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- एक ज़माना था जब डकैती...
एक ज़माना था जब डकैती की खबर से प्रसाशन हिल जाता था, अब 23 हजार करोड़ की डकैती पर सब खामोश
डिजिटल ने बैंक डकैती को आसान बना दिया है। एक ज़माना था जब बैंक डकैती की ख़बर पूरे देश में गूंजती थी। आज बैंक डकैती बैंक के परिसर में नहीं होती है लेकिन हर दिन अनगिनत लोगों को फ़ोन कर उनके पैसे पर डाका डाला जा रहा है।
बैंकों की तरफ़ से फ़ोन आते हैं। उनके नाम पर फ्राड के भी फ़ोन आते हैं। आम लोगों के लिए फ़र्क़ करना मुश्किल हो जाता है। रास्ता यही है कि अब बैंक पूरी तरह से कस्टमर को फ़ोन करना बंद कर दे। इसी धंधे से फ्राड का धंधा चल रहा है।
रिज़र्व बैंक ने बताया है कि 22-23 के बीच तीस हज़ार करोड़ से अधिक के फ्राड हुए हैं। साइबर फ्राड के भी कई प्रकार हैं। कोई पूरी जानकारी के साथ पिता और दोस्त बन कर उन्हीं आवाज़ में फ़ोन करता है। पैसा ग़ायब हो जाता है।
लोग बताते हैं कि बैंक को फ़ोन करो तो मैनेजर हाथ खड़े कर देता है। उसके सिस्टम में ऐसा कुछ नहीं कि वो पैसे को रोक सके या किस अकाउंट में पैसा गया उसी का डिटेल दे सके। आम ग्राहक परेशान घूमता रहता है और साइबर क्राइम के नंबर पर फ़ोन करता रहता है। पुलिस के लिए भी यह नया सरदर्द हो चुका है। पकड़े जाने की ख़बर है । पता नहीं जिनके खातों से पचास करोड़ निकला है वो वापस आता भी है या नहीं ।