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रवीश की चिठ्ठी व्रतियों के प्यारे पतियों के नाम

रवीश की चिठ्ठी व्रतियों के प्यारे पतियों के नाम
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कोई प्राब्लम है क्या लाइफ़ में? करवां चौथ का दिन है, थोड़ा सज सँवर लोगे, मुस्कुरा लोगे तो कुछ हो जाएगा? कुछ तस्वीरें देख रहा हूँ। पत्नियाँ सजी धजी हैं। ख़ूबसूरत लग रही हैं। उनके बगल में आप उखड़े उखड़े से खड़े हैं। लगता है किसी और के बगल में जाकर खड़े होने की जल्दी है। पत्नी है तुम्हारी, साहूकार नहीं कि बोकाराम की तरह खड़े हो। माना कि जीवन ने घिस दिया है पर जितना बचे हो, उसी में चमकते नजर आओ भाई।

हो सके तो तुम भी नहा लो। आज शाम डाबर आँवला तेल मत लगाओ। चश्मा साफ कर लो और नई क़मीज़ पहनकर खड़े होकर फोटो खींचा लो। जीवन में रस लो। फेसबुक बना दिया है लाइफ़ को। स्टेटस अपटेड करो और कट लो। फिर किसी दूसरे के इनबॉक्स में चैट करने लग जाओ।

एक तो वैसे ही पत्नियाँ खड़ूस, सामंती पतियों पर इतनी मेहरबान हैं। कम से कम ख़ूबसूरत साड़ियों की तो लाज रखो नालायकों। फोटो खींचाते समय मुस्कुरा दो। लग रहा है पति नहीं, लैंडलॉर्ड हैं। किराया लेने आए हैं।

ये पोस्ट उनके लिए जिनके यहाँ करवां चौथ होता है। जिनके यहाँ नहीं होता है वही सबके पोस्ट में सबको निहार रहे हैं !
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