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- तो क्या यूपी, बिहार...
तो क्या यूपी, बिहार वालों से आईएएस बनने का हक छीन लिया जाए
निलोत्पल मृणाल (हिंदी साहित्य अकेडमी के सदस्य)
परसों से देख रहा,एक वर्ग अपने अलग तरह के गुस्से में है। उसका कहना है कि बिहार-झारखंड या यूपी के लोग आईएएस ही क्यों बनना चाहते हैं? इस बात को लेकर गुस्सा हैं।तरह-तरह से रचनात्मक पोस्ट लिख के कोस रहे।
आप सफ़ल-असफल छात्रों का मजाक बना रहे।उपहास उड़ा रहे।
मने अजब टाईप का क्रोध है।
बाकि हर तरह के झन्डू बाम काम को भी "माई चोइस" कह प्रगतिशीलता के रॉकी पर्वत पर चढ़ जायेगें लेकिन किसी का आईएएस की तैयारी करना " माई चोइस " की श्रेणी में नहीं मानेंगे।
ये सामंतवाद है तो समाज का दवाब है,तो पॉवर पाने की इच्छा है,तो पापा का प्रेशर है तो सुख की कामना है?
वाह्ह्ह्ह्ह रे परमार्थीयों....वाह्ह्ह्ह...मने आईएएस को छोड़ कुछ भी करेंगे तो उसमें बस विश्व कल्याण का ध्येय है ना? उसमें सुख,मुनाफा,सुविधा,मान-सम्मान,पॉवर थोड़े सोचते होंगे कोई?वेतन थोड़े लेते होंगे आप? माँ बाप को थोड़े प्राउड टाईप देना चाहते हैं आप?
अजब गुस्सा है भाई।गुस्से की मौलिक संकल्पना।ओह।
हे प्रभु, कोई कर रहा तैयारी तो करने दिजीये न,पढ़ाई उसकी,संघर्ष उसका..असफलता उसकी।आपका तो बस एफबी पोस्ट ही ना? उसको नमन् रहा,चलिए।अब करने दिजीये न तैयारी।आपलोग ऐसे गुस्सा कर रहे जैसे भस्म कर दीजिएगा सरकारी नौकरी की हर संभावना को।वैसे भी अब कितने अवसर बचते ही हैं सरकारी नौकरी के? अगर एकाध पीढ़ी साहेब-बाबू बन अपना सामाजिक-आर्थिक दायरा इस रास्ते भी बनाना चाह रही तो आप गुस्से में क्यों हैं?
आप उद्योगपति होते रहिये या लियोनार्दी द विंची होईये,कोई नहीं रोक रहा। उनको आईएएस बनना है,पढ़ के ही बन रहे,आपसे तो कुछ छिन नहीं बनेंगे। आप हैं भी नहीं इस दौड़ में न।तो चिल्ल करिये,ऐंतरपेन्योर बन के इतिहास रचिये, हमें सरकारी नौकरी की तैयारी करने दीजीये,गुस्सा ना करिये।जय हो।