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शिवराज सरकार : लड़कियों को कालेज में पढ़ने के लिये बीस हजार मिलेंगे लेकिन टीचर नही!
: अरुण दीक्षित
भोपाल।मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जब प्रदेश की जनता को सौगातें बांटते हैं तो झड़ी लगा देते हैं।उनकी घोषणाओं को सुनकर उपकार फ़िल्म का एक गाना बरबस ही याद आ जाता है!यह गाना आपको भी याद होगा!वही गाना जिसकी पहली लाइन थी-कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या!
खाली खजाने वाली सरकार के मुखिया जब बांटने पर आते हैं तो दरियादिली के साथ सब कुछ बांट देते हैं।
ताजा मामला रक्षाबंधन पर प्रदेश की किशोरियों को दिए गए तोहफे से जुड़ा है।प्रदेश में अतिपिछड़े मंत्रियों की जनआशीर्वाद यात्रा के दौरान उन्होंने रविवार को ऐलान किया कि अब प्रदेश में जो भी लड़की कालेज में प्रवेश लेगी उसे बीस हजार रुपये दिए जाएंगे।बिना।मांगे दिए गए इस तोहफे की घोषणा करते हुए उन्होंने यह भी बताया कि इसके लिए पैसे की व्यवस्था लाडली लक्ष्मी योजना के तहत की जायेगी।महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देते हुए वे यह बताना नही भूले कि उनकी सरकार ने महिलाओं को पुलिस में 30 प्रतिशत और शिक्षक भर्ती में 50 प्रतिशत आरक्षण दिया हैं।
रक्षाबंधन पर अपनी घोषणा में शिवराज ने अपने स्वभाव के मुताविक बड़ी बातें कीं।इसमें कोई गलत बात भी नही है।यह तो मुख्यमंत्री का काम ही है।
लेकिन अगर जमीनी हकीकत देखें तो यह समझ आएगा कि शिवराज जो कह रहे हैं या जो दावा कर रहे हैं वास्तविकता उसके विपरीत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जो लड़की कालेज में प्रवेश लेगी तो उसे बीस हजार रुपये देंगे।इसके लिए पैसे का बंदोबस्त कैसे होगा उस पर बात करने से पहले कालेज पहुंचने की पढ़ाई की व्यवस्था पर नजर डाल लेते हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताविक मध्यप्रदेश में प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक के शिक्षकों के करीब 90 हजार से भी ज्यादा पद खाली हैं।मोटा मोटा आंकलन करें तो प्रदेश के हर जिले में शिक्षकों के करीब 1800 पद खाली पड़े हैं।यह भी सरकार का ही आंकड़ा है कि बड़ी संख्या में स्कूल शिक्षक विहीन हैं।हजारों स्कूल मात्र एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं।ऐसे में सरकारी स्कूलों के भरोसे रहने वाली गांव की लड़कियां कालेज तक कैसे पहुंच पाती होंगी यह अपने आप में बड़ा सवाल है।
अब एक नजर रक्षाबंधन के इस ऐलान के ठीक चार दिन पहले राजधानी भोपाल में हुई एक घटना पर डाल लेते हैं।उस दिन सरकार द्वारा परीक्षा के जरिये चुनी गयी हजारों शिक्षिकाएं भोपाल आईं थी।ये शिक्षिकाएं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को राखी बांध कर यह गुहार करना चाहती थीं कि उनका चयन हो गया है अतः अब सरकार उन्हें नौकरी दे दे।
पूरे प्रदेश भर से आयी ये शिक्षिकाएं बड़े अरमान से राखी की थाली सजा कर बीजेपी दफ्तर के सामने अपने मामा शिवराज सिंह का इंतजार करती रहीं।वे दिन भर उम्मीद लगाए बैठी रहीं।लेकिन शिवराज सिंह उनकी राखी स्वीकार करने नही पहुंचे।न ही कोई नुमाइंदा पहुंचा।भारी बारिश के वाबजूद भाजपा दफ्तर के सामने जमी रही इन महिलाओं से मिलने शाम को भोपाल के कलेक्टर और डीआईजी पहुंचे।उन्होंने भी कोरोना का हवाला देते हुए जगह खाली करने और अपने घर जाने को कहा।लेकिन जब राखी लेकर आई शिक्षिकाओं ने उनकी बात पर ध्यान नही दिया तो पुलिसकर्मियों ने अपने स्टाइल से उन्हें हटाया।बड़े अरमान से लाई गई राखी की थाली पुलिस वालों के जूतों के नीचे आकर बिखरी। साथ ही उन्हें लाने वालों को पुलिसकर्मियों ने खींच खींच कर घटनास्थल से जबरन हटा दिया। बाद में करीब 1500 प्रदर्शनकारियों पर मुकदमा भी दर्ज किया गया।
मजे की बात यह है कि बात बात में खुद को हर बहन का भाई बताने वाले शिवराज सिंह की इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नही आई।हां रक्षाबंधन का ऐलान जरूर आ गया।
सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताविक 2019 के पहली तिमाहीं में शिक्षिकों की भर्ती परीक्षा हुई थी।अगस्त 2019 में नतीजा आया था।बाद में एक साल तक पास हुए शिक्षकों का वेरिफिकेशन हुआ।उसके बाद से ही वे अपनी नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं।
अब मुख्य सवाल यह है कि जब सरकारी स्कूलों में शिक्षक ही नही होंगे तो बच्चियां कैसे प्राथमिक पढ़ाई करेंगी और कैसे कालेज तक पहुंचेगी। यह कैसे संभव है कि शिक्षकों को नौकरी दिए बिना ही गावँ के बच्चे पढ़कर कालेज पहुंच जाएंगे।
रक्षा बंधन की ही एक घटना और!शिवराज सिंह ने ट्वीट किया कि मध्यप्रदेश अकेला ऐसा राज्य है जहां बलात्कारियों को फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है।
यह भी एक संयोग ही है कि महिलाओं के साथ अत्याचार के मामलों में मध्यप्रदेश लंबे समय से अग्रड़ी रहा है।राज्य सरकार द्वारा फांसी की सज़ा का प्रावधान किए जाने के बाद निचली अदालतों ने कई दरिंदो को फांसी की सजा भी दी है।लेकिन यह भी संयोग ही है कि आज तक किसी भी आरोपी को फांसी पर नही लटकाया गया है।कानून बन गया।उस पर अमल भी हो गया।लेकिन फिर भी कोई आरोपी फांसी के तख्ते तक नहीं पहुंचा। न ही राज्य में महिलाओं और बच्चियों के साथ हो रहे बलात्कार जैसे जघन्य अपराध कम हुए हैं।
शिवराज सिंह ने मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री की कुर्सी पर रहने का रिकॉर्ड कायम किया है।वे 27 नवम्बर 2005 को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। दिसम्बर 2018 में हार के बाद उनकी कुर्सी चली गयी थी।लेकिन दिल्ली की कृपा से वे करीब 15 महीने बाद 23 मार्च 2019 को फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर काबिज हो गए थे।
लगभग 15 साल से ज्यादा के अपने कार्यकाल में उन्होंने महिलाओं को लेकर बहुत घोषणाएं की हैं। बड़े बड़े दावे वे करते रहे हैं।लेकिन इसके बाद भी महिलाओं की स्थिति में कोई खास बदलाव नही आया है।उनकी ख्याति जगत मामा की है।लेकिन भांजियों की सुरक्षा आज भी बड़ी जरूरत है।
ऐसे में उनकी नई घोषणा पर अमल पर भी नजर रखनी होगी।क्योंकि जब स्कूलों में शिक्षक ही नहीं होंगे तो लड़कियां कालेज तक पहुंचेगी कैसे!इस सवाल का जवाब शिवराज नहीं देंगे।जबकि यह और ऐसे ही बड़े सवाल समाज में पक्की जगह कायम कर चुके हैं।उन्हें देखने का समय उनके पास नही है।सवाल यह भी है कि भोपाल की गैस पीड़ित विधवाओं को समय पर पेंशन न देने वाली सरकार कालेज में प्रवेश लेने वाली लड़कियों के लिए सैकड़ों करोड़ की राशि कहाँ से और कैसे जुटाएगी।फिलहाल घोषणा हो गयी है।उसका प्रचार चलेगा।रही अमल की बात तो उसकी चिंता किसे है!!!