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उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की स्थिति बॉयलर मुर्गे जैसी हो गई है
राजेंद्र चतुर्वेदी
ग्राहक आया, उंगली दिखा कर अपनी पसंद जाहिर कर दी। और दुकानदार ने खच्च कर दिया। यही यूपी में ब्राह्मणों के साथ हो रहा है। पता नहीं, कब किस ब्राह्मण को किसी परिषद, दल या वाहिनी का कोई सदस्य खच्च कर दे, कब कोई कच्छा धारी सेवक जी गला रेत दें।
कब योगी महाराज की संत पुलिस किसी ब्राह्मण को जीवन मृत्यु के जंजाल से मुक्त कर के स्वर्ग का टिकट कटा दे। वह किसी निर्दोष ब्राह्मण को भगवान कृष्ण की जन्मभूमि यानी जेल में भी डाल सकती है। कानपुर के बिकरू वाले विकास दुबे का साथी होने का आरोप लगाकर हमीरपुर के अमर दुबे का योगी की पुलिस ने कत्ल कर दिया था। कत्ल होने से तीन दिन पहले ही अमर दुबे की शादी हुई थी।
अमर की नवविवाहिता दुल्हन खुशी दुबे को, जिसकी उम्र 18 साल से एक दो महीने ही ज्यादा होगी, पुलिस ने तभी जेल में डाल दिया था, उसकी जमानत अब भी नहीं हुई है। आई पी सी की खतरनाक धाराएं लगाई गई हैं, खुशी पर।
करीब एक महीने पहले यूपी के गृह मंत्रालय ने खुशी दुबे पर गलत तरीके से लादा गया मुकदमा वापस लेने का प्रस्ताव बना लिया था। आज ही मुझे मेरे साथियों ने बताया कि योगी एक महीने तक उस फाइल पर कुंडली मारकर बैठे रहे, शुक्रवार को कह दिया कि मुकदमा वापस नहीं लेना है। खुशी जेल में ही रहेगी।
कंगना के ऑफिस का छज्जा गिरा तो आरएसएस बोला, गलत हुआ, पूरी भाजपा औऱ पूरी केंद्र सरकार कंगना के साथ है। आरएसएस के साधुओं, बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद ने ऐलान किया है कि उद्धव ठाकरे अगर अयोध्या आएंगे तो उनका स्वागत नहीं किया जाएगा। क्यों, इसलिए कि कंगना के घर का छज्जा गिरा दिया गया।
यानी जिस हिंदुत्व की सबसे ज्यादा ठेकेदारी ब्राह्मण करते हैं, उसी हिंदुत्व वाला कोई भी संगठन, कोई भी नेता न तो रिया चक्रवर्ती के साथ है, न खुशी दुबे के साथ है, न ही यूपी में बॉयलर मुर्गों की तरह काटे जा रहे ब्राह्मणों के साथ है। उन्हें न्याय और उनके परिजनों को मुआवजा दिलाने की मांग भी कोई आरएसएस वाला नहीं कर रहा है।
यह पोस्ट उन ब्राह्मणों के लिए नहीं है, जिन्होंने मोहन भागवत, मोदी, योगी, अमित शाह के हर आदेश को अपने सिर पर लाद कर चल देते है, उनके लिए है, जिन्हें अपना स्वाभिमान प्यारा है, योगी राज का ब्राह्मण हत्या राज देखकर जिनका खून अब रफ्तार पकड़ने लगा है।
लेखक ने अपने मन की बात लिखी है और यह उनकी अपनी निजी राय है.
बाकी मित्र तो पढ़ें ही, बाद में भले ही प्रार्थी पर जाति वादी होने का आरोप लगा दें। इस बहाने आप तक यूपी के ब्राह्मणों का दर्द तो पहुंचेगा।