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प्रेस क्‍लब चुनाव की तीसरी और अंतिम अपील

प्रेस क्‍लब चुनाव की तीसरी और अंतिम अपील
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दोस्‍तो, सितंबर में प्रेस क्‍लब के सदस्‍यों की आम वार्षिक सभा यानी जीबीएम रखी गई थी। जीबीएम की कार्रवाई अंग्रेज़ी में चल रही थी, तभी एक वरिष्‍ठ सदस्‍य ने हस्‍तक्षेप करते हुए अध्‍यक्ष गौतम लाहिड़ी से कहा कि आप लोग हिंदी में भी बोलने की कोशिश कीजिए क्‍योंकि यहां अधिकांश सदस्‍य हिंदीभाषी हैं। इस हस्‍तक्षेप पर अध्‍यक्ष या अध्‍यक्षमंडल की ओर से कोई जवाब आता, उससे पहले ही महुआ चटर्जी ने चिल्‍लाते हुए कहा, ''बैठ जाओ, प्रेस क्‍लब की भाषा हिंदी नहीं है।'' इस बेहूदा जवाब पर वरिष्‍ठ पत्रकार अनिल चमडि़या ने जब आपत्ति की, तो शोर मचाकर उन्‍हें चुप करा दिया गया।

प्रेस क्‍लब ऑफ इंडिया में पिछले सात साल से प्रत्‍यक्ष या परोक्ष रूप से कब्‍ज़ा जमाए गिरोह की ओर से इस बार महासचिव पद पर महुआ चटर्जी प्रत्‍याशी हैं। इस पैनल में अध्‍यक्ष पद पर भी गैर-हिंदीभाषी पत्रकार अनंत बगैतकर खड़ा है। इस सत्‍ताधारी पैनल में कोषाध्‍यक्ष और संयुक्‍त सचिव पद पर बेशक हिंदीभाषी पत्रकार हैं, लेकिन इन दोनों को ऑफिशियली ये लोग 'बाउंसर' और 'लठैत' कह कर परोक्ष रूप से हिंदीभाषी पत्रकारों को अपमानित करते रहे हैं। एक परंपरा सी बन गई है कि अध्‍यक्ष-महासचिव अंग्रेज़ीभाषी पत्रकार हों (वो भी प्रमुखत: बंगाली या मलयाली) और कोई एक या दो पदाधिकारी हिंदी से हो जो इनके लठैत की भूमिका निभाता रहे।

भाषा का सवाल प्रेस क्‍लब जैसी संस्‍था के लिए अहम है। हम इस बात को अफोर्ड नहीं कर सकते कि ''प्रेस क्‍लब की भाषा हिंदी नहीं है'' कहने वाले पत्रकार के हाथ में क्‍लब चला जाए। यह भी मंजूर नहीं कि हिंदी का पत्रकार दोयम दरजे की भूमिका में अंग्रेज़ीवालों का 'लठैत' बना रहे। इसलिए सादर अपील है कि महुआ-अनंत पैनल को तो बिलकुल वोट न दें। यह कुल्‍हाड़ी पर अपने पैर मारने जैसा काम होगा। दूसरी ओर निर्निमेष कुमार के सेंट्रल पैनल में देखिए, आपको कई खांटी हिंदी पत्रकार खड़े दिखेंगे। उन्‍हें वोट दें। सोलह की कार्यकारिणी में हिंदी के वरिष्‍ठ संपादक दिलीप मंडल खड़े हैं। उन्‍हें वोट दें। इस बार आपने अगर गिरोह के कब्‍ज़े से क्‍लब को मुक्‍त नहीं कराया तो जान जाइए, आगे से हिंदी के पत्रकारों को छांट-छांट कर अलग-अलग बहानों से क्‍लब से बाहर किया जाएगा, जैसा अतीत में किया गया है। दूसरे, हिंदी पत्रकारों का प्रवेश भी ये लोग वर्जित कर देंगे।

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