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- इसके लिए किसे धन्यवाद...
आज सुबह रोज जैसी नही थी।रात भर सपने देखता रहा!चूंकि सपने का कालखंड करीब 40 साल पुराना था।इसलिए खूब भागदौड़ रही।शायद यही वजह होगी कि जब आंख खुली तो पूरा शरीर दुख रहा था।
बिस्तर पर पड़े पड़े अलसा रहा था कि फोन घनघनाने लगा।देखा तो उखरा से मुसद्दी भइया याद कर रहे हैं।तत्काल स्क्रीन पर उंगली सरकाई!पूरे अटेंशन के साथ पालागन दाग दिया।उधर से जो उत्तर आया वह पिछली बार की तरह नही था।
मुसद्दी भइया ने जो आशीष दिया वह आप भी सुन लीजिए! भइया ने कहा- हिम्मत औऱ हौसला कायम रहे!हाथ पांव मजबूत रहें। नया आशीर्वाद सुनकर सवाल पूछना लाजमी था।सो पूछ लिया-क्या भइया आजकल आप बदल बदल कर आशीर्वाद देते हो। भइया ने उन्मुक्त अट्टहास किया!कुछ देर हंसने के बाद बोले- लल्ला यह दौर ही ऐसा है!आज सबसे बड़ी जरूरत हिम्मत और हौसले की ही है।इनके बिना जीना बहुत ही कठिन हो रहा है।
खैर इसपे बाद में बात करेंगे!अभी तो तुम हवलदार मेजर अतिबल सिंह से बात करो।वे सिर्फ एक बात पूछना चाहते हैं।पिछले तीन दिन से उसी की रट लगा रखी है।इतना कहकर भइया ने फोन मेजर साहब को दे दिया।
उम्र के सात दशक पार कर चुके पूर्व फौजी भाई ने कड़क आवाज में जयहिंद बोला।मैंने भी उसी अंदाज में उत्तर दिया।वे बिना किसी भूमिका के सीधे मुद्दे पर आ गए।
लंबी सांस खींच कर बोले - लल्ला एक बात पूछनी थी!दो दिन पहले अखबार में एक विज्ञापन देखा था!उसमें लिखा था- टीका उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद मोदी जी!
हम ये जानना चाहते हैं कि टीके के लिए तो अखबार में विज्ञापन देकर मोदी जी को धन्यवाद दिया गया!तो फिर हम उन बातों के लिए किसे धन्यवाद दें जिनके चलते इस धन्यवाद का मौका आया।
देश में महामारी रोकने के लिए समय पर तैयारी न करने के लिए धन्यवाद का पात्र कौन है। बिना सोचे समझे 4 घण्टे के नोटिस पर देश को बंद कर देने के बाद नंगे पांव सड़कों पर चले लाखों लोगों की तकलीफ और सड़कों ब रेल पटरियों पर उनकी मौतों के लिए किसे थैंक यू सर बोलें!
अस्पतालों में दवाओं और अन्य जरूरतों पर ध्यान देने की बजाय बंगाल में खेला खेलने के लिए किसको शुक्रिया कहूँ!अप्रैल और मई में जब पूरे देश में हाहाकार मचा तब अपनी जिम्मेदारी राज्य सरकारों पर ढोलने के लिए किसका आभार व्यक्त करूँ!
श्मशान घाटों में जगह कम पड़ने और गंगा के शव वाहिनी बनने का श्रेय किसके खाते में जमा करूँ।जिन्हें मरने के बाद जलाया जाना था,उन्हें गंगा की रेती में दफन करके मुक्ति दिलाने के लिये किसका अहसान जताऊं!
जब अस्पताल लूट रहे थे,उनके दरबाजों पर जगह नही है के बोर्ड लटके थे,लोग अपने परिजनों के इलाज के लिये दर दर भटक रहे थे,तब उनके दुख पर मौन रहने के लिए किसका अभिनंदन करूँ!जब टीके की सख्त जरूरत थी तब टीके न मिलने के लिये किस योजनाकार को अलंकृत करूँ!
पहले कोरोना से मौत पर चार लाख की मदद देने का ऐलान करके फिर अदालत में यह कहने कि खजाना खाली है पैसा नही दे सकते, के लिए किसका चारणगान करूँ!
और हां भारी संकट के समय गेंद राज्य सरकारों के पाले में फेंकने के किये किसका अभिनंदन पत्र लिखूं!
मुद्दे तो बहुत हैं।हम सबके लिए धन्यवाद देना चाहते हैं। आभार ज्ञापित करना चाहते हैं। बस यह बता दो कि कौन है वह व्यक्ति जिसे हम अपनी इस दशा के लिए धन्यवाद दें!
इतना कहकर अतिबल सिंह ने फोन मुसद्दी भइया को पकड़ा दिया! भइया बोले लल्ला तुम्हारे तो दोस्त बहुत ज्ञानी हैं!देखना कोई बता सके तो हम सब लोग आभारी रहेंगे!अच्छा फिर बात करेंगे!खुश रहो।