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- लघुकथा - संकरी गली
संकरी गली
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प्रत्यूष गुलेरी
पड़ौस में किसी ने नया पी जी चलाया।था तो लड़कियों का पर कुछ मन चले दिवाने भी घूमते नज़र आने लगे। स्वाभाविक था आसपास के मुहल्ले के लोगों के राडार पर रहा यह पी जी।सब अपनी -अपनी राय रख रहे थे
-संचालक को बीच में रहना चाहिए।
-यह लिख कर बोर्ड लटकाना चाहिए कि ' बोआयज़ आर नाट अलाउड। '
-लड़कियों के पास लड़के न आएं तो इसके लिए संचालक/मालिक को कोई चौकीदार रख लेना चाहिए। लघुकथा तीन दृश्य पेश करती है मित्रो।
1 -वारिश लगी है एक लड़का और एक लड़की पी जी से गली में निकलते हैं। लड़का लड़की को सलीके से संभाले छोटे छाते में ले जा रहा है जिसे पड़ौस में देखा गया। पर लड़का लड़की हंसते खिलखिलाते गुजर गए।
2 -लड़का एक थैली आटे की या चावल कंधे पर धरा गली से पी जी में घुस गया ।एक हरे जंपर में खड़ी युवती ने युवक का स्वागत किया। दो पड़ौसी बतियाये
पहला-कौन है यह लड़का?बार बार नज़र आ रहा है एक लड़की के साथ।
दूसरा-मुझे तो इस ठिगनी लड़की का भाई प्रतीत दे रहा है।
पहला- नहीं, कोई बाल धूप में श्वेत नहीं हुए। सब साफ़ हो जाएगा।
3 पाठक वृंद तीसरा दृश्य बहुत जल्द एक दिन घटित हुआ। रपट पेश है-हो हल्ला मचा है छ:कमरों के पीजी में। एक मोटर साइकिल गली की नुक्कड़ पर पीजी के बाहर खड़ा है।दो लड़कियां उस के निकट परेशान नज़र आ रही हैं। आवाज़ें आ रही हैं-
-अंकल एक बार माफ कर दो। अब फिर ऐसा नहीं होगा।
-नहीं, मैं पुलिस स्टेशन स्टेशन रिपोर्ट करने लगा।
-एक लड़की का करुणा भरा स्वर चीखों में बदलने लगा।
अंदर से लात,मुक्के और मारने पीटने की आवाज़ें आने लगीं। आस पड़ौस खड़ा -खड़ा अंदाजा लगा चुका था कि जरूर संचालक आया है। दृश्य की समाप्ति होती है एक मार खाए उसी लड़के की जो इसी प्रेम की संकरी गली में आ जा रहा था।अब वह बेचारा तो गया वह लड़की भी मुंह छिपाय गायब है।
कीर्ति कुसुम,
सरस्वती नगर पोस्ट दाड़ी-176057 धर्मशाला
हिमाचल प्रदेश