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गांधी की विरासत को उजाड़ कर क्या हासिल होगा - सुरेश भाई
देश विदेश में हर रोज कहीं न कहीं महात्मा गांधी की मूर्ति स्थापित हो रही है। जहां पर जाकर सत्ता या विपक्ष के नेता सिर झुकाकर नमन करते हैं। विदेशों में कहते भी कहते हैं कि वे गांधी के देश से आये हैं। इसके बावजूद भी वाराणसी के राजघाट में महात्मा गांधी के प्रचार- प्रसार के लिए सन् 1948 में स्थापित "सर्व सेवा संघ" के भवनों पर सरकारी बुल्डोजर चलाने की कार्यवाही की जा रही है? देशभर के सामाजिक कार्यकर्ता, आमजन, बुद्धिजीवी यह सुनकर बहुत सदमे में है कि सर्व सेवा संघ के भवनों को लगभग 70 वर्षों बाद अवैध घोषित कैसे किये गए है?
चिंताजनक है कि वहां सत्याग्रह में बैठे अनेक गांधी जनों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में अखिल भारतीय सर्व सेवा संघ के चंदन पाल , राम धीरज भाई, अजीत अंजुम, अफलातून देसाई आदि है। जबकि मामला कोर्ट में विचाराधीन है और वहां पर जमा हुए पुलिस -प्रशासन ऐसा कोई आदेश नहीं दिखा पा रहे हैं कि जिसके कारण वहां निवास करने वाले सर्वोदय कार्यकर्ताओं को हटाया जा सके।
सन् साठ के दशक में आचार्य विनोबा भावे, तत्कालीन उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री लाल बहादुर शास्त्री, तत्कालीन रेल मंत्री बाबू जगजीवन राम के प्रयासों से महात्मा गांधी के विचारों के प्रचार प्रसार के लिए पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद जी की अध्यक्षता में सर्व सेवा संघ को यह जमीन उपलब्ध करवाई गई थी। तब भारतीय रेलवे से 1960, 1961, 1970 में 12.89 एकड़ जमीन खरीदी गई थी, जिसका दाखिला 63 वर्ष पहले सर्व सेवा संघ के नाम हो रखा है।यह भी सर्व सेवा संघ के नाम तब हुआ जब 5 मई 1959 को चालान संख्या 171 के द्वारा भारतीय स्टेट बैंक में 27730 रूपए जमा किए गए थे। इसके बाद 27 अप्रैल 1961 में 3240 और 18 जनवरी 1968 में 4450 रुपए का चालान जमा किया गया था।
तब पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, आचार्य कृपलानी, मौलाना अबुलकलामआजाद,लोकनायक जयप्रकाश नारायण, जैसी महान विभूतियां इसमें शामिल थी। इनके अलावा आजादी के वे सभी दीवाने मौजूद थे जिन्होंने अंग्रेजों से भारत को आजादी दिलाई थी। आजादी के बाद तो महात्मा गांधी के सपनों का भारत बनाने के लिए प्रयास भी किए गए थे। इसी सिलसिले में बनारस मे सर्व सेवा संघ की गतिविधियों का यह केंद्र एक तरह से गांधी विचार के प्रचार प्रसार का मुख्य स्थल भी है। जहां पर देश-विदेश के लोग और आमजन के अलावा सभी राजनीतिक दलों के नेता महात्मा गांधी के बारे में सीखने, समझने, और पढ़ने के लिए भी आते हैं। गांधी विचार से संबंधित पुस्तकों का प्रकाशन भी इस केंद्र से हो रहा है। सर्वोदय कार्यकर्ताओं का यह एक ऐसा स्थान है जहां पर सर्व धर्म प्रार्थना के बाद ही देश सेवा की चर्चाएं हर रोज होती है। देशभर में समाजसेवी कार्यकर्ताओं द्वारा किए जा रहे रचनात्मक कार्यक्रमों की प्रस्तुति की जाती है। यहां पर जन -जन तक गांधी विचार को ले जाने के लिए कार्यकर्ताओं की टीम तैयार की जाती है। यहां अनेकों प्रशिक्षण और शोध कार्य किए जाते है। महात्मा गांधी के अलावा अनेकों महापुरुषों की जीवनियां प्रकाशित की जाती है।
भविष्य के लिए यह बहुत बुरा संदेश होगा कि सर्व सेवा संघ की जमीन पर कब्जा करके गांधी की विरासत को मिटाया जा रहा है। इसी परिसर में पिछले दिनों इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को भी गांधी विद्या संस्थान सौंपने की कार्यवाही की गई है। लेकिन इस नाम पर लोगों की शंका है कि यहां के भवनों को ध्वस्त करके भारतीय रेलवे इस खूबसूरत गंगा के तट पर पूंजीपतियों के व्यवसाय और उद्यमों के लिए इस स्थान का अन्याय पूर्ण तरीके से विध्वंस करके गांधी विचार को आहत कर रही है।
30जून 2023 से सर्व सेवा संघ के भवनों पर चलाए जाने वाले बुल्डोजर के विरोध में देशभर के लोग बनारस पहुंचे हुए हैं। लेकिन जिस तरह से स्थानीय शासन- प्रशासन गांधी विचार की विरासत को मिटाने की तैयारी में लगा है। वहां पर इकट्ठे हो रहे पुलिस प्रशासन के दबाव में यहां पर गांधी की विरासत को बचना काफी चुनौतीपूर्ण बन गया है।
जिसके विरोध में गांधी, विनोबा, जयप्रकाश अमर रहे! के नारे लगाते हुए यहां जीटी रोड से बड़ी संख्या में पैदल मार्च निकालकर राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ तक पिछले 2 माह से लोग पहुंच रहे हैं। जहां पर बड़ी संख्या में गांधीवादी हर रोज सत्य और अहिंसा के बल पर प्रदर्शन कर रहे हैं। देशभर में स्थान- स्थान पर इस अन्याय का विरोध हो रहा है। महात्मा गांधी के सत्याग्रह को हथियार बनाकर केंद्र और राज्य सरकार को ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं। जगह-जगह लोग धरना, प्रदर्शन कर रहे हैं।गांधी विरासत को बचाने वाले तमाम लोगों की आवाज में कहीं भी किसी को कोई गलत तरीके से निशाना भी नहीं बना रहे हैं।वे सिर्फ गांधी के देश में गांधी की धरोहर को बचाने के लिए सत्याग्रह कर रहे हैं। ऐसे में उत्तर प्रदेश की सरकार और केंद्र मौन रहेगा तो लोगों का आक्रोश बढ़ेगा।उत्तराखंड में भी जन- जन के बीच से आवाज उठी है कि लैंड जिहाद के नाम पर एक सख्त भू- कानून बनाया जाए। ताकि राज्य में गरीबी, पलायन, बेरोजगारी से छुटकारा मिले। इसलिए व्यवस्था के सामने भी चुनौती है कि देश और दुनिया में गांधी की मूर्तियों के सामने नतमस्तक होने और गांधी पर विचार प्रकट करने से पहले यह तो सोचना ही पड़ेगा कि देश में गांधी चाहिए या बुल्डोजर हिंसा?
(लेखक उत्तराखंड सर्वोदय मंडल के पूर्व अध्यक्ष और पर्यावरणविद् है )