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*श्री जगन्नाथ जी शोभायात्रा रथयात्रा गीत* *************************************** रचयिता : *डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
हे!जगन्नाथ हे!जगन्नाथ,जग के स्वामी जगन्नाथ।
तेरे ही आगे खड़ी है दुनिया, श्रद्धा से जोड़े हाथ।
तू ही दाता तू ही पालक,तू ही रक्षक हे!जगन्नाथ।
अपनी कृपा से सिंचित करना,रखना सर पे हाथ।
जगन्नाथ जी के दर्शन पूजा में,चढ़े प्रसाद ये भात।
झोली भर देताहै तू भक्तों की,जयहो हे! जगन्नाथ।
श्रीमदभागवत कथा जहाँ सुनें,पधारें श्री जगन्नाथ।
तेरी लीला वर्णन श्रवण, सप्ताह नित कथा प्रसाद।
सारथी हो अर्जुन के,हमसब तेरे दयादृष्टि के पार्थ।
चारो धाम दर्शन बाद,जगन्नाथ जी का होता भात।
पुरी धाम में मिलता प्रसाद में,भक्तों को सूखे भात।
जगन्नाथ जी के ब्रह्मभोज,चावल में पड़े वह भात।
दुनिया में सबसे बड़ी शोभायात्रा,तेरी ही रथयात्रा।
उड़ीसा नरेश शामिल होके,खुदभी खींचें रथयात्रा।
भव्य जुलुस शोभा यात्रा की,मीलों लंबी कतारें हैं।
सड़क के दोनों ओर भक्तों,द्वारा लगते जयकारें हैं।
लाखों लोगों से भीड़ जुटे,दर्शन करते हे!जगन्नाथ।
जय जगन्नाथ जय जगन्नाथ,जय हो तेरी जगन्नाथ।
रथयात्रा की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
जगन्नाथजी पूर्ण करें,हमारी सबकी मनोकामनाएं।
रचयिता :
*डॉ.विनय कुमार श्रीवास्तव*
वरिष्ठ प्रवक्ता-पी बी कालेज,प्रतापगढ़ सिटी,उ.प्र.
(शिक्षक,कवि,लेखक,समीक्षक एवं समाजसेवी)
इंटरनेशनल चीफ एग्जीक्यूटिव कोऑर्डिनेटर
2021-22,एलायन्स क्लब्स इंटरनेशनल,प.बंगाल