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ब्राह्मण को वोट लेकर हर राजनैतिक दल इसके पिछवाड़े पर क्यों मारता है लात?
शम्भूनाथ शुक्ल
उत्तर प्रदेश में ब्राह्मणों की आबादी ख़ासी है। पहले यह वोट कांग्रेस को जाता था। फिर मंडल-कमंडल के दौरान बिखर गया। इसके बाद 2007 में सपा और बसपा दोनों दलों ने इसे अपने पाले में लाने की कोशिश की। मायावती ले उड़ीं। 2012 में यह बँटा। किंतु 2017 में अधिकांशतः यह वोट बीजेपी को मिला। मुख्यमंत्री बने योगी आदित्य नाथ। वे एक मठ के महंत हैं लेकिन चूँकि वे जन्म से राजपूत हैं इसलिए ख़ुद राजपूतों ने उनकी जाति राजपूत घोषित कर दी। जब घोषित कर दी तो तलवारें भी खिंचीं। उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण और राजपूत दोनों ही अतीत में दबंगई की प्रतीक रही हैं। इसलिए परस्पर कलह शुरू हो गई। पिछले वर्ष कांग्रेस से जितिन प्रसाद सपा से अखिलेश यादव और बसपा से मायावती ब्राह्मणों को अपने-अपने पाले में लाने को टूट पड़े। कहा गया, कि योगी राज में ब्राह्मणों का उत्पीड़न हो रहा है। इसके बाद दिल्ली के कोई अज्ञात नेता संजय सिंह ब्राह्मणों को आप में लाने के लिए यूपी के मैदान में कूद पड़े। जबकि योगी जी के राज में ब्राह्मणों के उत्पीड़न की बात सच नहीं है। सभी जितना उत्पीड़ित है उतने ही ब्राह्मण भी। लेकिन ब्राह्मण परिवर्तन से घबड़ाता है। इसलिए हर कोई उसके वोट को लेकर उसके पिछवाड़े लात मारता है। वह अहंकारी है, मिथ्याभिमानी है। झूठी शान के लिए ड्राइवर ब्राह्मण दूसरे की गाड़ी को अपना बताता है।
एक बार बादशाह अकबर का ख़ेमा एटा के समीप किसी जंगल में लगा था। कुछ देर बाद एक सेठ की सवारी वहाँ आई और उनका ख़ेमा गड़ा। सेठ जी थे तो माहेश्वरी बिड़ला लेकिन उतने ही कंजूस भी। बस एक नौकर लाए थे। उस नौकर ने पहले तो ज़मीन साफ़ की, फिर मसक से पानी छिड़का, ख़ेमा गाड़ा और रसोई तैयार की। सेठ जी जीमने बैठे तो उन्होंने अपने इस नौकर के पाँव छुये। फिर सुबह नौकर ने सारा सामान लादा और दोनों चल दिए। सेठ जी गधे पर सवार हो कर और नौकर पैदल। बादशाह अकबर संजीदा इंशान थे, उन्होंने बीरबल को बुला कर पूछा-
बोलो बीरबल कौन वह नर।
पीर, बाबर्ची, भिश्ती, खर।।
बीरबल ने कहा-हुज़ूर वह मनुष्य ब्राह्मण होगा।
तो ऐसे चुटियाधारी, जनेऊ दिखाते अधनंगे नरों को हर चतुर नेता खर की तरह जोतता है। कुछ ब्राह्मण अफ़सर होंगे, कुछ पैसे वाले और ताक़तवर। किंतु 90 प्रतिशत ब्राह्मण गरीब और भिखमंगा है। ३६ गढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पिता ने उनकी औक़ात बता दी है और कहा है, जुतियाओ इन्हें। वैसे भी ब्राह्मण को जूते तो पड़ ही रहे हैं। पर झूठे अभिमान में डूबे ब्राह्मण दलितों एवं मुसलमानों के साथ भाईचारा नहीं बनाएँगे। और अगर ब्राह्मण इतना ही पॉवरफ़ुल है, तो खुद क्यों नहीं नेतृत्त्व करता!
लखनऊ में बैठे आईटी सेल के टकैयल पाँड़े, मिश्र, चौबे भली चाहते हों तो टिप्पणी न करें।
मिथ्याभिमान में डूबा एक ब्राह्मण! जो इस लक्ज़री कार का ड्राइवर है पर शो यूँ कर रहा है मानों मालिक हो। ब्राह्मणों तुम्हारी क्षय हो।