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"विकास" वाले चच्चा की "मैं देश नहीं 'बचने' दूंगा" के तहत यह कमाल है, सेल है, सेल है,सेल है...सब बेचम बेचाई और लीज का खेल है
विनय मौर्या वाराणसी
सेल है, सेल है,सेल है...सब बेचम बेचाई और लीज का खेल है। आओ आओ सब अपनी मर्जी से पाओ... मात्र छः लाख करोड़ का माल है। "बिकास" वाले चच्चा की "मैं देश नहीं 'बचने' दूंगा" के तहत यह कमाल है।
उनको लेहरुजी यह सब करने को लहवा रहे हैं। उन्होंने सत्तर साल में कुछ नहीं किया इसलिए "फलाने जी" सात साल में अपने घर का तावा,कढ़ाई बर्तन भाड़ो बेचकर पांच ट्रिलियन इकोनामी जुटा रहे हैं।
फलाने जी देश का इतना "बिका"स कर देंगे। कि जनता को फिर कभी किसी से कोई आस ही नहीं रह जायेगी।
बस जनता अकेले में खुश होकर अपना सिर पिट रोएगी कहेगी "आही रे मोरी मईया, देशवा केके सौंपवा दिहा मोरे "2014 भईया" ।
वइसे "बेचन परसाद" उर्फ फलाने जी जादा कुछ नहीं बेच रहे हैं,जानकारी मिली है कि मात्र...हां मात्र पच्चीस हवाईअ'ड्डे,
कई हजार किलोमीटर रा'जमार्ग, पनबि'जली और सौर बिज'ली संयंत्र, कोय'ला खदान, प्राकृ'तिक गैस पाइ'पलाइन, लाखों किलोमीटर टे'लीकॉम फाइबर, पन्द्रह हजार टे'लीकॉम टॉ'वर
लाखों मीट्रिक टन क्षमता के तमाम गो'दाम,सैकड़ो रे'लवे स्टेशन वगैरह बगैरह।
और हाँ, बेचन परसाद बहुत दयालु हैं... अभी आपके सामने का पार्क नदियों का पानी, खुली हवा सर्दी गर्मी बरसात सब छोड़ दिये हैं। अबकी एक और मौका दीजियेगा नs...तो बेचन परसाद इसको भी रेल देंगे...कारपोरेटरों के हवाले ठेल देंगे। काहे से की देश का उन्हें जबरन 'बिका'स करना है।
मैं तो खुश हूं कि अभी तक उनकी निगाह जनता की किडनी पर नहीं गयी है।
वरना दो में से एक किडनी नो 'मोर' हो जाता । और उसके बाद सबके एक आंख एक कान का नंबर आता ।
तो भईया जब तक बेचन का सेशन बचा है। सम्भल कर रहो... वरना किडनी आंख कान का "पनरह लाख" हो जाएगा। आपकी ज़ुबान इस जुलुम पर भी "जुमला जुमला " ही कह पायेगा।
विनय मौर्या वाराणसी से पत्रकार है