाया। स्क्रीन पर उंगली घुमाने के साथ ही एक फौजी की तरह जयहिंद सर की तर्ज पर भइया को पालागन किया। उधर से बड़े दिन बाद वही पुराना, जूता पुजने वाला, आशीर्वाद मिला।

मैं कुछ पूंछता इससे पहले ही मुसद्दी भइया बोल पड़े- अरे लल्ला कल से जे लटूरी बहुत हिनहिना रहा है।सबकी नाक में दम कर दिया है।सबने समझा लिया लेकिन मान ही नही रहा है।बस एक ही फाग गाये जा रहा है!

मैंने भइया को बीच में रोकते हुए कहा - भइया लटूरी और फाग!क्या हो गया उसे? भइया ने कुछ क्षण के लिए उसी तरह मौन साधा जैसे बाजपेयी जी अपने भाषण के दौरान बीच बीच में साधते थे!फिर बोले-वह कल शाम से वही फाग गा रहा है जो रामदीन भैया होली पर गाया करते थे।वही तेल और दिया वाला।अब तुम इससे ही बात करो और समझाओ।पगला गया है लटूरी!

इतना कह कर भइया ने फोन लटूरी को पकड़ा दिया।राम राम के साथ ही लटूरी गर्दभ स्वर में गाने लगे...

तेल जरे बाती जरे

और नाँव दिया को होय..

लरिका खेले यार को

और नाँव पिया को होय...

उन्हें बीच में टोंकते हुए मैंने कहा- क्यों लटूरी भैया क्या हो गया तुम्हें!अब चौमासे आ गए हैं।अब तो आल्हा गाने का समय है।तुम फाग गा रहे हो!सब ठीक तो है।

इस पर लटूरी ने जोर का ठहाका लगाया और बोले--लल्ला तुमने ठीक बात पूंछी!अब हम का करईं!कालि संझा हमने टीवी पै खबरि देखी।भाजपा वारे खुसी से नाचत हते।वे बताइ ऱये ते कि जिला पंचायत के चुनाव मैं वे 66 जिला जीति गए हैं।मारि लड़ुआ बंटत हते।

अब लल्ला जा बताबहु क़ि हम किनकी माने।सब अखबारन मैं छपो हतो की पंचायतन के चुनाव मैं भाजपा जितीयहि नायँ है।गांव जवार के लोगन ने भाजपा के सदस्य नाही चुने।लेकिन वे कालि ते कूदे कूदे फित्त हैं कि हम 66 जिला जीते...66 जिला जीते...जब गांव में वोट नाही मिले तो फिर ये जीत कैसी!!

अब जा तौ बहे बात भई कि रडुअन के घर लरिका पैदा हुई गओ! हमैं अपने रामदीन भइया और वे सब जने यादि आइ गए जो होरी पै चौपारि गाओ कत्त हते..

तेल जरे बाती जरे

नाँव दिया को होय

लरिका खेले यार को

ऑउ नाँव पिया को होय..

जामै का ग़ल्त बात है?हम ठीक कहत कि नाईं?

लटूरी ने सवाल उछाल कर कुछ क्षण का मौन साधा!फिर बोले- बताबहु लल्ला!बोलौ!का हम ग़ल्त बात कहत हैं!

लटूरी के प्रश्न ने मुझे अनुत्तरित कर दिया! मैंने सांस खींचते हुए कहा-लटूरी भैया अब जमाना बदल गया है।अब राजनीति ऐसे ही होती है।जे राम भक्त तो दो विधायक जिता कर राज्य में सरकार बना लेते हैं।आप जिला पंचायत की बात कर रहे हो।

लेकिन वे नही माने!बोले-अच्छा तो अब जिनके मूड़ खजुरिया नाँहि चढ़ी वे हू बाप कहे जैयें? वाह लल्ला बढियां है। जा तुम्हारे जमाने की बात है तौ तुम ही जानो!हम तो अपुनो फाग गैएँ ।क्योंकि आज के दस्तूर हमाई समुझि ते बाहर हैं।

लेउ अब तुम नेक इन मुसद्दी लम्बरदार कौ समुझाइ देउ।जमानो बदलो तौ बदलै।हम नाई बदलेगे!

अच्छा फिर बात करियो! राम राम....

अरुण दीक्षित

अरुण दीक्षित

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