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स्पेशल स्टोरी- महंगे तेल पर सियासी जंग...!

News Desk Editor
10 Sep 2018 11:12 AM GMT
स्पेशल स्टोरी- महंगे तेल पर सियासी जंग...!
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कीमतें आसमान में…, रुपया पाताल में…!

जनता सड़क पर…, आखिर सरकार कहाँ है…?

जी हां दोस्तों...!

केन्द्र में मोदी सरकार का शासन चल रहा है...और कुछ ही महीनों बाद लोकसभा चुनावों की रणभेरी भी बज जाएगी...ऐसे में पेट्रोल डीजल और गैसों के दाम बढ़ने पर विरोध के स्वर उठने स्वाभाविक ही है...इस समय जहां डीजल की कीमत 72 रुपये के ऊपर पहुंच गई है तो...वही पेट्रोल के दाम अस्सी से सतासी रुपये के बीच हो गया है...पहले भी विरोधी दलों और कांग्रेस ने महंगाई के खिलाफ भारत बंद का कार्ड खेल चुकी है...वही रविवार को तेल की कीमतें बढ़ने से उसे मोदी सरकार को दोबार घेरने का मौका मिला गया है...अब सवाल यह उठता है कि...क्या पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी पर भारत बंद के सहारे...कांग्रेस एक तीर से दो निशाने साधना चाहती है...? कांग्रेस ने भारत बंद के जरिए आज जहां एक तरफ मोदी सरकार को घेरा...वहीं दूसरी तरफ 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी अगुआई में महागठबंधन की एकता को दिखाने की भी पूरी कोशिश की...अब यहां सवाल यह भी बनता है कि...आखिर कांग्रेस ने क्यों बुलाया भारत बंद...? कही भारत बंद के जरिए कांग्रेस 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने के लिए...जमीन तो नहीं तैयार कर रही है...?आखिर क्या है भारत बंद के राजनीतिक मायने...? पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और महंगाई को लेकर मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस ने आज 'भारत बंद' किया...कांग्रेस के इस बंद का 21 विपक्षी दलों...कई व्यापारिक और समाजिक संगठनों ने समर्थन है...वहीं...कुछ पार्टियां ऐसी भी हैं जो कांग्रेस के नेतृत्व करने के चलते इस विरोध में शामिल नहीं हुई...बता दें कि तेल की कीमतों में लगतार उछाल का दौर जारी है...पिछले 15 दिन से पेट्रोल और डीजल के दाम हर दिन बढ़ रहे हैं...देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें लगभग रोज ही नए रेकॉर्ड बना रही हैं...हैरत की बात यह है कि सरकार और सत्तारूढ़ दलों में इस सवाल पर गजब की चुप्पी दिख रही है...समय-समय पर केंद्र सरकार का कोई मंत्री आकर ज्ञान बांट कर जाता है कि ऐसा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में तेल की चढ़ी कीमतों की वजह से हो रहा है...जब-तब उसके श्रीमुख से डॉलर के मुकाबले रुपये का भाव गिरने का जिक्र भी सुनने को मिल जाता है...लेकिन इस बारे में सरकार की कोई जवाबदेही बनती है या नहीं...और वह इस बढ़ी हुई महंगाई पर कभी कुछ करने की सोचेगी भी या नहीं...इस बारे में कोई कुछ कहने को तैयार नहीं है...वही विपक्षी पार्टियां भी अभी तक इस मसले को प्रभावी ढंग से उठाने में नाकाम रही हैं...नतीजा यह है कि आज के लिए कांग्रेस की तरफ से जो भारत बंद का आयोजन हुआ...वह विरोध कम और पाप मुक्ति का प्रयास ज्यादा लगा...बहरहाल...देश के राजनीतिक हलके को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि पेट्रोल-डीजल की आसमान छूती कीमतों का लोगों पर कोई असर नहीं हो रहा...लोकतंत्र में लगातार तकलीफ बर्दाश्त करते लोगों का धैर्य कब जवाब दे जाएगा...कहा नहीं जा सकता...और यह मामला सिर्फ मिडल क्लास की भावनाओं का नहीं है...!!

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगी आग किन-किन सेक्टरों को झुलसा रही है...इसका अंदाजा सरकार को जरूर होगा...डीजल की महंगाई खेती-किसानी का भट्ठा तो बिठा ही रही है...यह ट्रकों का चलना मुश्किल बना रही है...और रेलवे का बजट भी बिगाड़ रही है...ऐसे में सरकार सिर्फ यह कहकर हाथ नहीं झाड़ सकती कि...तेल की कीमतें अब सरकार नहीं... ऑयल मार्केटिंग कंपनियां तय करती हैं...सच्चाई यह है कि इन चीजों की जो कीमत हम चुका रहे हैं...उसका बहुत बड़ा हिस्सा केंद्र और राज्य सरकारों की जेब में जा रहा है...पेट्रोल के बाजार भाव में आज करीब 85 फीसदी हिस्सा उस टैक्स का है...जो सरकारें हमसे वसूल रही हैं...डीजल पर प्रति लीटर 15.33 रुपये और पेट्रोल पर प्रति लीटर 19.48 रुपये उत्पाद कर तो अभी अकेले केंद्र सरकार ही ले रही है…यहां इस तथ्य की याद दिलाना भी जरूरी लग रहा है कि केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 11.77 रुपये और डीजल पर 13.47 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी नवंबर 2014 से जनवरी 2016 के बीच बढ़ाई थी…जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें लगातार गिर रही थीं…बाद में कीमतें चढ़ती गईं…लेकिन यह बढ़ा हुआ टैक्स सिर्फ एक बार जरा सा कम हुआ…अक्टूबर 2017 में, कर्नाटक विधानसभा चुनाव वाले माहौल में…मात्र 2 रुपये प्रति लीटर…आखिर कोई तो सीमा होगी…जिसके ऊपर तेल की कीमतों का जाना सरकार में बेचैनी पैदा करेगा...अगर हां...तो अभी क्यों नहीं...समय आ गया है कि मोदी सरकार सभी राज्य सरकारों से परामर्श करके टैक्सों की सीमा बांधे और पेट्रोल-डीजल सस्ता करने का उपाय करे...!!

पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी पर भारत बंद के सहारे कांग्रेस आज एक तीर से दो निशाने साधती नजर आई… कांग्रेस ने बंद के जरिए जहां मोदी सरकार को घेरा...वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए अपनी अगुआई में महागठबंधन की एकता को दिखाने की भी भरपूर कोशिश की... दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पीएम मोदी पर निशाने के साथ महागठबंधन को मजबूत करने की अपील भी करते नजर आए...वही भारत बंद में कांग्रेस के साथ 21 दलों ने हिस्सा लिया...'प्रधानमंत्री ने वो कर दिखाया जो 70 साल में नहीं हुआ... 70 साल में पेट्रोल-डीजल और गैस सिलेंडर की कीमत सर्वाधिक स्तर पर है… क्या पेट्रोल की कीमत शतक लगाएगी…? दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि...जब हमारी सरकार थी… तो सब्सिडी वाला सिलेंडर 414 रुपये था…और इनकी सरकार में इसका दाम दोगुना बढ़ गया है...डीजल की कीमत बढ़ने से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को हुआ है...इस सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स लगाकर आम आदमी की जेब से 11 लाख करोड़ रुपये लूटा है... 'भारत बंद' का जिक्र करते हुए कहा कि यह कांग्रेस का बंद नहीं...बल्कि जनता का 'भारत बंद' है...!!

कैलास यात्रा से लौटे... 'शिवभक्त' राहुल गांधी ने रामलीला मैदान में आयोजित भारतबंद पर एक बार फिर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला... राहुल ने अपने भाषण में पीएम नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा... कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा...'मोदी जहां जाते हैं लोगों को तोड़ते हैं... पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ गए हैं...पर पीएम कुछ नहीं बोलते हैं...2 करोड़ लोगों को रोजगार दने का उनका वादा कहां गया...? आज गैस सिलेंडर 800 रुपये की हो गई है...देश जो सुनना चाहता है उसके बारे में मोदी कुछ नहीं बोलते हैं...पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने रामलीला मैदान में आयोजित धरने में मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला और इस सरकार को हर मोर्चे पर विफल बताया...मनमोहन सिंह ने कहा... 'समय आ गया है कि मतभेद भुलाकर सभी दल साथ आएं...सरकार बदलने का वक्त आने वाला है...इस सरकार में किसान...छोटे व्यापारी परेशान हैं...युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है...मोदी सरकार ने जो वादे किए थे वे पूरे नहीं हुए हैं...हमें देश की एकता और अखंडता बचाने का काम करना होगा...मोदी सरकार ने ऐसे कई काम किए हैं देशहित में नहीं है... वही आज रामलीला मैदान में प्रदर्शन में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, एनसीपी से शरद पवार, आरजेडी से जयप्रकाश नारायण यादव, लोकतांत्रिक जनता जल से शरद यादव, आम आदमी पार्टी से संजय सिंह, समेत डीएमके एवं कई अन्य विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हुए...!!


मौजूदा हालात देखते हुए...यह कहना गलत नहीं होगा कि...कांग्रेस को यह मालूम है कि...वह फिलहाल अकेले बीजेपी को टक्कर देने की हालत में नहीं है...ऐसे में महागठबंधन के जरिए भगवा दल को टक्कर देने की उसकी यह रणनीति नजर आती है...कांग्रेस इस बंद के जरिए यह भी संदेश देना चाहती है कि...उसकी छतरी में तमाम विपक्षी दल हैं...अब तो आने वाला समय ही बतायेगा कि...इस रणनीति का कितना नफा-नुकसान कांग्रेस को मिलता है...वही बीजेपी अगर समय रहते अपने टैमेज कंट्रोल के लिए कुछ नहीं करती है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में उसे नुकसान देखना पड़ सकता है...!!

लेखक- कुंवर सी.पी. सिंह वरिष्ठ टी.वी. पत्रकार

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