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- बड़ा खुलासा क्यों डरती...
बड़ा खुलासा क्यों डरती है मीडिया पीएम मोदी से, जैसे सरकार से प्रश्न पूछना बहुत बड़ा गुनाह हो!
लेखक गिरीश मालवीय
दैनिक भास्कर में हर सोमवार 'नो निगेटिव न्यूज डे' होता है, भास्कर गर्वपूर्वक कहता है कि खुद पीएम नरेंद्र मोदी दैनिक भास्कर के 'नो निगेटिव न्यूज' कैम्पेन की तारीफ कर चुके हैं. आज इस कैम्पेन के तहत भास्कर ने अपने मुख्य पृष्ठ पर देश की सबसे साफ मेघालय की उमनगोत नदी की एक तस्वीर लगाई है तस्वीर में पानी इतना साफ है कि नाव भी कांच की सतह पर तैरती नजर आ रही हैं.
लेकिन आप विडम्बना देखिए कि इस काँच की तरह बहती नदी से कुछ किलोमीटर दूर ही पिछले महीने एक हादसा हुआ है यह नदी उसी पूर्वी जयंतिया हिल्स के इलाके में स्थित है जहाँ पिछले दिनों 17 खनिक कोयला खदान में पानी भर जाने की वजह से फंस गए थे ये श्रमिक 13 दिसंबर को अवैध रैट होल माइंस में कोयला खनन के लिए उतारे गए थे, लेकिन जब पास की एक नदी से आया पानी इस खदान में भर गया तो वो यहां फंस गये, बहुत संभव है कि यह वही नदी हो या उसकी कोई सहायक नदी हो......
मेघालय के अधिकतर कोयला खदानें 'जयन्तियां' पहाड़ियों के इर्द-गिर्द के इलाकों में है. यहां की खदानों की खुदाई में मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता कोयला निकालने के लिए मजदूर लेटकर खदानों में घुसते हैं और कोयला बाहर निकालते हैं. इसीलिए इस तरह की माइनिंग को दुनिया रैट माइनिंग कहती है.
भास्कर की नो निगेटिव न्यूज़ यह जानकारी नही देती कि इस तरह के अवैज्ञानिक तरीके से कोयला खनन के कारण मेघालय की नदियों व जल स्रोतों में अम्लता बढ़ रही है. कोई भी रिपोर्ट ऐसी नही है जो बताती हो कि मेघालय में इस तरह की दुर्घटना क्यो हुई जब NGT ने 2014 से इस तरह के खनन पर पूर्णतया रोक लगा दी थी. न कभी भास्कर या अन्य मीडिया समूह ने ये बताया कि ये रोक भी 2014 में हुई इसी तरह की दुर्घटना के बाद लगाई गई थी;
इस दुर्घटना के एक महीने से भी अधिक समय गुजर जाने के बाद सरकार खनिको के शव भी अब तक निकाल नही पाई है जबकि थाईलैंड ओर चिली जैसे छोटे देश इस तरह की दुर्घटना होने पर फँसे हुए व्यक्तियों को सफलतापूर्वक पूर्वक जिंदा निकाल चुके है.
प्रश्न पूछने में भारत का मीडिया ऐसे संकोच करता है जैसे सरकार से प्रश्न पूछना बहुत बड़ा गुनाह हो, इस तरह के सारे धतकरम करने के लिए मीडिया अपने पाठकों को 'नो निगेटिव न्यूज़' जैसी मीठी गोलियां खिलाते रहता है.
लेखक के अपनी निजी विचार है