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- संडे स्पेशल : मित्रता...
ऑन लाइन ! _ हाय ! मुआँ को हाय _ हाय नहीं बोल सकते । यह रोदन है । हमारे शहर के हमारे गुरु पदमश्री नाटककार लोहा सिंह ने एक नाटक लिखा था _ रोबोट । मगध विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल था । इसमें मशीनी मानव का विरोध था । नाटक हुआ । रोबोट मैं ही बना था । आज देखिए , रोबोट का ज़माना है । बिहार के लोग मज़ाक में कहते हैं _ अब बच्चा भी रोबोट से पैदा होंगे । गज्ज्ब ! गज्ज़्ब हो गजबिया भइया !
अब कल ही देखिए । प्रेमचंद अंतर्राष्ट्रीय सम्मान , नार्वे के आयोजन में ऑन लाइन था । विश्व के कोने _ कोने से लोग जुड़े हुए थे , एक दूसरे को देख , सुन रहे थे । मगर मेरा दिल _ ओ _ दिमाग ऑफ लाइन था । ऑफ लाइन बोले तो जबतक अपने सामने लोग _ बाग न हों , समा न हो , चुहलबाज़ी और हैलो _ हैलो माई टेस्टिंग ,,, वन , टू , थ्री जैसी परंपरागत आवाज़ें न हों तो लगता है कि दिल्ली के बहाई मंदिर में आ बैठे हों ,, चुप ! एकदम चुप्प !!
वे भी दिन थे ऑफ लाइन वाला । दिल्ली के मंच पर हम नूरानी मुस्कुराता चेहरा लिए वरिष्ठ साहित्यकार डॉ विजय मोहन सिंह से गपिया रहे हैं , बगल में बैठे डॉ माहेश्वर टोह ले रहे हैं । दूसरे फोटो में आपको साहित्यकार कमलेश्वर , राजेंद्र यादव , पीछे अमर गोस्वामी , पंकज बिष्ट , महेश भारद्वाज , संजय सहाय , सुरेश सलिल और तीसरे फोटो में एक गोरी मेम दिखाई देंगी । उनके आसपास बैठे हैं राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के डायरेक्टर देवेंद्र राज अंकुर , टिल्लन रिछारिया , हीरा लाल नागर आदि ।
अवसर है _ रमाकांत स्मृति कहानी सम्मान का , जो मुझ नाचीज़ को दिया जा रहा है ।समारोह ख़त्म हुआ , इलाहाबाद से पधारी एक खूबसूरत नारी ने मुझे गुलदस्ता थमाया और पप्पी मार ली । दूसरी जो फोटो में गोरी मेम दिख रही हैं , सामने प्रगट हुईं । परिचय हुआ और प्रस्ताव सामने ____ आपसे शादी करनी है । मैंने कहा __ कर लो । बड़े भाई कमलेश्वर जी वहीं थे । जेब से 101 रुपए निकाली , ओईंछ दिया और मुझसे कहा __ मेरी सारिका तो बंद हो गई , अपनी शुरू करो । वह गोरी मेम मेरी सात जन्मों की साथी बन गईं । नाम है उनका _ सारिका ।
आज मित्रता दिवस है । रात आ चली है । कहीं से , कोई अबतक किसी भी तरह का प्रस्ताव न आया और न जाने मुझे क्यों सलमान रश्दी याद आ रहे हैं !
- कृपाशंकर ( पत्रकार),
फेसबुक से साभार