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वैश्या--...अब तू आराम कर मैं चली देखूं आज का क्या हिसाब किताब है, भाग 9- मधु सुबह उठी तो सुषमा को लेकर निकल रही थी, तभी ...

Shiv Kumar Mishra
1 July 2022 12:33 PM GMT
वैश्या--...अब तू आराम कर मैं चली देखूं आज का क्या हिसाब किताब है, भाग 9- मधु सुबह उठी तो सुषमा को लेकर निकल रही थी, तभी ...
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कोठे की मधू को राजू से जब प्यार हुआ तब

वैश्या--

...अब तू आराम कर मैं चली देखूं आज का क्या हिसाब किताब है। और तू फ़िकर न करना मैं कल टाइम पर बैंक अस्पताल दोनों जगह चली जायेगी।

अभी तक आपने पढ़ा,अब आगे।

भाग 9-मधु सुबह उठी तो सुषमा को लेकर निकल रही थी।

दीदी...मधु ने कोठा मालकिन को पीछे से आवाज लगाई।

माही मैंने कहा न तू आज नहीं जायेगी,फिर काहे को मुँह बना रही है।ऑपरेशन हो जाने दे,राजू को ठीक होते ही मैं उसे यहीं लाकर रखेगी। जब तक कि वह पूरी तरह से ठीक न हो जाये। यह कहते हुए वह सीढ़िया उतरते हुये ओझल हो गयी।

दोपहर से सांझ होने को आया मगर दीदी अभी तक नहीं आई। हो सकता है बैंक में भीड़ ज्यादा रही हो। मधु इसी उधेड़बुन में थी तभी सुषमा सीढ़ियां चढ़ती आयी।

अरे सुषमा इतनी देर क्यों हुई...दीदी कहाँ है...राजू का क्या हाल है...मधु ने एकसाथ कई सवाल दाग दियें।

रुक तो...सांस तो लेने दे...चल अस्पताल चलना है। राजू का ऑपरेशन है न तो दीदी वहीं रुकी हुई है। वह बोली है कि माही परेशान होगी उसे लेती आ।

कुछ देर बाद दोनों रिक्शा पर थीं।

पता नहीं क्यों मेरा मन बहुत घबरा रहा है । मधु ने सुषमा की तरफ देखते हुये कहा।

देख माही यह जीवन चक्र जो है। बिना रुके चलता रहता है। यहां वह नहीं होता जो हम सोचते हैं। बल्कि वह होता है जो तय है। इसलिए परिस्थितियां जो भी सामने आये उससे घबराना नही चाहिये। जब तय है तो क्या भय है। सुषमा ने मधु को समझाते हुए कहा।

तू मुझसे कुछ छुपा रही है क्या...?मधु ने सुषमा को कंधे से झिंझोड़ते हुए कहा।

मैं क्या छुपाउंगी। मैं तो तुझे जीवन की सच्चाई बता रही थी। सुषमा ने सामान्य होते हुये कहा।

मगर तेरा चेहरा बुझा बुझा सा लग रहा है। आजतक इतना ज्ञान तो तुझे देते कभी नहीं देखा। मधु ने सवाल दागा ।

तब तलक अस्पताल का गेट आ चुका था।

चल उतर...आराम से सीढ़िया चढ़ना। सुषमा ने मधु की बेकरारी देखकर कहा।

क्रमशः...

विनय मौर्या।

बनारस।

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