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हिंसा आपसे कुछ छीन नहीं सकती, मेरे पिता मुझमें जिन्दा हैं - राहुल गाँधी
आज स्वर्गीय और भूतपूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की पुण्यतिथि है। राजीव गाँधी कुंठित हिंसा के शिकार हुए, लेकिन राहुल गांधी ने गाँधी जी की उक्ति - "यदि हम आंख के बदले आंख निकालने लगे, तो जरूर एक दिन दुनिया अंधी हो जाएगी" को सिद्ध किया।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने फरवरी 2021 को पुद्दुचेरी में चुनाव अभियान के दौरान कहा था, कि - "1991 में अपने पिता राजीव गांधी की हत्या से उन्हें काफी दुख हुआ था, लेकिन इस घटना के लिए जिम्मेदार लोगों के प्रति उनके मन में कोई नफरत या गुस्सा नहीं है तथा उन्होंने उन लोगों को माफ कर दिया है"
राहुल यहां एक राजकीय महिला महाविद्यालय की छात्राओं के साथ बातचीत कर रहे थे। उसी क्रम में एक विद्यार्थी ने उनसे सवाल किया, ''लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) ने आपके पिता की जान ले ली थी, इन लोगों के बारे में आपकी क्या भावनाएं हैं?'' इसके जवाब में राहुल ने कहा था, कि "हिंसा आपसे कुछ छीन नही सकती"
उन्होंने कहा, "मुझे किसी के प्रति गुस्सा या नफरत नहीं है। निश्चित रूप से, मैंने अपने पिता को खो दिया और वह मेरे लिए बहुत मुश्किल समय था'' उन्होंने कहा कि यह किसी के दिल को अलग कर देने जैसा था । तालियों की गड़गड़ाहट के बीच उन्होंने कहा, "मुझे काफी दुख हुआ, लेकिन मुझे क्रोध नहीं है। मुझे कोई नफरत या क्रोध नहीं है। मैंने उन्हे माफ कर दिया है"
इसी तर्ज पर ज्यादातर दलों ने राजीव गांधी हत्या मामले के सात दोषियों की रिहाई का समर्थन किया था लेकिन तमिलनाडु कांग्रेस ने इसका विरोध किया था। जैसा कि हम सब अवगत ही हैं कि एक महिला आत्मघाती हमलावर ने 21 मई, 1991 को एक चुनाव रैली में राजीव गांधी की चेन्नई के पास श्रीपेरंबुदूर में हत्या कर दी थी।
पिता के हत्यारे का शव देख मुझे अच्छा नहीं लगा, मैंने उसके रोते बच्चों में खुद को देखा
साल 2018 में जर्मनी के हैम्बर्ग शहर के बुसेरियर समर स्कूल में राहुल गांधी का जाना हुआ था , जहां राहुल ने कई मुद्दों पर अपनी बात रखी। राहुल ने भारत और पिछले 70 वर्षों में उसकी प्रगति के बारे में बात की। राहुल ने नफरत और बदले की भावना का जिक्र करते हुए कहा - कि हम हेट का सामना हेट से नहीं कर सकते। राहुल ने अपने दिवंगत पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों के बारे में भी बात की थी। उन्होंने कहा था, जब मैंने श्रीलंका में अपने पिता के हत्यारे को मृत पड़ा देखा तो मुझे अच्छा नहीं लगा। मैंने उसके रोते हुए बच्चों में खुद को देखा। जो असहाय कर देने वाला था।
एक बात जो राहुल गांधी ने सिद्ध की है, कि वो लगातार गांधी परिवार की परम्परा को बनाए हुए हैं। चाहे मीडिया इस बात को तवज्जो देते हुए टीवी शो करे ना करे, सम्पादकीय छापे या ना छापे लेकिन राहुल गाँधी ने भारतीय राजनीति को बदले की भावना से रक्तरंजित कर देने वाली तुच्छ राजनीति से उभराते हुए एक नया अध्याय जोड़ा है। भले ही कांग्रेस परिवारवाद से जूझ रही हो, लेकिन राहुल की इस बात का मैं पुरजोर समर्थन करता हूँ अब देखने वाली बात है भविष्य की राजनीति में राहुल गांधी का ये सिद्धांत कितना कायम होता है? लेकिन एक बात तय है जनता जनार्दन रक्तरंजित करने वाली राजनीति को स्वीकार नहीं करेगी।
- Pratayksh Mishra
21May1991 🌹
स्रोत - विभिन्न मीडिया रिपोर्ट पर आधारित।