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"पुस्तके आजकल" में पढ़िए शारिक रब्बानी की नई पुस्तक "अफकार-ए-शारिक"
पुस्तकें "आजकल"
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"पुस्तके आजकल" के कॉलम में हम चर्चा करेंगे प्रसिद्ध शायर शारिक रब्बानी की नई किताब अफ़कार-ए-शारिक की। यह किताब पिछले वर्ष 2020 में प्रकाशित की गई है।
ताज आफसेट प्रेस बहरिच से प्रकाशित यह पुस्तक लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। लेखक को
"नेपाल के उर्दू शोरा का तफ़सीली जायजा" किताब के लिए "उत्तर प्रदेश उर्दू साहित्य एकेडमी" के द्वारा पुरस्कार दिया गया है।
अफ़कार-ए-शारिक भारत और नेपाल दोनों ही देशों में लोकप्रिय, प्रेम, मानवता, महिला स्वतंत्रता के समर्थक शायर और साहित्यकार शारिक रब्बानी का दूसरा काव्य संग्रह है।
इस काव्य संग्रह में गजल, नज्म, (कविता) मुक्तक, दोहा, मनकबत आदि कई विधाओं में रचनाएं संकलित हैं। साथ ही भारत के राष्ट्र प्रेम से ओतप्रोत नेपाल की भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विशेषताओ का बखान करती, रचनाओ के साथ नारी, मां, हाजी वारिस अली शाह, कृष्ण जी,हजरत-ए-कृष्ण, मीराबाई, ओशो पर भी रचनाएं सम्मिलित हैं। शारिक रब्बानी की विशेषता है कि वह सर्व धर्म सम्भाव में विश्वास रखते हैं।
इन्हें जहां हाजी वारिस अली शाह और मोहम्मद शाह से अदीकत है, वहीं कृष्ण से भी अदीकत है।जैसे स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हसरत मोहानी को कृष्ण से अदीकत थी। पुस्तक में नारी और मां के सम्मान से ओतप्रोत कविताएं हैं। मीरा की शख्सियत और भक्ति की प्रशंसा है। ओशो के प्रेम, ज्ञान और विचारों का बेहतरीन विवेचन किया गया है। किताब के कुछ अंश -
वफा़, खुलूस, मौहब्बत का क्या उजाला है
मेरे वतन का जमाने में बोलबाला है...
इस जहां में मेरा कोई दुश्मन नहीं
मैं दुआ कर रहा हूं सभी के लिए...
मरदो जन का एक है रुतबा
रहमतों बरकत नारी है..
नारी का सम्मान हो 'शारिक'
तोहफ-ए-कुदरत नारी है...
क्या खूब तेरी शान है हजरत-ए-कृष्ण
गीता से मिलता ज्ञान है या हजरत-ए-कृष्ण...
मीरा की हर अदाओं में राधा का रंग है
मीरा का जो पिया का वही राधा का श्याम है...