- होम
- राष्ट्रीय+
- वीडियो
- राज्य+
- उत्तर प्रदेश
- अम्बेडकर नगर
- अमेठी
- अमरोहा
- औरैया
- बागपत
- बलरामपुर
- बस्ती
- चन्दौली
- गोंडा
- जालौन
- कन्नौज
- ललितपुर
- महराजगंज
- मऊ
- मिर्जापुर
- सन्त कबीर नगर
- शामली
- सिद्धार्थनगर
- सोनभद्र
- उन्नाव
- आगरा
- अलीगढ़
- आजमगढ़
- बांदा
- बहराइच
- बलिया
- बाराबंकी
- बरेली
- भदोही
- बिजनौर
- बदायूं
- बुलंदशहर
- चित्रकूट
- देवरिया
- एटा
- इटावा
- अयोध्या
- फर्रुखाबाद
- फतेहपुर
- फिरोजाबाद
- गाजियाबाद
- गाजीपुर
- गोरखपुर
- हमीरपुर
- हापुड़
- हरदोई
- हाथरस
- जौनपुर
- झांसी
- कानपुर
- कासगंज
- कौशाम्बी
- कुशीनगर
- लखीमपुर खीरी
- लखनऊ
- महोबा
- मैनपुरी
- मथुरा
- मेरठ
- मिर्जापुर
- मुरादाबाद
- मुज्जफरनगर
- नोएडा
- पीलीभीत
- प्रतापगढ़
- प्रयागराज
- रायबरेली
- रामपुर
- सहारनपुर
- संभल
- शाहजहांपुर
- श्रावस्ती
- सीतापुर
- सुल्तानपुर
- वाराणसी
- दिल्ली
- बिहार
- उत्तराखण्ड
- पंजाब
- राजस्थान
- हरियाणा
- मध्यप्रदेश
- झारखंड
- गुजरात
- जम्मू कश्मीर
- मणिपुर
- हिमाचल प्रदेश
- तमिलनाडु
- आंध्र प्रदेश
- तेलंगाना
- उडीसा
- अरुणाचल प्रदेश
- छत्तीसगढ़
- चेन्नई
- गोवा
- कर्नाटक
- महाराष्ट्र
- पश्चिम बंगाल
- उत्तर प्रदेश
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- आजीविका
- विविध+
- Home
- /
- हमसे जुड़ें
- /
- 2009 में जूनागढ़ में...
2009 में जूनागढ़ में जिन चार चीतों को लाया गया, उनका क्या हुआ ? रवीश कुमार ने किया खुलासा
13 साल पहले जब नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब सिंगापुर से चार चीता लाए थे। जूनागढ़ में इन चीतों को रखा गया था। 2009 की छपी ख़बरों से पता चलता है कि चीता के बदले सिंगापुर को गिर के सिंह दिए जाएँगे।तब मीडिया गोदी मीडिया नहीं बना था तो इसे समाचार की तरह कवर किया गया था। 13 साल बाद इसे मेगा इवेंट बना दिया गया। ख़बरों में लिखा गया है कि केंद्र सरकार की योजना थी। उस समय के दस्तावेज और पत्रकार ही बेहतर बता सकते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने छापा है कि 2009 के पहले भी तीन चीता लाए गए थे। दो चीता दिल्ली के चिड़ियाघर में रखे गए और एक को हैदराबाद में रखा गया। तीनों चीता मर गए। कई अख़बारों ने लिखा है कि सेंट्रल ज़ू अथॉरिटी ने गुजरात सरकार के इस आग्रह को मंज़ूरी दी थी कि राज्य में चीता लाकर उसकी आबादी बढ़ाने के प्रयास किए जाएँ। 2012 की ख़बर है कि सिंगापुर से लाई गई मादा चीता मर गई है। मादा चीता के पहले एक नर चीता की भी मृत्यु हो गई थी। एक और जगह ख़बर छपी है कि 2014 तक आते आते सभी चीता की मृत्यु हो गई ।
जूनागढ़ से पहले चीन चीता की मौत, जूनागढ़ में चार चीता की मौत। सात चीता को बसाने का प्रोजेक्ट फेल हो गया। फिर से चीता लाया गया है। क्या प्रधानमंत्री ने जूनागढ़ में चीता बसाने की नाकामी पर भी कुछ कहा है?
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि चीता को लाने और बसाने के गंभीर प्रयास नहीं हुए। मैंने उनका भाषण नहीं सुना। क्या उन्होंने जूनागढ़ में इस प्रोजेक्ट के फेल हो जाने की बात कही थी ? इस वीडियो में आप गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर नरेंद्र मोदी को जूनागढ़ में चीता लाने के प्रोजेक्ट पर बोलते हुए सुन सकते हैं।
रवीश कुमार
रविश कुमार :पांच दिसम्बर 1974 को जन्में एक भारतीय टीवी एंकर,लेखक और पत्रकार है.जो भारतीय राजनीति और समाज से संबंधित विषयों को व्याप्ति किया है। उन्होंने एनडीटीवी इंडिया पर वरिष्ठ कार्यकारी संपादक है, हिंदी समाचार चैनल एनडीटीवी समाचार नेटवर्क और होस्ट्स के चैनल के प्रमुख कार्य दिवस सहित कार्यक्रमों की एक संख्या के प्राइम टाइम शो,हम लोग और रविश की रिपोर्ट को देखते है. २०१४ लोकसभा चुनाव के दौरान, उन्होंने राय और उप-शहरी और ग्रामीण जीवन के पहलुओं जो टेलीविजन-आधारित नेटवर्क खबर में ज्यादा ध्यान प्राप्त नहीं करते हैं पर प्रकाश डाला जमीन पर लोगों की जरूरतों के बारे में कई उत्तर भारतीय राज्यों में व्यापक क्षेत्र साक्षात्कार किया था।वह बिहार के पूर्व चंपारन जिले के मोतीहारी में हुआ। वह लोयोला हाई स्कूल, पटना, पर अध्ययन किया और पर बाद में उन्होंने अपने उच्च अध्ययन के लिए करने के लिए दिल्ली ले जाया गया। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त की और भारतीय जन संचार संस्थान से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा प्राप्त किया।